Edited By Kalash,Updated: 23 Jul, 2024 11:59 AM
नगर निगम में घोटालों को अंजाम देने में माहिर अधिकारियों ने काओ सेस के फंड को भी नहीं बख्शा है।
लुधियाना (हितेश): नगर निगम में घोटालों को अंजाम देने में माहिर अधिकारियों ने काओ सेस के फंड को भी नहीं बख्शा है। यह खुलासा कमिश्नर द्वारा पूर्व डी.सी.एफ.ए. रवीन्द्र वालिया को जारी नोटिस में हुआ है। यहां बताना उचित होगा कि लावारिस गायों के रखरखाव के लिए सरकार द्वारा काओ सेस का प्रावधान किया गया है।
यह फंड विभिन्न सरकारी सेवाओं के साथ वसूल किया जाता है और उसे लावारिस गायों के रखरखाव के लिए ही खर्च किया जा सकता है लेकिन वालिया ने डी.सी.एफ.ए. रहते हुए यह फंड ठेकेदारों में बांट दिया। इस संबंध में मिली शिकायत का कमिश्नर ने सख्त नोटिस लिया है और उक्त पूर्व डी.सी.एफ.ए. के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसकी शुरुआत नोटिस जारी करने से की गई है, जिसमें काओ सेस का करीब 15 करोड़ का फंड जनरल कामों में खर्च करने की पुष्टि की गई है।
कमिश्नर द्वारा जारी नोटिस में साफ किया गया है कि काओ सेस का फंड सिर्फ लावारिस गायों के रखरखाव के लिए ही खर्च किया जा सकता है, जिस बात से अच्छी तरह वाकिफ होने के बावजूद पूर्व डी.सी.एफ.ए. ने आला अधिकारियों की मंजूरी के बिना ही फंड का इस्तेमाल दूसरे कामों के लिए कर दिया गया। इसके मद्देनजर उक्त पूर्व डी.सी.एफ.ए. रवीन्द्र वालिया के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लोकल बॉडी विभाग को सिफारिश भेजने का जिक्र कमिश्नर द्वारा जारी नोटिस में किया गया है।
मुलाजिमों को सैलरी के लिए करना पड़ता है इंतजार
नगर निगम में यह मामला उस समय सामने आया है, जब मुलाजिमों को सैलरी के लिए काफी देर तक इंतजार करना पड़ता है। इसके लिए रूटीन की रिकवरी न होने के अलावा सरकार की तरफ से जी.एस.टी. शेयर रिलीज न करने का बहाना बनाया जाता है लेकिन नगर निगम मुलाजिमों को सैलरी देने की बजाय ठेकेदारों को पेमेंट रिलीज करने के लिए काओ सेस के फंड का इस्तेमाल किया गया। जो मुद्दा आने वाले दिनों में काफी गर्मा सकता है।
पहले चेक साइन करने की पावर भी अपने हाथ में ले चुके हैं कमिश्नर
यह कोई पहला मौका नहीं है, जब कमिश्नर द्वारा पूर्व डी.सी.एफ.ए. रवीन्द्र वालिया के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इससे पहले कमिश्नर चेक साइन करने की पावर भी अपने हाथ में ले चुके हैं जबकि काफी लंबे समय से एडिशनल कमिश्नर द्वारा अकाउंट ब्रांच के हेड के रूप में पेमेंट ट्रांसफर करने की रिपोर्ट बैंक को भेजी जाती थी। लेकिन ठेकेदारों को पेमेंट रिलीज करने की प्रक्रिया में गड़बड़ी होने की बात सामने आने पर कमिश्नर द्वारा काफी पहले ही उक्त पूर्व डी.सी.एफ.ए. को झटका देने के संकेत दे दिए गए थे।
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