Edited By Vatika,Updated: 02 Jul, 2022 09:41 AM
पूर्व मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब लोक कांग्रेस का जल्द ही भारतीय जनता पार्टी में विलय होने जा रहा
चंडीगढ़,पटियाला (हरिश्चंद्र, राजेश पंजौला): पूर्व मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब लोक कांग्रेस का जल्द ही भारतीय जनता पार्टी में विलय होने जा रहा है। हालांकि कैप्टन के नजदीकी सूत्र ऐसी किसी भी तरह की खबर को अटकलबाजी बता रहे हैं।
पंजाब लोक कांग्रेस ने हाल ही में भाजपा के साथ मिलकर पंजाब का विधानसभा चुनाव लड़ा था मगर वह अपने खाते की कोई भी सीट जीतने में नाकाम रही थी। कै. अमरेंद्र के करीबी राणा गुरमीत सिंह सोढी और फतेह जंग सिंह बाजवा चुनाव से पहले जब भाजपा में शामिल हुए थे तभी यह कयास लगाए जाने लगे थे कि देर-सवेर वह भी भाजपा का दामन थामेंगे। अभी बीते माह बलबीर सिंह सिद्धू, गुरप्रीत सिंह कांगड़ और सुंदर शाम अरोड़ा भी अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो चुके हैं। ये तीनों भी अमरेंद्र सरकार में मंत्री थे मगर कैप्टन से नजदीकी के चलते चरणजीत सिंह चन्नी ने अपनी सरकार में उन्हें स्थान नहीं दिया था।
हाल ही में हुई संगरूर लोकसभा उप चुनाव में भाजपा चौथे नंबर पर रही है, जबकि लम्बे समय तक पंजाब में राज करने वाली और पंजाबियों और सिखों की पार्टी कहलवाने वाला अकाली दल 5वें नंबर पर आई है। भाजपा का प्रदर्शन कांग्रेस के बराबर रहा है, जिस कारण भाजपा पंजाब में अपना भविष्य देख रही है। सूत्रों के मुताबिक इंगलैंड से लौटने पर अमरेंद्र भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर अपनी पार्टी के भाजपा में विलय का ऐलान करेंगे। वह वहां आप्रेशन के बाद फिलहाल आराम कर रहे हैं।उनकी पार्टी का चुनाव प्रचार करती रही कांग्रेस की पटियाला से सांसद परनीत कौर के राजनीतिक भविष्य का भी तब फैसला हो जाएगा। माना जा रहा है कि वह भी अपने पति के साथ भाजपा में शामिल हो सकती हैं। चर्चा है कि वह अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी और उनकी पुत्री जय इंदर कौर भाजपा टिकट पर पटियाला से चुनाव लड़ सकती हैं। वैसे यह बात स्पष्ट है कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के काफी करीबी हैं। 2022 की विधानसभा चुनाव में कैप्टन ने जिन सीटों की मांग की, वे सीटे लेने में वह सफल रहे। हालांकि जो शहरी सीटें कैप्टन की पार्टी को मिलीं, वहां नुक्सान भी हुआ। यदि विधानसभा हलका पटियाला देहाती और इस तरह की अन्य शहरी सीटें भाजपा के हिस्से में आईं होती तो इसका परिणाम कुछ और होता