Edited By Kamini,Updated: 22 Apr, 2025 06:55 PM

पंजाब में जबरदस्त हंगामा होने की खबर सामने आई है।
बलाचौर (ब्रह्मपुरी) : पंजाब में जबरदस्त हंगामा होने की खबर सामने आई है। मिली जानकारी के अनुसार ड्यूटी दौरान SHO के साथ बदसलूकी की गई, जिसके बाद माहौल तनावपूर्ण होता हुई दिखाई दिया। पंजाब में एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसके बाद एक SHO विवादों में घेरे में आ गया है। बलाचौर पुलिस सब-डिवीजनल ऑफिस के अंतर्गत आने वाले एक थाने के SHO का कथित वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें साफ तौर पर देखा और सुना जा सकता है कि एक थाने का SHO, जिसका नाम भी बताया जा रहा है, एक गाड़ी में तेजी से भाग रहा है।
वीडियो में एक व्यक्ति कह रहा है कि, SHO चिट्टा बेचता है। इस वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि पुलिस की गाड़ी जिसमें एक व्यक्ति बैठा है तो वहीं एक व्यक्ति इस गाड़ी में चाबी निकालने की कोशिश करता है और चिल्लाता है कि तुम्हें भागने नहीं दूंगा। फिर एक पुलिस अधिकारी वाहन में चढ़ता है जोकि तेजी से गाड़ी दौड़ाता है।

यदि कोई भी उपरोक्त वीडियो घटना को देखेगा तो उसे पुलिस कर्मियों में कुछ कमियां आसानी से नजर आ जाएंगी। वीडियो बनाने वाला व्यक्ति जब ऊंची आवाज में पुलिस अधिकारी पर तस्करी का आरोप लगाता है, तो पुलिस ने उस समय या उसके बाद से अपनी हो रही बदनामी के बारे में मीडिया को कोई बयान नहीं दिया है। इससे तो वीडियो बनाने वाला व्यक्ति सच्चा प्रतीत होता है। या फिर पुलिस की बदनामी को देखते हुए उच्च अधिकारी इस मामले को छिपा रहे हैं।

क्या कहते हैं पुलिस प्रमुख
इस बारे में पूछे जाने पर थाना प्रमुख रणजीत सिंह ने बताया कि वह नशा तस्करों के खिलाफ चलाए अभियान के तहत गांव माणेवाल गए थे, लेकिन तस्करों ने पुलिस पार्टी के साथ गलत व्यवहार किया। उस समय चूंकि वहां फोर्स कम थी, इसलिए उन्होंने अवसर समझकर वहां से चले आए। इसके बाद वह भारी पुलिस बल लेकर उच्च अधिकारियों के साथ गांव मानेवाल पहुंचे। उस समय तक कथित अपराधी भाग चुके थे। SHO रंजीत सिंह के अनुसार कल काठगढ़ थाने में एफआईआर नंबर 43 दर्ज कर ली गई है और नशा तस्करों को पकड़ने के लिए छापेमारी जारी है।
पुलिस ने पकड़े थे तस्कर
यद्यपि उपरोक्त मामले में एक तरफ अपने कठोर स्वभाव के लिए जाने जाने वाले पुलिस अधिकारी हैं तो दूसरी तरफ ड्रग तस्कर हैं। लेकिन कुछ विश्वसनीय सूत्रों ने बताया कि उक्त मामले में ड्रग तस्कर पुलिस से ज्यादा ताकतवर हो गए। पुलिस ने ड्रग तस्करों को पकड़ लिया था और उन्हें गाड़ी में भी डाल दिया था। लेकिन कथित अपराधियों ने पुलिस को भागने पर मजबूर कर दिया। इस मामले में एक वरिष्ठ व्यक्ति के हस्तक्षेप के कारण 19 अप्रैल को उक्त मामले को स्थगित कर दिया गया था। लेकिन पुलिसकर्मियों के मौके से भागने का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने 19 अप्रैल के मामले की एफआईआर 21 अप्रैल को दर्ज की, जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े होते हैं।
सूत्रों के अनुसार पुलिस प्रमुख का व्यवहार लोगों के साथ बहुत अच्छा नहीं था, इसलिए लोगों ने पुलिस को साथ देना उचित नहीं समझा। जिसके कारण लोगों में पुलिस की भूमिका, चाहे वह सही हो या गलत, संदिग्ध हो गई। यदि पुलिस ने उक्त मामले में लोगों के समक्ष अपना रुख स्पष्ट नहीं किया तो वायरल वीडियो से पुलिस की काफी बदनामी होगी। यह मामला पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया कि आखिर किसकी सिफारिश पर पुलिस ने उस घटना को कानूनी कार्रवाई से रोका या फिर इसमें किसी तरह की लापरवाही थी। एसएचओ का ड्रग तस्करों या वीडियो बनाने वालों द्वारा पीछा किया गया। घटना वाले दिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
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