Edited By Subhash Kapoor,Updated: 04 Nov, 2024 07:27 PM
शहर के माल रोड पर सरकारी सड़क और पर्ल कंपनी की जमीन पर अवैध तरीके से बनाई गई फ्रूट मार्कीट को सोमवार को नगर निगम बठिंडा ने अदालत के आदेशों के बाद तोड़ दिया है।
बठिंडा (विजय वर्मा) : शहर के माल रोड पर सरकारी सड़क और पर्ल कंपनी की जमीन पर अवैध तरीके से बनाई गई फ्रूट मार्कीट को सोमवार को नगर निगम बठिंडा ने अदालत के आदेशों के बाद तोड़ दिया है। फ्रूट मार्कीट के दुकानदारों की तरफ से अदालत में लगाई गई याचिका खारिज होने के बाद सोमवार सुबह ही नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच व तहबाजारी की टीम भारी पुलिस फोर्स लेकर मौके पर पहुंची और अस्थाई दुकानें बनाकर बैठे दुकानदारों को 2 घंटे के भीतर अपना सामान उठाने का समय दिया गया। जिसके बाद दोपहर बाद ड्यूटी मजिस्ट्रेट की अगुआई में निगम की जेसीबी ने उक्त अस्थाई दुकानों पर जेसीबी मशीन चलाकर उन्हें गिरा दिया। इस दौरान फ्रूट मार्केट में दुकानें चलाने वाले लोगों ने निगम की इस कार्रवाई का विरोध भी किया और नारेबाजी भी की, जबकि उन्हें दो दिन का समय देने की मांग भी की गई, लेकिन अदालत के आदेशों के चलते निगम अधिकारी भी बेबस दिखाई दिए और पुलिस फोर्स की मदद से उक्त कार्रवाई को अंजाम दिया। निगम अधिकारियों के मुताबिक इस बाबत निगम की तरफ से पिछले कुछ माह से अस्थाई तौर पर बनी संबंधित दुकानों को खाली करने के लिए दो से तीन बार नोटिस भी दिए गए थे और इन नोटिस के खिलाफ दुकानदारों ने अदालत में याचिका दायर की थी, लेकिन गत दिनों अदालत ने उक्त याचिका का खारिज करते हुए दिए गए नोटिस के अनुसार कार्रवाई करने के आदेश निगम कमिश्नर को दिए गए थे। इसके चलते सोमवार को उक्त कार्रवाई को अमल में लाया गया।
सोमवार को नगर निगम ने जेसीबी के साथ भारी पुलिस फोर्स के साथ उक्त स्थान पर बनी दुकानों को हटाने का काम शुरू किया। कार्रवाई के दौरान दुकानदारों ने नगर निगम से दो दिन का समय देने की मांग रखी, लेकिन नगर निगम ने अपना अभियान जारी रखा व दुकानों को तोड़ने के बाद मलवा साफ नहीं किया गया व कहा गया कि दुकानदार दो दिन के अंदर मलवे में दबे सामान को निकाल सकते हैं। इसके बाद नगर निगम पूरे मलबे को यहां से हटा देगा। वहीं दुकानदारों ने आरोप लगाया कि सोमवार को जब निगम की टीमें पहुंची तो उन्हें सामान निकालने का मौका नहीं दिया, जिससे हर दुकानदार को एक से पांच लाख रुपए तक का नुकसान हुआ है।
बताया जा रहा है कि उक्त जमीन पर्ल कंपनी की तरफ से दो दशक पहले बनाए जा रहे माल के अधीन आती है व चिटफंड के आरोपों के बाद पर्ल कंपनी के प्रबंधकों पर विभिन्न स्थानों में दर्ज किए मामलों के बाद उक्त निर्माणाधीन माल का काम बंद कर दिया गया था व सेबी की हिदायतों के बाद पर्ल कंपनी की जमीनों पर सरकार का कब्जा हो गया था व सरकार जालसाजी के शिकार लोगों को उक्त जमीनों की बिक्री कर उनके पैसे लौटाने की बात कर रही है। फिलहाल पर्ल की जमीनों पर विभिन्न स्थानों में हो रहे कब्जों को हटाने का काम जिला प्रशासन की तरफ से किया जा रहा है। इसी कड़ी में पिछले कुछ साल से इन कब्जाधारकों को जमीन खाली करने की हिदायतें दी जा रही थी, लेकिन राजनीतिक व अन्य कारणों से जमीन पर कब्जा नहीं हटाया गया था।