जालंधर में करोड़ों की बनी सड़कों पर उखड़ रही भ्रष्टाचार की परतें, जनता का पैसा मिट्टी में!

Edited By Urmila,Updated: 10 Nov, 2025 10:15 AM

jalandhar s roads are in bad condition

नगर निगम जालंधर हर साल सड़कों के निर्माण और रखरखाव पर करोड़ों रुपये खर्च कर रहा है, लेकिन शहर की हालत देखकर लगता है जैसे यह पैसा सड़कों के बजाय गड्ढों में जा रहा हो

जालंधर (खुराना) : नगर निगम जालंधर हर साल सड़कों के निर्माण और रखरखाव पर करोड़ों रुपये खर्च कर रहा है, लेकिन शहर की हालत देखकर लगता है जैसे यह पैसा सड़कों के बजाय गड्ढों में जा रहा हो। हालत यह है कि नई बनी सड़कें कुछ ही महीनों में टूट जाती हैं और निगम के अफसर व ठेकेदार एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहते हैं।

सूत्रों के मुताबिक, नगर निगम के बी एंड आर (बिल्डिंग एंड रोड्स) विभाग में अफसरों और ठेकेदारों की मिलीभगत इस हद तक बढ़ चुकी है कि नई सड़कों को ठीक तरह से बनाने के बजाय जल्दबाजी में लुक बजरी की परत डाल दी जाती है, जिससे नीचे दबे सीवरेज के मैनहोल ढूंढना भी मुश्किल हो जाता है। कई मामलों में मैनहोल के ढक्कन सीधे सड़क की परत के नीचे ही दफन कर दिए जाते हैं।

शहर में सड़क निर्माण के मानक नियमों के अनुसार पहले सीवरेज चेंबर और रोड गलियां सही लैवल पर बनाकर ही ऊपर की परत डाली जानी चाहिए, ताकि सड़क और मैनहोल का लेवल समान रहे। मगर जालंधर निगम में यह नियम सिर्फ कागजों तक सीमित है। कई महीने पहले बनी तिलक नगर रोड पर तो निगम ने खुद सड़क खोदकर मैनहोल ढूंढे थे। जहां-जहां सड़क तोड़ी गई, वहां दोबारा लुक बजरी डालने में देरी हुई, जिसके कारण सड़क जल्दी ही उखड़ने लगी। निगम में चर्चा है कि सड़कों को बार-बार तोड़ने और मरम्मत करवाने का खेल इसलिए जारी है ताकि हर बार नए एस्टीमेट बनें और अधिकारियों को कमीशन की आमदनी होती रहे।

कई कच्चे जे.ई. ठेकेदार बने, खुद की लेबर से करवा रहे हैं काम

नगर निगम के ही कुछ ठेकेदारों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बी एंड आर विभाग के कई कच्चे जूनियर इंजीनियर (जे.ई.) अब खुद ठेकेदारी करने लगे हैं। इन जे.ई. ने अपनी पक्की लेबर रखी हुई है और बड़े ठेकेदारों से अलग होकर सड़क निर्माण के छोटे-छोटे काम खुद करवाते हैं। लुक बजरी डालने वाले ठेकेदार को जहां लाखों रुपये मिलते हैं, वहीं सीवरेज चैंबर बनाने के लिए मात्र 6-7 हजार रुपये तय हैं। ऐसे में कई जे.ई. अपनी लेबर से चैंबर बनवाकर ठेकेदार की पेमेंट में से हिस्सा ले लेते हैं।

जानकारों का कहना है कि जब तक मेयर और निगम कमिश्नर इस जे.ई. बने ठेकेदार की परंपरा पर सख्त कार्रवाई नहीं करते, तब तक शहर में बनी नई सड़कें बार-बार टूटती रहेंगीं और जनता का करोड़ों रुपये व्यर्थ जाता रहेगा।

ओ. एंड एम. पर कस चुका है मेयर का शिकंजा, पर बी. एंड आर. अब भी बेखौफ

मेयर द्वारा पिछले कुछ महीनों में ओ. एंड एम. ब्रांच पर तो कुछ हद तक कंट्रोल जरूर किया गया है, लेकिन बी. एंड आर. विभाग अभी भी मेयर के काबू से बाहर माना जा रहा है। चर्चा है कि इस विभाग से जुड़े कुछ अधिकारी एक ताकतवर राजनेता के रिश्तेदार हैं, जिस कारण उन्हें संरक्षण प्राप्त है। इन अधिकारियों की देखरेख में बनी भगवान वाल्मीकि चौक से स्काईलार्क होटल तक की सड़क का हाल भी चौंकाने वाला है। करीब डेढ़ साल पहले लाखों रुपये खर्च कर बनी इस सड़क पर आज तक एक भी सीवरेज मैनहोल नहीं बनाया गया। नतीजा यह है कि सड़क अब टूटनी शुरू हो गई है और बारिश के दिनों में यहां पानी जमा हो जाता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि नगर निगम कमिश्नर को इस मामले में संबंधित जे.ई. और ठेकेदार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करनी चाहिए। इतना ही नहीं, इस सड़क पर कई रोड गलियों को भी लुक बजरी के नीचे दबा दिया गया है।

अब गुरु नानक पुरा रोड तोड़कर ढूंढे जा रहे ढक्कन

कुछ दिन पहले गुरु नानक पुरा रोड का निर्माण एडवोकेट मयंक रानौत द्वारा दाखिल याचिका के बाद किया गया था। सड़क बनते ही अब फिर से सीवरेज के ढक्कन ऊंचे करने का काम चल रहा है। सवाल यह उठता है कि अगर नियमों के अनुसार काम हुआ होता तो नई बनी सड़क दोबारा क्यों तोड़ी जा रही है?

कुल मिलाकर जालंधर नगर निगम का बी. एंड आर. विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में है। करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद शहर की सड़कें कुछ ही महीनों में उखड़ रही हैं। अगर निगम प्रशासन ने जल्द ही इस विभाग में फैले भ्रष्टाचार और लापरवाही पर लगाम नहीं लगाई, तो जालंधर की सड़कों का हाल यूं ही बदतर होता रहेगा और जनता का पैसा बर्बाद होता रहेगा।

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