Edited By Sunita sarangal,Updated: 23 Nov, 2021 12:24 PM

2017 में हुए विधानसभा चुनावों के अंतिम पड़ाव में बाजी पलट गई और आम आदमी पार्टी के हाथों में पंजाब की सत्ता की चाबी आते-आते कांग्रेस के हाथ में खिसक गई।
जालंधर(सोमनाथ): 2017 में हुए विधानसभा चुनावों के अंतिम पड़ाव में बाजी पलट गई और आम आदमी पार्टी के हाथों में पंजाब की सत्ता की चाबी आते-आते कांग्रेस के हाथ में खिसक गई। फिर भी आम आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश ठंडा नहीं पड़ा और 5 वर्ष से पार्टी के नेता और कार्यकर्त्ता पार्टी के हक में प्रचार करने और लहर बनाने में लगे रहे। पिछले एक महीने तक सबकुछ ठीक ठाक चल रहा था कि अचानक जालंधर की जालंधर कैंट और करतारपुर विधानसभा सीटों को छोड़कर बाकी विधानसभा हलकों में पार्टी नेताओं और कार्यकर्त्ताओं का जोश ठडा पड़ गया है।
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यही नहीं मोगा और लुधियाना में सोमवार को आम आदमी पार्टी के प्रोग्राम में कुछ नेताओं को छोड़कर बाकी ने बुलाए जाने के बावजूद इन प्रोग्रामों में जाना मुनासिब नहीं समझा। पार्टी के प्रोग्रामों में नहीं जाने के बारे में पूछने पर नेताओं ने चुप्पी साध ली और दबी जुबान में कहा कि आगे-आगे देखिए होता है क्या? चुप्पी के बीच नेताओं की खुली जुबान ने पार्टी के अंदर पनप रहे रोष और बगावत की ओर इशारा जरूर कर दिया है।
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पुरानों को जिम्मेदारी नहीं, पैराशूट से हो रही एंट्रियां
आम आदमी पार्टी के नेताओं की चुप्पी का सबसे बड़ा कारण जो सामने आ रहा है वह विधानसभा हलकों में जिम्मेदारियों को लेकर है। सूत्रों की मानें तो चुप बैठे नेताओं का कहना है कि जब पार्टी की ओर से उन्हें कोई जिम्मेदारी ही नहीं सौंपी जा रही तो वे मेहनत क्यों करें?
नेताओं का यह भी कहना है कि पार्टी को मजबूत करने के लिए उन्होंने पिछले 7 वर्षों में दिन-रात एक कर दिया और अब जब उन्हें टिकटें देने का मौका है तो पार्टी सर्वे पर सर्वे करवाने लग पड़ी। उनका कहना है कि क्या पार्टी को उन पर भरोसा नहीं है। अगर पार्टी आज उन पर भरोसा ही नहीं कर रही है तो वे जनता के बीच किस मुंह से जाएं और दूसरा अगर पैराशूट उम्मीदवार उतारे जाते हैं तो वे हंसी के पात्र बनकर रह जाएंगे। वहीं कुछ सीटों पर पैराशूट एंट्रियां भी हो रही हैं जो नेताओं का दम तोड़ रही हैं।
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पैराशूट एंट्रियों विरोधी पार्टियों में खुशी की लहर
आम आदमी पार्टी में हाल ही में कुछ विधानसभा सीटों पर हुई पैराशूट एंट्रियों को लेकर विरोधी पार्टियों में खुशी की लहर है। सूत्रों की मानें तो उनकी खुशी का कारण यह है कि अगर पैराशूट नेताओं को टिकट नहीं मिलती है और वे वापस दूसरी पार्टियों में जाते हैं तो अपने साथ कुछ फीसदी वोटें ले जाएंगे, जिसका उन्हें फायदा ही होगा। अगर पैराशूट नेताओं को टिकट मिल जाती है तो पार्टी में बगावत हो सकती है जिसका उन्हें दोहरा फायदा होगा।
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आजाद भी लड़ सकता है बागी
वैसे तो चुनावों के दिनों में एक पार्टी से दूसरी पार्टी में नाराज नेताओं का आना-जाना होता ही है और आम आदमी पार्टी में नाराज नेताओं ने अभी से टिकट नहीं मिलने की सूरत में आजाद चुनाव लड़ने की भी तैयारी कर ली है। फिलहाल में जिम्मेदारियां नहीं मिलने की नाराजगी पार्टी नेताओं को किस ओर ले जाती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
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