Edited By Vatika,Updated: 05 Dec, 2020 01:28 PM
दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने अपने अधिकारों के लिए जीने और मरने की ठान ली है। किसानों का कहना है कि आंदोलन के दौरान भले ही उनके प्राण क्यों ना निकल जाएं, वे मोर्चे से पीछे नहीं हटेंगे।
जालंधरः दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने अपने अधिकारों के लिए जीने और मरने की ठान ली है। किसानों का कहना है कि आंदोलन के दौरान भले ही उनके प्राण क्यों ना निकल जाएं, वे मोर्चे से पीछे नहीं हटेंगे।
यहीं नहीं लगभग सभी किसानों ने गांव में खेतों में काम कर रही उनके परिवार की महिलाओं को यह संदेश भिजवाया है कि हम जीत कर आएंगे और तुम रोटी बना कर रखना। उन्होंने यह भी संदेश दिया है कि अगर इस आंदोलन के दौरान हम जिंदगी की जंग हार गए तो हमारे संस्कार के लिए 5 मण लकड़ियों का भी इंतजाम करके रखना ।मोगा के एक गांव डगरू की 80 साल की बुजुर्ग किसान महिला महिंदर कौर रोज सुबह अपने किसानी से जुड़े कार्य करने के बाद आंदोलन में हिस्सा लेती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस महिला का वृद्ध पति, 2 बेटे व पोते दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर धरने में हिस्सा ले रहे हैं।
इस महिला के अलावा एक और 72 वर्षीय महिला सुरजीत कौर निवासी गांव घल्लकलां के परिवार के सभी सदस्य भी दिल्ली धरने में शिरकत कर रहे हैं। वह भी अपनी दिनचर्या के दौरान किसान आंदोलन में हिस्सा लेती है। यही नहीं बल्कि अपनी पोती के साथ दिल्ली में आंदोलनरत होने की तैयारी कर रही है। गौरतलब है कि पिछले 81 दिनों से किसान कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं और शनिवार को किसानों की सरकार के साथ 5वीं दौर की वार्ता होगी।