नगर निगम जालंधर में फिर मचा हड़कंप! भ्रष्टाचार को लेकर हुए नए खुलासे

Edited By Kalash,Updated: 03 Nov, 2025 10:18 AM

jalandhar municipal corporation

उस समय कुछ अधिकारियों की गिरफ्तारी तक हुई थी और वह जांच आज भी जारी है।

जालंधर (खुराना): कुछ महीने पहले स्टेट विजिलेंस ब्यूरो की टीम ने नगर निगम जालंधर में छापेमारी कर बिल्डिंग ब्रांच में भारी अनियमितताओं और गड़बड़ियों का पर्दाफाश किया था। उस समय कुछ अधिकारियों की गिरफ्तारी तक हुई थी और वह जांच आज भी जारी है। विजिलेंस की कार्रवाई के बाद बिल्डिंग ब्रांच में कुछ समय के लिए ठहराव जरूर दिखाई दिया, लेकिन अब निगम की इंजीनियरिंग शाखा में बड़े स्तर पर गड़बड़ियां सामने आने लगी हैं।

सूत्रों के अनुसार नगर निगम के बी एंड आर तथा ओ एंड एम सेल में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायतें अब पंजाब सरकार के लोकल बॉडीज विभाग, चंडीगढ़ स्थित उच्च अधिकारियों, मुख्यमंत्री कार्यालय और यहां तक कि स्टेट विजिलेंस तक पहुंचनी शुरू हो गई हैं। माना जा रहा है कि जिस तरह विजिलेंस ने कुछ महीने पहले बिल्डिंग ब्रांच के अफसरों पर शिकंजा कसा था, उसी तरह का एक्शन अब बी एंड आर और ओ एंड एम सेल में भी देखने को मिल सकता है।

सैंक्शन और मेंटेनेंस की आड़ में हो रही घपलेबाज

इस समय नगर निगम के बी एंड आर और ओ एंड एम सेल में सैंक्शन और मेंटेनेंस के नाम पर भारी गड़बड़ी चल रही है। कोटेशन आधारित कामों में चहेते ठेकेदारों को तरजीह दी जा रही है, फर्जी कोटेशन लगाई जा रही हैं और ठेकेदारों को पूरे रेट दिए जा रहे हैं। कामों की कोई जांच नहीं की जा रही, पेमेंट फटाफट की जा रही है और ठेकेदारों को मनमाने तरीके से काम बांटे जा रहे हैं।

दूसरी बड़ी गड़बड़ी एस्टीमेट बनाने और मेंटेनेंस के कामों में सामने आ रही है। कई बार बिना फील्ड विज़िट किए और साइट इंस्पेक्शन के बिना ही एस्टीमेट तैयार किए जा रहे हैं। कुछ ऐसे कामों के टेंडर भी निकाले जा रहे हैं जिनकी हल्के में कोई वास्तविक आवश्यकता नहीं है। ठेकेदारों को मेंटेनेंस वर्क्स में अनावश्यक रूप से प्राथमिकता दी जा रही है, कई बार बिना काम किए ही उनके बिल तैयार कर पास किए जा रहे हैं।

सबसे चिंताजनक बात यह है कि अफसरों और ठेकेदारों के बीच बना नैक्सस अब इतना मजबूत हो चुका है कि बिना थर्ड पार्टी जांच के ही बिल पास हो रहे हैं और पेमैंट्स धड़ाधड़ जारी की जा रही हैं। आम आदमी पार्टी की सरकार भले ही भ्रष्टाचार खत्म करने के लाख दावे करे, परंतु नगर निगम में कमीशनखोरी का सिस्टम अब भी पूरी तरह सक्रिय है और ठेकेदारों से निर्धारित कमीशन वसूली जा रही है।

एस.ई. और एक्सियन ने दिखाई सख्ती, जे.ई.–एस.डी.ओ. से मांगीं सभी फाइलें

नगर निगम के ओ एंड एम सेल, जिसके अधीन सीवरेज और वाटर सप्लाई सिस्टम की जिम्मेदारी आती है, में बढ़ती गड़बड़ियों को देखते हुए नए एस.ई. ने अब सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। उन्होंने अपने सेल से संबंधित सभी जेई और एसडीओ को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि दो दिन के भीतर वाटर सप्लाई, सीवरेज और स्ट्रीट लाइट से संबंधित सभी फाइलें उनके कार्यालय में पहुंचा दी जाएं, अन्यथा उन फाइलों के बिल नहीं बनाए जाएंगे।

एस.ई.ने टैंडर सेल के प्रमुख को भी स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि भविष्य में कोई भी फाइल उनकी मंजूरी के बिना किसी जेई या एसडीओ को न दी जाए। इसी प्रकार, नॉर्थ हल्के से संबंधित एक्सियन ने भी अपने सभी जे.ई. और एस.डी.ओ. को पत्र लिखकर कहा कि इस हलके से संबंधित वाटर सप्लाई, ट्यूबवैल मेंटेनेंस और सीवर कार्यों से संबंधित सभी फाइलें 2 दिनों के भीतर उनके कार्यालय में जमा करवाई जाएं। साथ ही, क्षेत्र में चल रहे सभी विकास कार्यों की सूची भी कार्यालय में पहुंचाई जाए। ऐसा न किए जाने की सूरत में विभागीय कार्रवाई के लिए रिपोर्ट भेजने के निर्देश भी दिए गए हैं।

एक ही काम की दो-दो पेमैंट्स होने के आरोप

नगर निगम की इंजीनियरिंग शाखा पर अब यह आरोप भी लगने लगे हैं कि कुछ अधिकारी ठेकेदारों के साथ मिलकर एक ही काम की दो-दो पेमैंट्स करवा रहे हैं। कई बार ऐसे कामों के बिल भी पास कर दिए गए हैं जो वास्तव में हुए ही नहीं। उदाहरण के तौर पर, जब बी एंड आर शाखा किसी नई सड़क का निर्माण करते हुए सीवर चेंबर के ढक्कन ऊंचे करती है, तो वही काम ओ एंड एम सेल भी अपने स्तर पर करवाकर उसका अलग से बिल तैयार करवा देता है।

हालांकि ओ एंड एम सेल में हाल ही में नई नियुक्तियां की गई हैं, लेकिन पुराने अधिकारी अब भी पुराने कार्यों पर हस्ताक्षर कर पुरानी तारीखों में फाइलें तैयार कर रहे हैं। यही वजह है कि विभाग के भीतर लगातार दो पत्र जारी किए गए हैं, जो इस बात की ओर साफ संकेत करते हैं कि गड़बड़ी का सिलसिला अभी भी जारी है।

कुल मिलाकर माना जा रहा है कि नगर निगम की इंजीनियरिंग शाखा में जिस प्रकार अनियमितताएं और भ्रष्टाचार बढ़ रहे हैं, वह न केवल निगम प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हैं, बल्कि आम आदमी पार्टी सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के दावों को भी कटघरे में खड़ा करते हैं। विजिलेंस द्वारा बिल्डिंग ब्रांच में हुई कार्रवाई के बाद अब निगाहें बी एंड आर और ओ एंड एम सेल की संभावित जांच पर टिकी हैं।

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