Edited By Urmila,Updated: 26 Dec, 2025 11:17 AM

कुछ समय पहले जालंधर नगर निगम में कार्यरत कई आऊटसोर्स जूनियर इंजीनियरों पर खुद ठेकेदारी करने और अपने परिवार व रिश्तेदारों के नाम पर खोली गई फर्मों के माध्यम से निगम के काम लेने के गंभीर आरोप सामने आए थे।
जालंधर (खुराना) : कुछ समय पहले जालंधर नगर निगम में कार्यरत कई आऊटसोर्स जूनियर इंजीनियरों पर खुद ठेकेदारी करने और अपने परिवार व रिश्तेदारों के नाम पर खोली गई फर्मों के माध्यम से निगम के काम लेने के गंभीर आरोप सामने आए थे। इन आरोपों के चलते अब आऊटसोर्स कर्मचारी उपलब्ध करवाने वाली कंपनी ग्रेटिस इंडिया से औपचारिक जवाब तलब किया गया है। शिकायतकर्त्ता के अनुसार कुछ कच्चे जे.ई. न केवल ठेकेदारों से सांठगांठ कर रहे हैं, बल्कि निश्चित लाभ तय करके अपनी टीम और लेबर के माध्यम से काम भी खुद करवाते हैं। कुछ मामलों में जे.ई. द्वारा ट्रॉलियों और ट्रैक्टरों के ठेके तक में शामिल होने की शिकायतें आई हैं।
इसी कड़ी में कुछ महीने पहले एक मामले में पाया गया कि एक आऊटसोर्स जे.ई. ने अपने ससुर के नाम से ग्लोबल कंस्ट्रक्शन नामक फर्म बनवाई और जिस क्षेत्र में वह खुद तैनात था, वहीं उसी फर्म को ठेके अलॉट करवा दिए। मामला सामने आने पर मेयर और कमिश्नर ने ग्लोबल कंस्ट्रक्शन को आवंटित सभी कामों पर रोक तो लगा दी, लेकिन संबंधित जे.ई. के विरुद्ध अब तक कोई कार्रवाई न होने पर प्रश्न खड़े हो रहे हैं।
मामला चंडीगढ़ तक पहुंचने के बाद लोकल बॉडीज विभाग के डायरेक्टर ने नगर निगम कमिश्नर से रिपोर्ट तलब की। इसके बाद निगम कमिश्नर ने ज्वाइंट कमिश्नर को तथा ज्वाइंट कमिश्नर ने एस.ई. को रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए। नगर निगम के एस.ई. (बी एंड आर) रजनीश डोगरा ने पुष्टि की है कि इस संबंध में आऊटसोर्सिंग एजैंसी ग्रेटिस इंडिया को पत्र भेजा गया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि संबंधित कर्मचारी निगम के पक्के कर्मचारी नहीं, बल्कि कंपनी के कर्मचारी हैं, इसलिए रिपोर्ट कंपनी से मांगी गई है।
सवाल यह उठ रहा है कि जब ये जे.ई. नगर निगम का काम करते हैं और गड़बड़ियों का सीधा नुकसान निगम को होता है, तो फिर निगम खुद ऐसे कच्चे कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा? शिकायतकर्त्ता के अनुसार कुछ जे.ई. न केवल ठेकेदारी में शामिल हैं बल्कि ठेकेदारों के बिल स्वयं वेरिफाई करते हैं, मेजरमैंट बुक (एम.बी.) तैयार करते हैं और फाइल पास करवाने से लेकर भुगतान तक पूरी प्रक्रिया खुद नियंत्रित करते हैं। इस तरह पूरा सिस्टम एक ही व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमता नजर आता है।
कई साल फाइनेंशियल पॉवर इस्तेमाल करते रहे कच्चे कर्मचारी
पंजाब सरकार के नियमों के अनुसार आउटसोर्स या कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त कर्मचारियों को वित्तीय अधिकार नहीं दिए जा सकते। इसके बावजूद लंबे समय तक नगर निगम जालंधर में आउटसोर्स जे.ई. और एस.डी.ओ. वित्तीय शक्तियां प्रयोग करते रहे, बिल पास करते रहे और प्रोजैक्ट रिकॉर्ड भी संभालते रहे। अब कुछ मामलों के उजागर होने पर आऊटसोर्स जे.ई. से वित्तीय शक्तियां वापस ली गई हैं, जबकि बताया जा रहा है कि आउटसोर्स एस.डी.ओ. के पास अभी भी वित्तीय अधिकार मौजूद हैं।
निगम के वर्तमान सिस्टम से वर्षों से कार्य कर रहे पुराने ठेकेदार धीरे-धीरे साइडलाइन होते जा रहे हैं। कई ठेकेदारों का कहना है कि टेंडरों में पारदर्शिता कम हो गई है और अधिकांश काम टैंडर की बजाय सैंक्शन आधार पर चहेते ठेकेदारों को आवंटित किए जा रहे हैं। ऐसे में वह इस सिस्टम का हिस्सा नहीं बनना चाहते जहां आने वाले समय में उन्हें जांच इत्यादि का सामना करना पड़े।
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