नगर निगम के सैंक्शन–कोटेशन घोटाले की मिली नई शिकायतें, जांच के घेरे में कई अफसर

Edited By Urmila,Updated: 22 Dec, 2025 10:30 AM

the alleged scam in the municipal corporation involved sanctions quotations

भ्रष्टाचार के मामले को लेकर मान सरकार सख्त हैं और कई अफसरों पर शिकंजा कसा जा चुका है।

जालंधर (खुराना) : भ्रष्टाचार के मामले को लेकर मान सरकार सख्त हैं और कई अफसरों पर शिकंजा कसा जा चुका है। सरकार की जीरो टॉलरोंस की नीति रही है और उसी के अनुरूप आप सरकार काम कर रही है। जालंधर नगर निगम में सैंक्शन/कोटेशन के नाम पर हुए कथित घोटालों की ताजा शिकायतें अब पंजाब सरकार और लोकल बॉडीज विभाग के उच्च अधिकारियों तक पहुंच चुकी हैं। इन शिकायतों में आरोप लगाया गया है कि बीते करीब 2 सालों में ट्रांसपेरेंसी एक्ट की आड़ लेकर करोड़ों रुपए के काम नियमों को ताक पर रखकर चंद पसंदीदा ठेकेदारों को सौंप दिए गए।

पंजाब सरकार द्वारा नगर निगम कमिश्नरों को आपात स्थिति में 5 लाख रुपए तक के काम बिना टैंडर, केवल सैंक्शन कोटेशन के आधार पर करवाने का अधिकार दिया गया था। नियमों के मुताबिक यह सुविधा सिर्फ एमरजैंसी नेचर के कामों तक सीमित थी, लेकिन जालंधर नगर निगम में इस प्रावधान का खुलेआम दुरुपयोग किया गया। गैर-जरूरी और जनरल नेचर के कामों को भी एमरजैंसी बताकर सैंक्शन जारी किए गए और करोड़ों के काम बिना टैंडर प्रक्रिया के पूरे करवा दिए गए।

शिकायतों के अनुसार नियम यह कहते हैं कि अधिकारियों को बाजार से वास्तविक कोटेशन लेकर सबसे कम दर वाले ठेकेदार को काम देना चाहिए था, लेकिन जमीनी हकीकत यह रही कि न तो किसी अधिकारी ने बाजार जाकर रेट जांचे और न ही कोटेशन की सच्चाई परखी गई। कुछ ठेकेदारों द्वारा दिए गए संदिग्ध जाली कोटेशन भी फाइलों में लगाकर सैंक्शन पास कर दिए गए।

आरोप है कि नगर निगम में सबसे गंभीर अनियमितताएं स्पाइरल और डेकोरेटिव लाइट्स के कामों में सामने आई हैं। आरोप है कि 5-5 लाख रुपए के एस्टीमेट ब्रांडेड कंपनियों की लाइटों के नाम पर बनाए गए, बिल भी नामी कंपनियों के लगाए गए, लेकिन मौके पर सस्ती चीनी लाइटें फिट कर दी गईं। आज स्थिति यह है कि करोड़ों रुपए की लागत से लगाई गई ज्यादातर स्पाइरल लाइटें पोलों से गायब हैं और उनकी साइट पर जाकर जांच तक संभव नहीं रह गई है।

सुपर सक्शन मशीन, हॉर्टिकल्चर, ब्यूटीफिकेशन, बी एंड आर, ओ एंड एम और स्ट्रीट लाइट जैसे विभिन्न विभागों में भी टैंडर प्रक्रिया को दरकिनार कर सैंक्शन कोटेशन के जरिए काम बांटे गए। आरोप है कि एक-एक ठेकेदार को अलग-अलग नेचर के काम देकर यह साफ कर दिया गया कि काम की क्वालिटी या जरूरत से ज्यादा ठेकेदार की नजदीकी को महत्व दिया गया।

टैंडर में भारी डिस्काउंट, सैंक्शन में नाममात्र

नगर निगम में नियमित टैंडर प्रक्रिया के दौरान जहां 25 से 30 प्रतिशत तक का डिस्काउंट आम मिलता रहा है, वहीं वह काम सैंक्शन कोटेशन के तहत केवल 1–2 प्रतिशत की मामूली कटौती पर चहेते ठेकेदारों को दे दिए गए। इससे निगम को सीधे तौर पर करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ और चुनिंदा ठेकेदारों को भारी आर्थिक लाभ पहुंचा।

सूत्रों का दावा है कि सैंक्शन/कोटेशन आधारित इन कामों में जीएसटी भुगतान, परचेज और बिलिंग में भी बड़े स्तर पर हेराफेरी हो सकती है। कई मामलों में जाली कोटेशन और संदिग्ध दस्तावेजों के सबूत चंडीगढ़ तक पहुंच चुके हैं। इस पूरे प्रकरण को लेकर विजिलेंस विभाग में भी शिकायत दर्ज करवाई जा चुकी है। शिकायतकर्त्ताओं का कहना है कि यदि निष्पक्ष और गहन जांच होती है तो केवल जे.ई. और एस.डी.ओ. स्तर के कर्मचारी ही नहीं, बल्कि उच्च पदों पर बैठे अधिकारी भी कार्रवाई से नहीं बच पाएंगे, क्योंकि इन सभी फाइलों पर उनके हस्ताक्षर मौजूद हैं।

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