Edited By Vatika,Updated: 16 Jul, 2019 02:03 PM
नवजोत सिद्धू द्वारा कैबिनेट मंत्री के तौर पर इस्तीफा देने के बाद पंजाब के सियासी गलियारे में कैप्टन-बादल के बीच फ्रैंडली मैच होने का मुद्दा एक बार फिर गर्मा गया है।
लुधियाना(हितेश): नवजोत सिद्धू द्वारा कैबिनेट मंत्री के तौर पर इस्तीफा देने के बाद पंजाब के सियासी गलियारे में कैप्टन-बादल के बीच फ्रैंडली मैच होने का मुद्दा एक बार फिर गर्मा गया है।
वर्णनीय है कि लोकसभा चुनाव के दौरान सिद्धू ने कैप्टन-बादल का नाम लिए बिना फ्रैंडली मैच होने की टिप्पणी की थी जिसे लेकर कैप्टन ने बठिंडा सीट की हार का ठीकरा सिद्धू के सिर फोड़ते हुए हाईकमान को शिकायत की थी। इसी को आधार बनाकर कैप्टन ने सिद्धू का विभाग बदलने का फैसला लिया है जिसके बाद पैदा हुए विवाद का अंत सिद्धू के इस्तीफे से हुआ है। इस बहाने कैप्टन-बादल के विरोधियों को उन पर सियासी हमला करने का मौका मिल गया है जिसमें मुख्य रूप से सुखपाल खैहरा व टकसाली अकाली दल के नेता सेवा सिंह सेखवां शामिल हैं। उनके द्वारा आरोप लगाए जा रहे हैं कि फ्रंैडली मैच की पोल खोलने की कीमत सिद्धू को मंत्री पद से हाथ धोकर चुकानी पड़ी है।
‘आप’ मंत्रालय संभालकर बिजली समझौते की पोल खोलने की दे रही है सलाह
आम आदमी पार्टी द्वारा सिद्धू को इस्तीफा देने की बजाय मंत्रालय संभालकर बिजली समझौते की पोल खोलने की सलाह मिल रही है। विधायकों हरपाल चीमा व अमन अरोड़ा का कहना है कि सिद्धू को पिछली सरकार द्वारा प्राइवेट कंपनियों के साथ किए गए 25 साल के पावर परचेज एग्रीमैंट को रद्द करना चाहिए।
सिद्धू द्वारा 10 साल तक मोर्चा खोलकर रखने को लेकर सबक सिखाने के लिए बादल परिवार द्वारा कैप्टन के जरिए उनका सियासी भविष्य खत्म करने की साजिश रची गई है। इसके अलावा सिद्धू की बढ़ती लोकप्रियता से कैप्टन को खतरा महसूस हो रहा था जिसकी कीमत उन्हें चुकानी पड़ी।
-हरपाल चीमा, विधानसभा में विपक्ष के नेता
कैप्टन द्वारा बाकी मंत्रियों के विभागों में फेरबदल सिर्फ दिखावे के लिए किया गया है, जबकि मुख्य निशाना तो सिद्धू को बनाया गया है, क्योंकि पाक प्रधानमंत्री इमरान खान के सामने मुद्दा उठाकर करतारपुर कोरीडोर के मामले में फैसला करवाने के बाद सिद्धू का जनाधार काफी बढ़ रहा था।
- सुखपाल खैहरा, पंजाब एकता पार्टी