Edited By Tania pathak,Updated: 03 Nov, 2020 11:25 AM
प्रदेश की विभिन्न जत्थेबंदियों ने मिलकर 5 नवंबर को प्रस्तावित देशभर में चक्का जाम करने का निर्णय लिया है जिसके लिए 67 टीमें भी बनाई गई है। 5 नवंबर के चक्का जाम के लिए बनाई गई 67 टीमें प्रदेश में सभी नेशनल और स्टेट हाईवे जाम करेगी ताकि इस कोई भी...
पंजाब/चंडीगढ़: पंजाब में केंद्र सरकार द्वारा लागू किए कृषि बिलों के खिलाफ किसान जत्थेबंदियों में भारी रोष देखने को मिल रहा है। करीब एक महीने पहले से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन अभी तक थमता नजर नहीं आ रहा। हर दिन किसानों द्वारा नेताओं के घरों का घेराव कर उनके खिलाफ जमकर भड़ास निकाली जा रही है। इनके विरोध में अलग-अलग जत्थेबंदियों और पंजाबी कलाकारों द्वारा जगह-जगह पर धरने लगाए जा रहे हैं। इन धरनों में पंजाबी कलाकार भी किसानों के साथ खड़े हैं और अपना योगदान दे रहे हैं। किसान जत्थेबंदियों ने मांग की है कि इन बिलों को वापिस लिया जाए नहीं तो संघर्ष की रफ्तार और बढ़ाई जाएगी।
इसी सिलसिले में प्रदेश की विभिन्न जत्थेबंदियों ने मिलकर 5 नवंबर को प्रस्तावित देशभर में चक्का जाम करने का निर्णय लिया है जिसके लिए 67 टीमें भी बनाई गई है। 5 नवंबर के चक्का जाम के लिए बनाई गई 67 टीमें प्रदेश में सभी नेशनल और स्टेट हाईवे जाम करेगी ताकि इस कोई भी पंजाब से आ-जा न सके।
राज्य के इन स्टेट व नेशनल हाईवे पर किसान करेंगे प्रदर्शन
मलोट-डबवाली हाईवे, पटियाला-पांतड़ा-मूनक-हिसार मार्ग, पटियाला-सरहिंद-मोहाली मार्ग, चंडीगढ़-रोपड़-खरड़-कीरतपुर साहिब-आनंदपुर साहिब हाईवे, खरड़-लुधियाना-तलवंडी साबो-फिरोजपुर हाईवे, मुल्लांपुर-रायपुर-बरनाला स्टेट हाईवे, मोगा-कोटकपूरा स्टेट हाईवे, फिरोजपुर-जीरा-धर्मकोट स्टेट हाईवे, टांडा-होशियारपुर-गढ़शंकर-बलाचौर हाईवे, जालंधर-होशियारपुर-मुबारकपुर हाईवे, शंभू बैरियर से अमृतसर, पठानकोट-गुरदासपुर-तरनतारन-फिरोजपुर से राजस्थान बॉर्डर के मार्ग, पठानकोट-जालंधर हाईवे, जालंधर-बरनाला से हरियाणा जाने वाले हाईवे, जीरकपुर-राजपुरा-पटियाला मार्ग, बठिंडा-गिद्दड़बाहा-मलोट-अबोहर-फाजिल्का मार्ग
गौरतलब है कि कृषि कानूनों के कारण पंजाब में सियासत का समीकरण भी पूरी तरह से बदल दिया है। शिरोमणि अकाली दल ने अपना भाजपा के साथ 24 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की तरफ से भी केंद्र के खिलाफ जमकर विरोध किया जा रहा है। पंजाब में विधान सभा चुनावों को करीब सवा वर्ष बाकी है। फरवरी 2022 को विधानसभा चुनावों का समय है। परन्तु राज्य में चुनावी सक्रियता अभी से तेज़ हो गई है।
किसानों के साथ महिलाएं और बच्चे भी मोर्चे पर डटे हैं। रेलवे ट्रैक, टोल प्लाजा और पेट्रोल पंपों पर किसानों द्वारा जमकर नारेबाजी की जा रही है। इस कारण पंजाब में अनेक जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति बंद हो गई है। कोयले की आवाजाही ठप होने से राज्य के थर्मल प्लांटों में बिजली उत्पादन ठप हो गया है। अगर ये हालत ऐसे ही रहे तो लॉकडाउन के बाद अब एक बार फिर फेस्टिव सीजन में पंजाब की चरमराई अर्थव्यवस्था की हालत और बिगड़ सकती है।