Edited By swetha,Updated: 20 Aug, 2019 09:31 AM
अधिक बारिश का पानी आने से निचले इलाकों में तबाही का खतरा
नंगल/रूपनगर/जालन्धर (सैनी, राजवीर, विजय, धवन): हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के चलते भाखड़ा बांध का जलस्तर सोमवार सुबह 1681.30 फीट तक पहुंच गया था। बी.बी.एम.बी. मैनेजमैंट की केंद्र सरकार के साथ हुई उच्च स्तरीय बैठक के बाद भाखड़ा बांध के चारों फ्लड गेट 8 फीट तक खोल दिए गए। इस कारण सतलुज दरिया का जलस्तर बढ़ने से पंजाब के 62 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए, जिनमें 24 गांव जिला रोपड़, 33 गांव जिला जालंधर और कपूरथला के 5 गांव शामिल हैं, जबकि 169 गांव सुरक्षा की दृष्टि से खाली करवा लिए गए हैं। खाली करवाए गए गांवों में नवांशहर के 67, फिरोजपुर के 50 और जिला जालंधर के 52 गांव शामिल हैं।
अधिक बारिश का पानी आने से निचले इलाकों में तबाही का खतरा
भाखड़ा बांध से अब नंगल बांध के लिए 77 हजार क्यूसिक से अधिक पानी जाना शुरू हो गया है, जोकि पहले रूटीन में पावर जनरेशन के लिए 37 हजार क्यूसिक छोड़ा जाता है। इसके अलावा रूटीन में नंगल हाईडल नहर के लिए 12,350 क्यूसिक और आनंदपुर हाईडल नहर के लिए 10,150 क्यूसिक पानी छोड़ा जाता है। बाद दोपहर 3 बजे नंगल डैम में सतलुज दरिया के लिए 54,800 क्यूसिक के करीब पानी जाना शुरू हो गया है जिससे अब सतलुज दरिया में अधिक पानी बढ़ने से लोगों में बाढ़ का खतरा और अधिक हो गया है। अगर स्वां नदी सहित कई छोटी नदियां-नालों में बारिश का पानी बढ़ता है तो निचले इलाकों में यह काफी तबाही मचा सकता है।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों एन.डी.आर.एफ. की 26 टीमें बचाव कार्य में जुटी
बी.बी.एम.बी. के चेयरमैन अनुसार भाखड़ा बांध में 1682 फीट से अधिक पानी नहीं होने दिया जाएगा। हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में हो रही लगातार बारिश के कारण भाखड़ा बांध में पानी की आवक 1 लाख क्यूसिक रही। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तैनात एन.डी.आर.एफ. की 26 टीमों ने 1130 लोगों व 75 पशुओं को बचाया है।
बाढ़ प्रभावित गांव प्राकृतिक आपदाग्रस्त घोषित
पंजाब सरकार ने राज्य के बाढ़ प्रभावित गांवों को प्राकृतिक आपदाग्रस्त घोषित कर दिया है। मुख्यमंत्री ने वित्तीय आयुक्त राजस्व (एफ.सी.आर.) को इस संबंध में तुरन्त आवश्यक नोटीफिकेशन जारी करने के निर्देश दे दिए हैं। उन्होंने एफ.सी.आर. को निर्देश दिए हैं कि गांवों को एक इकाई मान कर उसे आधिकारिक रूप से प्राकृतिक आपदाग्रस्त घोषित किया जाए ताकि प्रभावित लोग होने वाले नुक्सान का मुआवजा विभिन्न बीमा कम्पनियों से भी ले सकें।