Kisan Andolan: सिंघु बार्डर पर भी किसान नहीं भूले ये सब...पढ़ें पूरी खबर

Edited By Vatika,Updated: 22 Jan, 2021 12:15 PM

farmer protest

सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर बैठे किसान संघर्ष के बीच ईश्वर को याद करना भी नहीं भूले हैं

चंडीगढ़ (अर्चना सेठी): सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर बैठे किसान संघर्ष के बीच ईश्वर को याद करना भी नहीं भूले हैं। घर, परिवार और सुख सुविधाओं से दूर ट्रैक्टर और ट्रॉलियों में बैठे युवा से लेकर बुजुर्ग दिन में नियमानुसार सिमरन करते हैं। लोग अपने-अपने धर्म के अनुसार पूजा पाठ कर रहे हैं। कोई जपुजी साहिब का जाप कर रहा है, तो कोई नामधारी गुरु का नाम लेकर धर्म निभा रहा है। कोई रहीरास का पाठ कर रहा है, तो कुछ बार्डर पर नानकहट बनाकर सिमरन कर रहे हैं। कोई मंत्रोच्चारण कर संघर्ष को सशक्त बनाने में लगा हुआ है।
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ऐसे ही महिलाएं भी हैं जिनका कहना है कि बॉर्डर पर लोगों के लिए खाना पकाने को ही ईश्वर का प्रसाद बनाना मान कर सेवा कर रही हैं। महिलाएं बच्चों को गोद में लिए अरदास कर लेती हैं। हालांकि कुछ लोग किसानों के संघर्ष को आगे बढ़ाने को ही भक्ति मानकर चल रहे हैं। किसान आंदोलन को 56 दिनों से ज्यादा का समय बीत चुका है। लाखों की तादाद में किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड निकालने की तैयारियां कर रहे हैं। पंजाब और हरियाणा से भी ट्रैक्टर और लोग बार्डर पर पहुंचने की तैयारियां कर रहे हैं परंतु इन सब के बीच बॉर्डर पर सुबह के समय नियमित पूजा-पाठ और अरदास होती है।

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श्री गुरु गोबिंद सिंह जयंती भी धूमधाम के साथ मनाई
भारतीय किसान यूनियन की नेता हरिंदर कौर बिंदु का कहना है कि बार्डर पर ही गुरुपर्व भी मनाया। सभी धर्म के लोगों ने श्रद्धाभाव के साथ हिस्सा लिया था। लोहड़ी का पर्व भी सभी ने मिलकर मनाया था। भले सब लोग घरों से दूर हैं लेकिन अपने रीति रिवाजों से दूर नहीं हुए हैं। यहां सब एक दूसरे के धर्म और रीति रिवाज का भरपूर सम्मान करते हैं। सब एक होकर काले कानूनों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं और एक-दूसरे के धर्म और रिवाजों को भी अपना रहे हैं। यहां मंदिर, गुरुद्वारे या मस्जिदें तो बनाई हैं लेकिन सब अपने-अपने ईश्वर को मन में याद कर रहे हैं।

नियमानुसार करते हैं सिमरन
पंजाब के रामपुरा फूल ब्लॉक से किसान आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए टिकरी बार्डर पर आए 39 वर्षीय गुरप्रीत सिंह राधास्वामी हैं। उनका कहना है कि देश का किसान इस वक्त सड़क पर है। सरकार किसानों की मांग सुनने को तैयार नहीं है। ऐसे में देश के अन्नदाता का साथ देना बहुत ही जरूरी हो गया है और वह साथ देने के लिए अपने घर परिवार को छोड़ बॉर्डर पर बैठे हैं। बॉर्डर पर भी वह नियमानुसार पांच नामों का सिमरन जरूर करते हैं। गुरप्रीत सिंह का कहना है कि उनके साथ छह नामधारी साथी भी बॉर्डर पर एक साथ ही नाम लेकर परमात्मा को याद करते हैं। सब साथी यही चाहते हैं कि सरकार किसानों की बात सुन ले और संघर्ष जल्द समाप्त हो जाए, ताकि लोग घरों को लौटकर अपने साथियों से मिल सकें। पंजाब से आए 35 साल के भोला का भी यही कहना है कि बॉर्डर पर सभी धर्मों के लोग हंै और वह अपनी श्रद्धा के अनुसार अपने ईश्वर का सिमरन कर लेते हैं।

जाप के बाद करते हैं सेवा
संगरूर से किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए टिकरी बॉर्डर पर आए आकाशदीप सिंह चीमा ने बी.बी.ए. की ऑनलाइन परीक्षा भी बॉर्डर से ही दी है। हालांकि आईलैट्स की परीक्षाओं को आकाशदीप ने होल्ड कर दिया है और दिन-रात किसानों का साथ देेने के लिए सेवा में जुटे हुए हैं। 30 मिनट तक जपुजी साहिब का पाठ करते हैं। टिकरी बॉर्डर के पकौड़ा चौक पर बनाई नानक हट में बैठ कर पाठ करते हैं और उसके बाद बॉर्डर पर लोगों की सेवा करते हैं। कभी उन्हें खाना खिलाते हैं और कभी बुजुर्गों के पांव दबाकर दर्द को दूर करने की कोशिश करते हैं। आकाशदीप का कहना है कि वह जब अपने घर पर थे तब भी नियमित तौर पर पूजा पाठ करते थे और अब बॉर्डर पर आकर भी रूटीन को तोड़ा नहीं है। परमात्मा सब जानते हैं, उन्हें पता है कि अन्नदाता इस समय मुश्किल में है। संघर्ष के साथ-साथ जब हम लोग सिमरन कर रहे हैं तो ऊपर वाला किसान संघर्ष को मजबूती प्रदान करेगा। नानकहट में गुटका साहिब को सम्मान के साथ रखा गया है और उसके अलावा कई धार्मिक पुस्तकें भी यहां रखी गई हैं, ताकि लोग उन्हें पढ़कर अपने तनाव को दूर कर सकें।

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