कोविड फर्जी रिपोर्ट मामले में पुलिस व प्रशासनिक मशीनरी बचा रही दोषियों को: मजीठिया

Edited By Mohit,Updated: 13 Jul, 2020 11:04 PM

bikram singh majithia

कोविड-19 जांच की फर्जी रिपोर्ट मामले में शिरोमणि अकाली दल ने आज आरोप लगाया कि............

चंडीगढ़ः कोविड-19 जांच की फर्जी रिपोर्ट मामले में शिरोमणि अकाली दल ने आज आरोप लगाया कि अमृतसर स्थित तुली प्रयोगशला और ईएमसी अस्पताल को पुलिस व प्रशासनिक अफसर कांग्रेस नेताओं के इशारे पर बचा रहे थे। यहां जारी बयान में पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के इस दावे में कोई दम नहीं है कि प्रयोगशाला प्रबंधन के खिलाफ मामला सतकर्ता विभाग से वापिस लेकर जिला पुलिस को इसलिए दिया गया कि उसमें कोई अधिकारी संलिप्त नहीं था। मजीठिया ने कहा कि मामले में 20 दिनों के बाद भी कोई गिरफ्तारी न होना ही यह साबित करने के लिए काफी है कि प्रशासनिक व पुलिस मशीनरी पर प्रयोगशाला प्रबंधन के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने को लेकर सत्तारूढ़ कांग्रेस का दबाव है। 

उन्होंने कहा कि सतर्कता विभाग ने तुली डायग्नोस्टिक सेंटर और ईएमसी अस्पताल के मालिकों के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया था, ऐसे में जांच वापिस पुलिस को सौंपने से गलत संदेश जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि जिला स्तरीय एसआईटी मामले में लीपापोती करेगी और प्रयोगशाला व अस्पताल प्रबंधन को ‘क्लीन चिट‘ दे देगी। मजीठिया ने कहा कि यह मानवता के खिलाफ अपराध है क्योंकि प्रयोगशाला ने कोरोना नैगेटिव मरीजों को पॉजिटिव घोषित किया ताकि ईएमसी अस्पताल प्रबंधन के साथ मिलकर उनसे लाखों की लूट की जा सके। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अधिकारियों ने मामले में शिकायतों को दबाने व शिकायतकर्ताओं को डराने-धमकाने की कोशिश भी की। ऐसे में अधिकारी अपने खिलाफ ही जांच नहीं कर सकते।

मजीठिया ने कहा कि सतकर्ता विभाग की जांच सही दिशा में जा रही थी और उन्हें रोककर मुख्यमंत्री ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई को रोक दिया है। उन्होंने कहा कि अमृतसर से कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला ने भी यह मामला जनहित में उठाया था और कहा था कि मामले की जांच सतकर्ता विभाग से लेकर पुलिस को नहीं सौंपी जानी चाहिए। मजीठिया ने कहा कि सांसद ने प्रकरण की पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के किसी मौजूदा न्यायाधीश से जांच कराए जाने की मांग भी की है। मजीठिया ने मुख्यमंत्री से तुरंत यह फैसला बदलने की मांग करते हुए कहा कि प्रयोगशाला व अस्पताल के कारण निर्दोष लोगों को अकल्पनीय तकलीफों का सामना करना पड़ा जिनमें एक नौ माह की गर्भवती महिला-डॉ. अनम खुल्लरर भी थीं।

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