Video: दुखों के साथ छिड़ी ‘जंग ’ जीती, जालंधर की इस महिला ने कार को बनाया ढाबा

Edited By Sunita sarangal,Updated: 22 Apr, 2021 02:42 PM

this woman from jalandhar convert the car as dhaba

कहते हैं अगर मन में कुछ करने की इच्छा हो तो इंसान बड़ी से बड़ी मुश्किल को भी आसानी से पार कर जाता है। काम चाहे घर का हो या........

जालंधर: कहते हैं अगर मन में कुछ करने की इच्छा हो तो इंसान बड़ी से बड़ी मुश्किल को भी आसानी से पार कर जाता है। काम चाहे घर का हो या फिर दफ्तर का, एक महिला जब उस काम को करने का जज्बा बना लेती है तो वह उस काम में अपनी जान लगा देती है। ऐसा ही जालंधर की मनिन्दर कौर ने करके दिखाया है, जिसने अपनी साधारण सी जिंदगी में कुछ अलग करके अपनी अलग पहचान बनाई है। मनिन्दर ने कार को ही ढाबा बना कर जालंधर में अपनी अलग पहचान बनाई है। 

पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए मनिन्दर कौर ने बताया कि छोटी-सी उम्र में उसके मां-बाप उसे ननिहाल छोड़ कर चले गए थे। उन्होंने बताया कि पिता बाहर थे और मां उन्हें चौथी कक्षा में पढ़ते समय नानी के पास डविडा हरियाणा होशियारपुर में छोड़ कर चली गए थी। उन्होंने बताया कि उनकी जिंदगी सिर्फ घर में रोटी और चाय बनाने के लिए ही रह गई। उन्होंने बताया कि साल 2001 में वह 12वीं कक्षा में थी और उसी साल उनकी शादी जालंधर के चुगिट्टी में हो गया। गांव की होने के कारण वह घर का सारा काम करती थी। उनके पति कुलविन्दर मलेशिया में रहते थे। घर के हालात ऐसे हो गए थे कि पति वापिस विदेश नहीं जा सके। वे फिर किराए के मकान में रहने लगे और उनके पति गाड़ी चलाने लगे। एक दिन उनके पति किसी के साथ मोटरसाइकिल पर जा रहे थे कि अचानक एक हादसा घट गया। हादसे में उनके पति के पैर में फ्रैक्चर होने के कारण वह तकरीबन 3 तीन साल तक बैड पर ही रहे, इसलिए घर का गुजारा बहुत मुश्किल हो गया था।

PunjabKesari, this woman from Jalandhar convert the car as dhaba

इसके बाद उनके ससुर की भी मौत हो गई और दोनों बेटे उस समय बहुत ही छोटे थे। उन्होंने बताया कि वे जहां किराए के मकान में रहते था वहां स्पोर्ट्स के लड़के भी रहते थे। उनमें से एक लड़के ने कहा कि वो उनकी रोटी बना दिया करें। फिर उन्होंने 5 लड़कों की रोटी घर में ही बनानी शुरू की और फिर धीरे-धीरे 50 लड़कों का खाना बनाने लग गई।

रिश्तेदारों के भी सुनने पड़े ताने 
मनिन्दर ने बताया कि जब वह स्पोर्टस लड़कों का खाना बनाती था तो कई बार उन्हें रिश्तेदारों से भी कई तरह के ताने सुनने पड़े। जब स्पोर्टस के लड़के चले गए तो उस समय ऐसे हालात भी बने कि उन्होंने दूसरों के घरों में जाकर काम भी किया। फिर उनकी एक सहेली ने कहा कि दोनों मिलकर इकट्ठे काम करते हैं। उनके पति के एक दोस्त ने एक गाड़ी दी और फिर वे उस पर सारा ढाबे का काम करने लग गए। 

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एक महीने तक काम बढ़िया चला लेकिन एक बार उन्हें गाड़ी नहीं दी गई। फिर उन्होंने 300 रुपए के किराए पर आटो में खाना लाकर बेचना शुरू किया। उन्होंने बताया कि फिर एक सरदार जी ने उनकी मदद की और 50 हजार रुपए दिए। इसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने अपनी गाड़ी ले ली, जिसे उसके पति ही चलाते हैं। इस दौरान फिर धीरे-धीरे जिंदगी कुछ बढ़िया हो गई। उन्होंने बताया कि वह सुबह साढ़े तीन बजे उठ कर खाना बनाने का सारा काम करती हैं, जिसमें उनका परिवार भी काफी साथ देता है। 

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