अभिभावकों का छलका दर्द, बच्चों को वापिस लाने के लिए इस तरह जताया रोष

Edited By Urmila,Updated: 28 Feb, 2022 02:22 PM

the pain of the parents spilled expressed anger in this way

युक्रेन में भारतीय विद्यार्थियों के सुरक्षित होने की बातें की जा रही हैं परन्तु हालात ऐसे बने हुए हैं कि बच्चे डर के साए नीचे अलग-अलग स्थानों पर पनाह लेकर रह रहे हैं। पिछले कुछ दिनों...

जालंधर (पुनीत): युक्रेन में भारतीय विद्यार्थियों के सुरक्षित होने की बातें की जा रही हैं परन्तु हालात ऐसे बने हुए हैं कि बच्चे डर के साए नीचे अलग-अलग स्थानों पर पनाह लेकर रह रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से सरकार की तरफ से भरोसे दिए जा रहे हैं कि बच्चों को सही-सलामत भारत वापिस लाया जाएगा परन्तु कई दिन बीत जाने के बाद भी ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है जिस कारण वह बेहद चिंतित हैं। उक्त बातों का दिखावा मॉडल टाऊन पहुंचे यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों के माता-पिता ने किया।

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जालंधर, भोगपुर, पठानकोट, कपूरथला, फाजिल्का और दसूहा समेत कई कस्बों और शहरों से माता-पिता बीते दिन शाम को माडल टाऊन में गोल मार्केट नजदीक इकठ्ठा हुए और शांतमयी ढंग के साथ रोष मार्च निकाला और केंद्र सरकार से बच्चों को वापिस लाने की मांग की। हाथों में तख्तियां लेकर माता-पिता बेहद परेशान नजर आ रहे थे और तख्तियों पर कई तरह के स्लोगन लिखे हुए थे। मुख्य तौर पर ‘हेल्प फॉर स्टूडैंट्स’, ‘दि स्टूडेंट्स आर विदाउट फूड एंड वाटर’, ‘स्टाप वार’, ‘फेवर इंडियन स्टूडेंट्स’, ‘सरकार कदम उठाए’ जैसे स्लोगन लिखे हुए थे। कई माता-पिता ने कहा कि वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा बच्चों के साथ उनकी बात हुई है और उन्होंने सड़कों के खराब हालात और तबाह हुई इमारतें भी दिखाई।

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मॉडल टाऊन में बातचीत दौरान बच्चों के माता-पिता ने बताया कि यूक्रेन के इस्टर्न बार्डर पर सबसे दर्दनाक हालात बने हुए हैं। वहां बच्चे भेड-बकरियों की तरह बंकरों में पनाह लिए बैठे हैं। इस दौरान एक परिवार ने अपने बच्चों को वीडियो कॉल की और वहां ऐसे हालात थे कि बच्चों के लिए ठीक ढंग के साथ बैठ सकना भी मुश्किल था। वीडियो कान्फ्रेंसिंग दौरान जब फोन काट दिया गया तो उन्होंने कहा कि उनकी आंखों में से दर्द ‘छलक’ गया और उनके आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। लोगों ने कहा कि वह सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए इकठ्ठा हुए हैं जिससे उनके बच्चों को वापिस लाने के लिए तेजी के साथ कदम उठाए जाएं क्योंकि उनके बच्चे फोन करके बार-बार एक ही बात कह रहे हैं कि माता-पिता उनको वापस लाने के लिए कुछ करें और सरकारों तक उनकी बात पहुंचाएं।

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मॉडल टाऊन में मौजूद माता-पिता ने बताया कि यूक्रेन में उनके जो बच्चे फंसे हुए हैं उनमें जालंधर हाइट्स का रहने वाला मेडिकल का विद्यार्थी अजय आहूजा, कैंट का अनिकेत शर्मा, जतिन सहगल, रिदिमा राजेश्वरी, संदेश गुप्ता, दिसंबर में गई स्वाती, फाजिल्का से दीक्षा, लुधियाना से शीनम अरोड़ा, साया, रिशया ढींगरा समेत कई बच्चे शामिल हैं।

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देश के भविष्य बारे सोचे सरकार
अभिभावकों ने कहा कि बच्चे मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन गए हुए हैं। उन्होंने वापिस आकर यहीं मरीजो की सेवा करनी है। यूथ देश का भविष्य है इसलिए सरकार को चाहिए कि वह नौजवानों और देश के भविष्य बारे सोचे। इस सम्बन्ध में आने वाले दिनों में हालात और खराब हो सकते हैं क्योंकि बच्चे बहुत डरे हुए हैं। बच्चों के मातापिता ने कहा कि इससे पहले भी कई देशों में हालात खराब हुए हैं। उस समय भी सुषमा स्वराज विदेश मंत्री थे। तब जिस तरह बच्चों को एयरलिफ्ट किया गया था उसी तरह के कदम अब उठाने की जरूरत है।

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