तो क्या कांग्रेस आलाकमान के कहने पर "गुरु फिर होंगे शुरू" !

Edited By Suraj Thakur,Updated: 22 Jan, 2020 12:29 PM

the congress high command remembered navjot singh sidhu

दिल्ली चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस आलाकमान को एक बार फिर से पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की याद आई है।

जालंधर। (सूरज ठाकुर) दिल्ली चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस आलाकमान को एक बार फिर से पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की याद आई है। उनका नाम इस बार स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल कर लिया है। यूं कहिए की आलाकमान का इशारा है कि "गुरु फिर हो जा शुरू"। लंबे समय से सीएम कैप्टन अमरेंद्र सिंह का राजहठ और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का दंश झेल रहे सिद्धू क्या दिल्ली चुनाव प्रचार में जाएंगे, यह अपने आप में बड़ा प्रश्न है। चूंकि बीते साल दिल्ली की पूर्व सीएम और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित के निधन के बाद यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि सिद्धू को दिल्ली का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। हांलांकि कांग्रेस आलाकमान ने इस बात से मीडिया में बयान देकर किनारा ही कर लिया था।

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राहुल के बाद दूसरे नंबर पर रहे हैं स्टार प्रचारक
2018 की बात करें तो छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान इन तीनों ही राज्यों में कांग्रेस की वापसी हुई थी। कांग्रेस आलाकमान के करीबी माने जाने वाले स्टार प्रचारक सिद्धू ने उस समय इन तीनों राज्यों में चुनाव प्रचार के दौरान 17 दिनों में करीब 82 चुनावी ताबड़तोड़ रैलियां की थी। कांग्रेस पार्टी में राहुल गांधी के बाद दूसरे नंबर पर नवजोत सिंह सिद्धू स्टार प्रचारकों की लिस्ट में थे। वह उस वक्त भाजपा के निशाने पर आ गए थे जब वह इमरान के शपथ ग्रहण समारोह से पहले पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा से गले मिले थे। इस घटनाक्रम ने उन्हें सियासी संकट में डाल दिया था, जिससे वह अभी भी उबर नहीं पा रहे हैं। पाकिस्तान भारत को लेकर कुछ भी हरकत करता है तो सोशल मीडिया पर लोग उनसे तरह-तरह के सवाल पूछने लगते हैं। हरियाणा और महाराष्ट्र के विधान सभा चुनाव में भी कांग्रेस सिद्धू को कोई जिम्मेदारी देने से कतराती रही।

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कैप्टन से ऐसे ज्यादा बिगड़े संबंध
सिद्धू ने स्थानीय निकाय मंत्री से इस्तीफा देने के बाद चुप्पी साध रखी है। सीएम कैप्टन अमरेंद्र सिंह मतभेद होने के बाद भी उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी है। जबकि वह किसी और फ्रंट में शामिल होने को लेकर आए दिन चर्चा में रहते हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में पंजाब में चार सीटें हारने के बाद कैप्टन ने सिद्धू को जिम्मेदार ठहराया था। इससे पूर्व वह अपनी पत्नी नवजोत कौर को चुनाव में टिकट न दिए जाने के लिए भी खफा थे। सीएम कैप्टन अमरेंद्र ने 6 जून को मंत्रिमंडल के पुनर्गठन में उनसे स्थानीय निकाय, पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों का विभाग लेकर उन्हें बिजली विभाग दिया था। हालांकि उन्होंने नए मंत्रालय प्रभार को संभालने से इंकार कर दिया था और मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 

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ऐसे आए थे कांग्रेस में
सिद्धू वर्ष 2004 से 2014 के बीच अमृतसर से लोकसभा सांसद थे। वह 2014 में अमृतसर से टिकट काटे जाने से नाराज थे।  22 अप्रैल 2016 को उन्हें मोदी सरकार ने राज्यसभा सदस्य भी मनोनीत कर दिया था, लेकिन 26 अप्रैल को उन्होंने शपथ लेने के बाद 18 जुलाई को राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा से उनकी नाराजगी इस कदर हो गई कि 14 सितंबर 2016 को उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को अपना इस्तीफा भी भेज दिया। इसके बाद उनकी पत्नी व पूर्व विधायक डा. नवजोत कौर ने भी 8 अक्टूबर 2016 को भाजपा से इस्तीफा दे दिया था।  सिद्धू की पत्नी नवजौत कौर 28 नवंबर 2016 को कांग्रेस में शामिल हो गईं थी। 11 जनवरी 2017 को कैप्टन ने दावा किया कि सिद्धू का कांग्रेस में शामिल होने का फैसला बिना शर्त है। उन्होंने कहा कि सिद्धू अमृतसर पूर्व विधानसभा सीट से पार्टी के उम्मीदवार होंगे। 15 जनवरी 2017 को राहुल गांधी की मौजूदगी में सिद्धू ने कांग्रेस ज्वाइन की थी।
 

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