राष्ट्रीय एकजुटता से ही सिख कौम की समस्याओं का हल संभव: ज्ञानी हरप्रीत सिंह

Edited By Vatika,Updated: 06 Jun, 2019 02:51 PM

sri akal takht sahib on anniversary of operation bluestar

हरमंदिर साहिब और श्री अकाल तख़्त साहिब पर 6 जून 1984 को हुई सैनिक कारर्वाई में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए आज श्री अकाल तख्त साहिब पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

अमृतसरः हरमंदिर साहिब और श्री अकाल तख़्त साहिब पर 6 जून 1984 को हुई सैनिक कारर्वाई में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए आज श्री अकाल तख्त साहिब पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में श्री अकाल तख़्त साहब के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, तख़्त श्री केसगढ़ साहब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के प्रधान भाई गोबिन्द सिंह लोंगोवाल, जनरल सचिव गुरबचन सिंह करमूंवाला, ज्ञानी सुखजिन्दर सिंह, दमदमी टकसाल के प्रमुख बाबा हरनाम सिंह खालसा, सुखमिन्दर सिंह, तरना दल के प्रमुख बाबा निहाल सिंह , ज्ञानी जोगिन्द्र सिंह वेदांती, बाबा अवतार सिंह सुरसिंहवाला समेत बड़ी संख्या में पंथक शख़्सियतों, शहीद हुए सिखों के पारिवारिक सदस्य उपस्थित थे। 
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जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने संगत को संबोधन करते कौम को एकजुट होने की अपील करते हुए कहा कि यह दिवस कौम के लिए स्व-मंथन का समय है और हमें पुरातन पंथक रवायतों की मज़बूती के लिए पहरा देना चाहिए। उन्होने कहा कि कौम के सभी मसले मिलजुल कर ही हल किए जा सकते हैं। पंजाब के नौजवानों के विदेश जाने के रुझान पर चिंता प्रकट करते हुए इस संजीदा मामले पर उन्होने कौम को सचेत होने की अपील की। उन्होने कहा कि यदि यह रुझान इसी तरह जारी रहा तो भविष्य में पंजाब के उच्चपदों पर सिख अधिकारी नहीं मिलेंगे।
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श्री अकाल तख़्त साहिब के दफ़्तर सचिवालय में पत्रकारों के साथ बातचीत करते कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि 6 जून का दिन संसार के इतिहास में सबसे काला दिन है। उन्होने कहा कि सेना द्वारा कारर्वाई दौरान जब्त किया सिख कौम का बेशकीमती ख़ज़ाना भी अभी तक वापस नहीं किया गया। उन्होंने केन्द्र सरकार से मांग की है कि हमले के कारणों को सार्वजनिक किया जाए। इस अवसर पर एसजीपीसी के प्रधान भाई गोबिन्द सिंह लोंगोवाल ने कहा कि जून 1984 में श्री हरमंदिर साहब और श्री अकाल तख़्त साहब पर कांग्रेस सरकार द्वारा किया गया हमला अमानवीय अत्याचार था, जिसको भुलाना मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव है। उन्होंने कहा कि इस दिवस पर उत्तेजना ठीक नहीं है और ऐसा करने से शहीदों के पारिवारिक सदस्यों के मन को भारी ठेस पहुंचती है। 

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