Jalandhar की हवा हुई जहरीली! बढ़ने लगी गंभीर बीमारियां, ऐसे करें बचाव

Edited By Vatika,Updated: 15 Nov, 2025 01:30 PM

jalandhar air pollution

जालंधर शहर की हवा इन दिनों जहरीली होती जा रही है।

जालंधर (खुराना): जालंधर शहर की हवा इन दिनों जहरीली होती जा रही है। सड़कों से उड़ रही मिट्टी और उसके बारीक कणों ने लोगों का जीवन मुश्किल बना दिया है। पूरे दिन हवा में तैरते धूल के कणों के कारण शहरवासियों में आंखों में जलन, गले में खराश, बलगम, खांसी और जुकाम जैसी बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। डॉक्टरों और दवा दुकानों पर मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गई है। अनुमान है कि शहर के हज़ारों लोग फिलहाल एलर्जी से जुड़ी समस्याओं का शिकार हो चुके हैं।

शहर में लंबे समय से सरफेस वाटर प्रोजेक्ट का काम जारी है। इस प्रोजेक्ट के लिए लगभग 60 किलोमीटर सड़कों को खोदा गया था। पाइप डालने के बाद भी कई जगहों पर मिट्टी के बड़े-बड़े ढेर पड़े हुए हैं। वाहनों के गुजरने पर यही मिट्टी उड़कर हवा में घुल जाती है और आसपास के इलाकों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है।

स्थानीय निवासी शिकायत कर रहे हैं कि नगर निगम और प्रोजेक्ट संभाल रही कंपनियों ने धूल रोकने के लिए कोई इंतज़ाम नहीं किए हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नगर निगम के अधिकारी इस बढ़ते संकट के आगे बेबस नजऱ आ रहे हैं। स्थिति यह है कि शहर के कई इलाकों में सांस लेना भी मुश्किल होता जा रहा है। लोगों का कहना है कि यदि जल्द सड़कों की बहाली और धूल रोकने के उपाय नहीं किए गए तो हवा की गुणवत्ता और खराब हो सकती है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं और बढ़ेंगी।

 जितना हो सके घर के अंदर रहें
जब एयर क्वालिटी इंडेक्स  "बहुत खराब" या "गंभीर" स्तर पर हो, तो दमा के मरीजों को बाहर निकलने से बचना चाहिए। सुबह और शाम प्रदूषण का स्तर सबसे ज़्यादा होता है, इसलिए इन समयों पर बाहर निकलने या टहलने से परहेज़ करें।
अगर बाहर जाना ज़रूरी हो, तो N95 या N99 मास्क पहनें जिससे प्रदूषण के कण फेफड़ों तक न पहुँच सकें।

घर की हवा को साफ़ रखें
घर के अंदर प्रदूषण कम करने के लिए एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
अगर उपलब्ध न हो, तो घी या नारियल के तेल का छोटा दीया जलाकर हल्की नमी बनाए रख सकते हैं।
दिन में कुछ देर के लिए दरवाज़े-खिड़कियाँ खोलें ताकि बासी हवा निकल सके, लेकिन जब बाहर धूल या धुआँ ज़्यादा हो तो तुरंत बंद कर दें।

हर्बल स्टीम और भाप लें
गले में खराश, नाक बंद या सांस लेने में परेशानी होने पर दिन में दो बार भाप लें।
भाप में पुदीना, अजवाइन या यूक्लिप्टस तेल की कुछ बूंदें डालें।
यह गले को आराम देता है और सांस की नलियों को खोलता है।

इनहेलर और दवाइयों का सही उपयोग
दमा के मरीज अपनी दवाएँ समय पर लें।
इन्हेलर या नेबुलाइजऱ हमेशा अपने साथ रखें।
अगर सांस लेने में दिक्कत, सीने में भारीपन या बेचैनी महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
कभी भी दवाइयों में खुद से बदलाव न करें।

योग और श्वास क्रियाएँ
प्रदूषण के बीच भी फेफड़ों को मजबूत रखने के लिए घर में प्राणायाम, अनुलोम-विलोम जैसी कसरतें करें।
ये फेफड़ों की क्षमता बढ़ाती हैं और सांस लेने की प्रक्रिया सुधारती हैं।
यह केवल साफ़ हवा वाले कमरे में ही करें।

धुएं और धूल से बचाव
दमा के मरीज किसी भी तरह के धुएँ से दूर रहें—
जैसे सिगरेट का धुआँ, खाना पकाने की गैस का धुआँ, अगरबत्ती या धूप का धुआँ।
घर की सफ़ाई करते समय भी मास्क पहनें ताकि धूल के कण फेफड़ों को नुकसान न पहुँचा सकें।

कब लें डॉक्टर की सलाह
अगर रात को सांस लेने में दिक्कत हो, छाती में जकडऩ महसूस हो या बार-बार खांसी आए,
तो इसे नजऱअंदाज़ न करें।
यह संकेत हैं कि प्रदूषण का असर बढ़ रहा है।
ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

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