40 दिनों में निकली चन्नी लहर की हवा, जालंधर वैस्ट हलका के उपचुनाव-नतीजों में कांग्रेस औंधे मुंह गिरी

Edited By Urmila,Updated: 14 Jul, 2024 08:50 AM

in 40 days channi lahar ki hawa

वैस्ट विधानसभा हलका में उपचुनाव के नतीजों में कांग्रेस की हुई दुर्गति साबित करती है कि पंजाब में 1 जून को हुए लोकसभा चुनाव के दौरान जालंधर में चरणजीत चन्नी लहर की मात्र 40 दिनों में हवा निकल गई है।

जालंधर : वैस्ट विधानसभा हलका में उपचुनाव के नतीजों में कांग्रेस की हुई दुर्गति साबित करती है कि पंजाब में 1 जून को हुए लोकसभा चुनाव के दौरान जालंधर में चरणजीत चन्नी लहर की मात्र 40 दिनों में हवा निकल गई है। उपचुनाव में वैस्ट हलका में कांग्रेस जिस बड़े अंतर से पराजित होते हुए तीसरे स्थान पर आ खड़ी हुई है इससे राजनीतिक गलियारों में नई चर्चा छिड़ गई है कि क्या चन्नी का मतदाताओं के बीच करीब एक महीना पहले चला जादू खत्म हो गया है? उपचुनाव चाहे सांसद चन्नी के नहीं थे परंतु चन्नी ने ही नगर निगम की पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर सुरिंदर कौर को टिकट दिलाने में बड़ी भूमिका अदा करते हुए कांग्रेस की बड़ी जीत का दावा किया था।

विगत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने वैस्ट हलका से जीत हासिल की थी, कांग्रेस का मार्जिन चाहे 1557 वोट रहा , परंतु सैंट्रल व नार्थ विधानसभा हलकों में भाजपा के हाथों हार का सामना करने वाली कांग्रेस शहरी इलाकों में केवल वैस्ट हलके में अपनी इज्जत बचा पाई थी। यहां कांग्रेस के मुकाबले लोकसभा चुनाव में भाजपा 42,837 वोट प्राप्त कर दूसरे व आम आदमी पार्टी 15,629 वोट लेकर तीसरे स्थान पर आई।

उपचुनाव में 4 जून को लोकसभा चुनाव नतीजों में पहले स्थान पर रहने वाली कांग्रेस का वोट बैंक 10 जुलाई को 44,394 के आंकड़े से खिसक कर 16,757 वोट पर आना सभी को अचंभित कर रहा है। वह भी ऐसे हालात में जब सांसद चन्नी ने भी उपचुनाव में हलका के गली-मोहल्लों में चुनाव प्रचार किया हो। उपचुनाव में दूसरे नंबर पर रहने वाली भाजपा भी केवल 17,921 वोट लेकर दूसरे स्थान पर लुढ़क गई।

अब चूंकि जनता का फैसला सबके सामने आ चुका है ऐसे हालात में जालंधर लोकसभा हलका के नवनिर्वाचित सांसद चरणजीत सिंह चन्नी को भी इस हार से खासी आलोचना का सामना करना पड़ेगा क्योंकि उनके सांसद बनने के बाद उपचुनाव उनकी पहली अग्नि परीक्षा थी, जिसमें चन्नी बुरी तरह से फ्लाप साबित हो गए हैं।

इन चुनाव नतीजों का दुष्प्रभाव कांग्रेस कैडर के मनोबल पर भी पड़ेगा क्योंकि लोकसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस नेता लंबित नगर निगम चुनाव में भी बड़ी जीत की हुंकार भरते हुए निगम हाऊस पर कब्जा कर कांग्रेस का मेयर बनाने के दावे करने लगे थे। परंतु आज ‘आप’ ने जिस प्रकार अपने निरंतर गिरते ग्राफ को संभालते हुए बड़ी जीत प्राप्त कर यू-टर्न लिया है उसने विरोधियों के होश उड़ा दिए हैं।

कांग्रेस चाहे हार का कारण सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा धन-बल, शासन के दुरुपयोग व वोटरों को डराने-धमकाने का बताए लेकिन यह सच्चाई मानी जा रही है कि सांसद चन्नी के नाम का जालंधर में बना तिलिस्म आज टूट चुका है। कांग्रेस गलियारों की मानें तो लोकसभा चुनाव जीतने के बाद चन्नी के रवैये में आया बड़ा बदलाव भी हार का एक कारण रहा है।

चमकौर साहिब विधानसभा हलका से पूर्व विधायक, मंत्री व मुख्यमंत्री तक का सफर कर चुके चरणजीत चन्नी ने लोकसभा चुनाव में पहली बार जालंधर का रुख किया, पार्टी ने उन्हें टिकट देकर लोकसभा चुनाव मैदान में उतारा। पिछले दशकों से चौधरी परिवार के राजनीतिक दबदबे से दुखी कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं ने सांसद चन्नी को एक तरह से पलकों पर बिठाते हुए उनके पक्ष में धुआंधार चुनाव प्रचार किया जिसके सदका कांग्रेस 1.75 लाख की लीड़ के आंकड़े को छू सकी।

लोकसभा चुनाव में चन्नी का समूचा परिवार जालंधर में रहा और पूरे चुनाव दौरान उनकी पत्नी, बेटों, बहू, भाई व अन्य पारिवारिक सदस्यों ने कार्यकर्त्ताओं और मतदाताओं से सामंजस्य बनाए रखा, परंतु जैसे ही लोकसभा चुनाव के नतीजे आए चन्नी का सारा कुनबा आलोप हो गया।

कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं को चन्नी परिवार के चेहरे ढूंढने से नहीं मिल रहे थे। लोकसभा चुनाव में स्थानीय लिंक रोड पर किराए की कोठी में डेरा जमाने वाले चन्नी कोठी को खाली कर गए। चन्नी का जिले में कोई पक्का ठिकाना न होने के कारण उनके और जनता के बीच एक खाई बन गई।

कांग्रेस नेताओं को भी चन्नी ढूंढने से नही मिलते थे। कांग्रेस नेताओं को ज्ञात नहीं है कि उनके नवनिर्वाचित सांसद जालंधर में कहां हैं। कई कांग्रेस नेताओं का मानना है कि सांसद चन्नी 66 फुटी रोड पर बने व्हाइट डायमंड रिसोर्ट में रह रहे है और कई कहते हैं कि वह ए.जी.आई. के फ्लैटों में रह रहे है। सांसद चन्नी द्वारा कार्यकर्त्ताओं और लोगों से बनाई दूरी की बात जिले में फैल चुकी है, यह भी एक बड़ा कारण है कि कांग्रेस को चुनावों में मतदाताओं की बेरुखी का सामना करना पड़ा है।

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