Edited By Urmila,Updated: 24 Nov, 2024 09:55 AM
रबड़ इंडस्ट्री का मानना है कि उसके लिए अगले 2-3 वर्ष चुनौतियों से भरपूर हैं और रबड़ इंडस्ट्री को विभिन्न चुनौतियों से जूझना पड़ सकता है।
जालंधर : रबड़ इंडस्ट्री का मानना है कि उसके लिए अगले 2-3 वर्ष चुनौतियों से भरपूर हैं और रबड़ इंडस्ट्री को विभिन्न चुनौतियों से जूझना पड़ सकता है। रबड़ इंडस्ट्री से जुड़े प्रमुख युवा उद्यमी तथा अलास्का इंडस्ट्री के विवेक गुप्ता ने कहा कि कोविड के बाद से लगातार इंडस्ट्री के लिए परिस्थितियां लगातार घातक होती रही हैं और इस समय इंडस्ट्री विश्व स्तर पर काफी चुनौतियों का मुकाबला कर रही है।
उन्होंने कहा कि कोविड के बाद एक समय ऐसा आया था जब रबड़ इंडस्ट्री तथा रबड़ चप्पल उद्योग के लिए सुनहरी दिन कुछ समय के लिए लौटे थे परन्तु उसके बाद से फिर रबड़ चप्पल उद्योगों की हालत खराब होती गई क्योंकि उनके सामने अभी कच्चे माल की कीमतों की समस्या रही तो कभी कोई और समस्या सामने आ जाती थी। रबड़ इंडस्ट्री अभी पूरी तरह से संघर्षशील है और अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। गुप्ता ने कहा कि रबड़ इंडस्ट्री में श्रमिकों को सर्वाधिक रोजगार मिला हुआ है। रोजगार को बनाए रखने के लिए इस इंडस्ट्री के सामने घरेलू मुश्किलें उनका निपटारा केंद्र व राज्य सरकारों को मिल कर करना होगा।
उन्होंने कहा कि रबड़ उद्योग को बचाने के लिए केंद्र सरकार को तत्काल इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए अपने पास बुलाना चाहिए और उनकी छोटी-छोटी मांगों को पूरा करना चाहिए जिससे इंडस्ट्री अपने कदमों पर चलने के काबिल हो सके। उन्होंने कहा कि अभी वैश्विक हालात काफी अनिश्चितता से भरे हुए हैं। विश्व के हर कोने से जंगों की खबरें आ रही हैं और जब तक ये जंगें खत्म नहीं होती तब तक हालात इंडस्ट्री के लिए सामान्य होने वाले नहीं है।
उन्होंने कहा कि अभी विश्व स्तर पर मंदी का खतरा लगातार मंडरा रहा है। यूरोप में भी हालात अनुकूल दिखाई नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर रबड़ इंडस्ट्री का अस्तित्व खतरे में पड़ा तो लेबर के सामने सबसे बड़ी मुश्किलें उत्पन्न हो जाएंगी।
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