किसान आंदोलन: केंद्र और किसानों के बीच पांचवे दौर की बैठक भी रही बेनतीजा

Edited By Tania pathak,Updated: 05 Dec, 2020 08:08 PM

the fifth round meeting between center and farmers was inconclusive

केंद्र के कृषि कानूनों खिलाफ किसान जत्थेबंदियों और सरकार के बीच आज की बैठक भी बेनतीजा रही।

नई दिल्ली/पंजाब: केंद्र के कृषि कानूनों खिलाफ किसान जत्थेबंदियों और सरकार के बीच आज की बैठक भी बेनतीजा रही। इसी को देखते हुए मामले में अब बैठक का छठा दौर भी शुरू किया जाएगा। किसान जत्थबंदियों और केंद्र के बीच अब अगली बातचीत 9 दिसंबर को बुधवार दोपहर 12 बजे की जाएगी। फिलहाल सभी किसान जत्थेबंदियां भवन से बहार आ रही है। इस मीटिंग में किसानों ने साइलेंट प्रोटेस्ट के जरिए अपना विरोध भी जताया। 

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गौरतलब है कि केंद्र द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का गुस्सा तेजी से आक्रमक हो रहा है। पिछले लगभग तीन महीनों से किसानों द्वारा जारी प्रदर्शन दिल्ली में अब केंद्र सरकार के खिलाफ उबल रहा है। इस आंदोलन के कारण पंजाब, हरियाणा, दिल्ली समेत कई राज्यों की स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। इसी प्रदर्शन के चलते अलग अलग राज्यों से लाखों की संख्या में किसान जत्थेबंदियों का जमावड़ा लगा हुआ हैं। 

क्या है आंदोलन की मुख्य वजह?
आंदोलन की सबसे बड़ी वजह केंद्र द्वारा लागू किए गए कृषि के तीन कानून हैं। किसानों के मुताबिक इन कानूनों के कारण खेती के निजीकरण, जमाखोरों और अंबानी-अडानी जैसे कॉर्पोरेट कंपनियों को ही फायदा पहुंचेगा। इसी कारण वह केंद्र सरकार पर इन कानूनों को वापस लेने का दबाव बनाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। 

- किसानों की दूसरी बड़ी मांग बिजली बिल संशोधन को समाप्त करना है। इस बिल के अंतर्गत किसानों को कृषि के लिए मुफ्त बिजली दी जाती थी, इसीलिए उनकी मांग है कि इसमें हुए संशोधन को वापिस लेकर इस कानून को खत्म किया जाए।
- इसके बाद किसानों की अगली मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर लिखित आश्वासन को लेकर है। उनका कहना है बिल के तौर पर एक लिखित आश्वासन मिलना चाहिए कि भविष्य में पारंपरिक खाद्य अनाज खरीद प्रणाली जारी रहेगी।
- किसानों की एक और मांग खेतों में पराली जलाने पर सजा और जुर्माने को खत्म करने की है। इसी के साथ इस आरोप में गिरफ्तार हुए दूसरे किसानों को रिहा करने पर भी जोर दिया जा रहा है। 
- पंजाब में गन्ने की फसल के भुगतान के कारण पहले ही सरकार कई बार आलोचना का शिकार हो चुकी है। ऐसे में किसानों द्वारा गन्ने की फसल के भुगतान संबंधी सभी मुद्दों को हल करने की मांग भी रखी गई है।  

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