Edited By Kalash,Updated: 26 Feb, 2022 11:23 AM
बिजली कर्मचारियों की निजीकरण के खिलाफ हड़ताल और उससे पैदा हुए संकट के बाद प्रशासन लगातार कार्यवाही कर रहा है। शुक्रवार को विभाग के दो जूनियर इंजीनियरों
चंडीगढ़ (राजिंदर): बिजली कर्मचारियों की निजीकरण के खिलाफ हड़ताल और उससे पैदा हुए संकट के बाद प्रशासन लगातार कार्यवाही कर रहा है। शुक्रवार को विभाग के दो जूनियर इंजीनियरों (जे.ई.) को निरस्त कर दिया गया। साथ ही सुपरिडेंट इंजीनियर (एस.ई.) को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। प्रशासन ने कुल 143 कर्मचारियों पर एफ.आई.आर. दर्ज करवा दी है। प्रशासन ने सेहत सचिव यशपाल गर्ग की अध्यक्षता में जी.एम.एस.एच. -16 के मेडिकल प्रधान, जी.एम.सी.एच. -32 के मेडिकल प्रधान और गुरप्रीत सिंह एकस.ई.एन. (बिजली) की एक समिति का गठन किया है, जो सेक्टर -32 और 16 अस्पतालों में बिजली गुल होने के कारण हुई खामियों की जांच करेगी।
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प्राथमिक जांच के आधार पर जी.एम.सी.एच. -32 और जी.एम.एस.एच. -16 की बिजली स्पलाई की निगरानी कर रहे दो जे.ई. को अगले आदेश तक के लिए निरस्त कर दिया गया है और जांच अभी जारी है। इसके इलावा पावर यूनियन की हड़ताल के बाद बिजली स्पलाई बहाल करने में फौज के अधिकारियों को सहयोग न देने के आरोप में सुपरिडेंट इंजीनियर (एस. ई.) अनिल धमीजा को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। प्रशासन की तरफ से बताया गया है कि यह कार्यवाही बिजली विभाग के 17 कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों की सेवा समाप्ति और 143 मुलाजिमों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने के कर्म में है।
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इसके इलावा पुलिस सी.सी.टी.वी. फुटेज और अन्य सबूतों के जरिए बिजली स्पलाई बंद करने वाले कर्मचारियों की पहचान कर रही है। पहचान के आधार पर आने वाले दिनों में अन्य कर्मचारियों पर भी कार्यवाही की जाएगी। बता दें कि बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के कारण 21 और 22 फरवरी की आधी रात को जी.एम.सी.एच -32 और जी.एम.एस.एच. -16 और शहर के अन्य मुख्य क्षेत्रों में बिजली स्पलाई बंद रही, जिसके साथ लोगों को मुश्किल और परेशानी हुई। प्रशासन ने स्थिति को गंभीरता के साथ लेते हुए सख्त कार्यवाही करने का फैसला लिया था।
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नेशनल को-आर्डिनेशन समिति ने प्रशासक को लिखा पत्र
नेशनल को-आर्डिनेशन समिति ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स ने यू.टी. प्रशासन को पत्र लिख कर बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के मामलो में कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही और नौकरी से निकालने का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि जब कर्मचारियों और प्रशासन के बीच समझौता हो गया है और नौकरी पर भी लौट आए हैं तो इस तरह की कार्यवाही करना गलत है। उन्होंने कहा कि हड़ताल की रात पुलिस ने भी यूनियन नेताओं को परेशान किया, जो गलत है। साथ ही प्रशासन अभी भी निजीकरण की प्रक्रिया पर आगे बढ़ने में लगा हुआ है, जब कि विभाग मुनाफे में चल रहा है। उन्होंने प्रशासक से इस मामले में दखल देकर उचित कार्यवाही की मांग की है।
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