Punjab BJP का नया Experiment: काम करेंगे 'बेचारे' नेता Credit लेंगे Imported  नेता

Edited By Urmila,Updated: 06 Oct, 2024 10:33 AM

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Punjab को लेकर भाजपा (BJP) ने पिछले दिनों भी काफी एक्सपैरीमैंट किए हैं, जिनका नतीजा सकारात्मक नहीं दिखा। जिसके बाद पार्टी ने शायद सीख न लेते हुए एक बार फिर से पंजाब में नया एक्सपैरीमैंट करने की योजना बनाई है।

जालंधर (अनिल पाहवा) : Punjab को लेकर भाजपा (BJP) ने पिछले दिनों भी काफी एक्सपैरीमैंट किए हैं, जिनका नतीजा सकारात्मक नहीं दिखा। जिसके बाद पार्टी ने शायद सीख न लेते हुए एक बार फिर से पंजाब में नया एक्सपैरीमैंट करने की योजना बनाई है। प्रयोग 1 व प्रयोग 2 में बस इतना सा अंतर है कि पहले पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह (Capt Amrinder Singh) के लोगों को लेकर एक्सपैरीमैंट किए गए लेकिन अब दूसरे चरण में पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बेअंत सिंह (Beant Singh) के करीबी लोगों के साथ एक्सपैरीमैंट करने की योजना बनाई गई है। 

कांग्रेस की ही टीम बी के साथ नया एक्सपैरीमैंट 

पंजाब में किसी समय कैप्टन के करीबी रहे पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ को पंजाब की कमान सौंपी गई थी, लेकिन अब वह अध्यक्ष हैं या नहीं है, यह कोई साफ नहीं कर रहा, लेकिन यह बात जरूर है कि अब पार्टी जाखड़ को छोड़कर रवनीत बिट्टू के साथ नया एक्सपैरीमैंट करने की योजना बना रही है। इस एक्सपैरीमैंट के तहत ही रवनीत बिट्टू को राज्यसभा सदस्य के तौर पर केंद्र में ले जाया गया, वो अलग बात है कि राज्यसभा सदस्य का वायदा किसी और के साथ किया गया था। लेकिन निभाया कहीं और गया है। जिसके कारण जहां वायदा नहीं निभा, वहां से लगातार रोष के स्वर उठ रहे हैं। 

उपचुनावों के लिए तैयारी भी इंचार्ज लगाने तक ही सीमित

पंजाब में भाजपा ने एक नए एक्सपैरीमैंट के तौर पर कुछ ऐसी घोषणाएं की हैं, जो राजनीतिक क्षेत्र के साथ-साथ आम लोगों में भी हंसी का कारण बन रही है। भाजपा मुख्यालय की तरफ से शुक्रवार को एक सूची जारी की गई थी, जिसमें 4 विधानसभा क्षेत्रों के इंचार्ज तथा को-इंचार्ज लगाए गए थे, जहां पर अब विधानसभा उपचुनाव होने हैं, इनमें गिद्दड़बाहा, बरनाला, चब्बेवाल तथा डेरा बाबा नानक शामिल हैं। पार्टी इन चुनावों के लिए तैयारी तो कर रही है, लेकिन हैरानी की बात है कि इन इलाकों में भाजपा को मजबूत करने के लिए लोकसभा चुनावों के बाद से कोई कोशिश नहीं की गई है। 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद यह साबित हो गया था, कि उक्त सीटों पर उपचुनाव होने हैं, लेकिन पार्टी का कोई बड़ा नेता इन इलाकों में यह देखने भी नहीं गया कि पार्टी की वहां पर स्थिति क्या है। ऐसे में खानापूर्ति करने के लिए इंचार्ज या को-इंचार्ज लगाने का क्या मतलब ही क्या हुआ। 

जवानी से बुढ़ापा लगाने वाले सभी भाजपाइयों पर रहेगा बाहरी नेताओं का कंट्रोल

इसके अलावा पार्टी की एक और सूची भी लोगों में हंसी का कारण बन रही है, जिसके तहत पार्टी ने कुछ मंडल स्तर पर नियुक्तियां की हैं। हैरानी की बात है कि अधिकतर ऐसे कई मंडल हैं, जिनमें इंचार्ज उन लोगों को लगाया गया है, जो कांग्रेस से इंपोर्ट करके लाए गए हैं, जबकि इनके साथ को-इंचार्ज उनको लगाया गया है, जिन्होंने शायद भाजपा में रहते हुए अपनी जवानी से लेकर बुढ़ापा तक लगा दिया। गिद्दड़बाहा में मंडल प्रभारी के तौर पर हरजोत सिंह कमल को लगाया गया है, जो कांग्रेस के पूर्व विधायक हैं, जबकि भाजपा की वरिष्ठ नेता तथा पार्टी के साथ वर्षों से जुड़ी मोना जायसवाल को सह संयोजक लगाया गया है। इसी प्रकार डोडा मंडल में पूर्व विधायक हरमिंद्र सिंह जस्सी को इंचार्ज लगाकर भाजपा के वरिष्ठ नेता शिवराज चौधरी को सह संयोजक लगाया गया है। 

अंगुराल और रिंकू को रिपोर्ट करेंगे वाघा व सच्चर जैसे बड़े नेता

इससे भी ज्यादा हैरानी की बात तो तब हुई, जब हाल ही में भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधायक अरविंद खन्ना को धनौला में इंचार्ज लगाकर पूर्व महासचिव जीवन गुप्ता को सह संयोजक, अहरांकलां से शीतल अंगुराल को इंचार्ज बनाकर पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेश वाघा को सह संयोजक और चब्बेवाल के भाम मंडल में सुशील रिंकू को इंचार्ज लगाकर अनिल सच्चर को साथ में सह संयोजक लगा दिया गया है। इसी प्रकार डेरा बाबा नानक में अश्विनी सेखड़ी, जो कांग्रेस से आए हैं, को मंडल इंचार्ज और पार्टी के वरिष्ठ नेता मंजीत सिंह राय को सह संयोजक लगा दिया है। हैरानी की बात है कि पार्टी को चाहिए था कि बाहर से आए लोगों को अपने रंग में रंगने के लिए उन्हें ट्रेनिंग देते ताकि वे भाजपा के बारे में सीख सकते, लेकिन यहां तो सब उल्टा हो गया और बाहरी लोगों को अपने उन नेताओं के ऊपर बिठा दिया, जिनसे शायद काफी कुछ सीखा जा सकता था। 

काम करेंगे 'बेचारे' नेता और क्रैडिट लेंगे इंपोर्टिड नेता

हैरानी की बात है कि जितने भी ये मंडल हैं, वहां पर इंचार्ज कांग्रेसी या बाहरी दलों से आए नेता हैं और उनको सहयोग करने वाले भाजपा के नेता हैं और ये कोई छोटे-मोटे नेता नहीं, बल्कि पार्टी में इन लोगों ने अपनी जिंदगी लगाई है। अब इस मामले में दो ही रास्ते हैं, कि या तो बाहरी दलों से आए लोग इन पार्टी के 'बेचारे' नेताओं को कमांड करेंगे, या पूरा काम ये 'बेचारे' नेता करेंगे और नंबर उन लोगों के बनेंगे, जिनको शायद भाजपा की ए. बी. सी. तक नहीं पता। इसे विडंबना ही कहेंगे कि वर्षों तक पार्टी को अपने खून पसीने से सींचने वाले ये लोग अब उन लोगों के अंडर काम करेंगे, जिनके खिलाफ कभी ये सड़कों पर धरने प्रदर्शन किया करते थे।

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