शौर्य चक्र से सम्मानित बलविंदर सिंह संधू का अंतिम संस्कार किया गया

Edited By PTI News Agency,Updated: 17 Oct, 2020 07:59 PM

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अमृतसर, 17 अक्टूबर (भाषा) शौर्य चक्र से सम्मानित बलविंदर सिंह संधू के अंतिम संस्कार में शनिवार को बड़ी तादाद में लोग शरीक हुए। पंजाब के तरन तारन जिले में दो अज्ञात हमलावरों ने एक दिन पहले उनकी गोली मार कर हत्या कर दी थी।

अमृतसर, 17 अक्टूबर (भाषा) शौर्य चक्र से सम्मानित बलविंदर सिंह संधू के अंतिम संस्कार में शनिवार को बड़ी तादाद में लोग शरीक हुए। पंजाब के तरन तारन जिले में दो अज्ञात हमलावरों ने एक दिन पहले उनकी गोली मार कर हत्या कर दी थी।

हालांकि, इससे पहले उनके परिवार ने हमलावरों की गिरफ्तारी होने तक पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया था। लेकिन जिला प्रशासन द्वारा मामले में शीघ्र कार्रवाई का आश्वासन मिलने के बाद उन्होंने अपना फैसला बदला।
प्रशासन ने उन्हें परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने के अनुरोध के बारे में भी उन्हें आश्वस्त किया।
अंतिम संस्कार में खेमकरण विधानसभा क्षेत्र से विधायक सुखपाल सिंह भुल्लर भी शरीक हुए।
पुलिस विभाग ने परिवार की सुरक्षा के लिये तीन बंदूकधारी मुहैया किये हैं।
पंजाब में आतंकवाद से लड़ने वाले संधू (62) की शुक्रवार को जिले में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कुछ महीने पहले ही सरकार ने उनकी सुरक्षा वापस ले ली थी। संधू जब भीखीविंड में अपने घर से लगे दफ्तर में थे, तब मोटरसाइकिल पर सवार हमलावर उन्हें चार गोलियां मार कर फरार हो गए।

शुरूआत में, संधू की पत्नी जगदीश कौर संधू ने पत्रकारों से कहा था, ''जब तक हत्यारों को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक परिवार उनका अंतिम संस्कार नहीं करेगा।''
उन्होंने अपने परिवार के लिये सुरक्षा भी मांगी थी।
संधू की पत्नी ने कहा, ''परिवार के सभी सदस्य...मैं, मेरे दिवंगत पति और उनके भाई रंजीत सिंह संधू तथा उनकी पत्नी बलराज कौर संधू शौर्य चक्र से सम्मानित हैं। केन्द्र ने आतंकवाद से लड़ने के लिये हमें यह सम्मान दिया था। राज्य और केन्द्र दोनों सरकारें खुफिया नाकामी के लिये जवाबदेह हैं, जिसके परिणामस्वरूप आतंकवादियों ने मेरे पति को मार डाला।''
उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार परिवार को सुरक्षा मुहैया नहीं करा पा रही है, तो केन्द्र को सुरक्षा देनी चाहिये।

संधू कई साल तक पंजाब में आतंकवाद के खिलाफ लड़े थे और जब राज्य में खालिस्तान समर्थक आतंकवाद चरम पर था, तब उन पर कई आतंकवादी हमले किये गए थे।

संधू के भाई रंजीत ने कहा कि तरन तारन पुलिस की अनुशंसा पर राज्य सरकार ने एक साल पहले उनकी सुरक्षा वापस ले ली थी।
उन्होंने कहा कि पूरी परिवार आतंकवादियों की ‘हिट लिस्ट’ में रहा है।

गौरतलब है कि संधू की पंजाब के तरन तारन जिले में शुक्रवार को अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। सरकार ने कुछ समय पहले उनकी सुरक्षा वापस ली थी।

पुलिस ने बताया कि मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने 62 वर्षीय संधू को उस समय चार गोलियां मारी जब वह जिले में भीखीविंड गांव स्थित अपने घर से लगे दफ्तर में थे। हमलावर हमला करने के बाद फरार हो गये।

संधू को अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

संधू कई साल राज्य में आतंकवाद के खिलाफ लड़े और पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद जब चरम पर था तब उन पर कई आतंकवादी हमले किये गए।

संधू और उनके परिवार इन हमलों का डटकर मुकाबला किया और उनसे प्रेरित होकर कई लोगों ने आतंकवादी हमलों से खुद का बचाव किया।

केंद्र सरकार ने 1993 में संधू को शौर्य चक्र से सम्मानित किया था। उन्हें प्रदान किये गए शौर्य चक्र के प्रशस्तिपत्र में कहा गया था, ‘‘बलविंदर सिंह संधू और उनके भाई रंजीत सिंह संधू आतंकवादी गतिविधियों के विरोध में रहे। वे आतंकवादियों के निशाने पर थे। आतंकवादियों ने लगभग 11 महीनों में संधू के परिवार को समाप्त करने के 16 प्रयास किए।’’
इसमें लिखा था, ‘‘आतंकवादियों ने उन पर 10 से लेकर 200 के समूह में हमला किया, लेकिन हर बार संधू भाइयों ने अपनी बहादुर पत्नियों जगदीश कौर संधू और बलराज कौर संधू की मदद से आतंकवादियों के प्रयासों को सफलतापूर्वक विफल किया।’’
आतंकवादियों ने पहली बार परिवार पर 31 जनवरी 1990 को हमला किया था।

परिवार पर भीषण हमला 30 सितम्बर 1990 को किया गया था जब करीब 200 आतंकवादियों ने उनके घर को चारों ओर से घेर लिया और उन पर पांच घंटे लगातार खतरनाक हथियारों से हमला किया। इन हथियारों में रॉकेट लांचर भी शामिल थे।

प्रशस्तिपत्र में लिखा था कि आतंकवादियों के इस सुनियोजित हमले में मकान तक आने वाले रास्ते को बारूदी सुरंग बिछाकर बाधित कर दिया गया था ताकि पुलिस की कोई मदद उन तक न पहुंच सके।

इसमें कहा गया था कि संधू भाइयों और उनकी पत्नियों ने आतंकवादियों का पिस्तौल और स्टेनगन से मुकाबला किया जो उन्हें सरकार द्वारा मुहैया करायी गई थी। संधू भाइयों और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा दिखाए गए प्रतिरोध ने आतंकवादियों को पीछे हटने के लिए मजबूर किया।

प्रशस्तिपत्र में कहा गया था कि इन सभी व्यक्तियों ने आतंकवादियों के हमले का सामना करने और बार-बार किए गए जानलेवा हमलों को विफल करने के लिए अत्यंत साहस एवं बहादुरी का प्रदर्शन किया है।

बलविंदर सिंह संधू कुछ वृत्तचित्रों में भी आये थे।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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