क्या नशे के मुद्दे पर सी.एम. के मुख्य सचिव करेंगे कार्रवाई : किरनप्रीत मोनू

Edited By swetha,Updated: 21 Feb, 2020 09:00 AM

kiranpreet monu

विधानसभा में उठाए गए नशे के मुद्दे पर अकाली नेताओं ने चर्चा शुरू कर दी है।

अमृतसर: विधानसभा में उठाए गए नशे के मुद्दे पर अकाली नेताओं ने चर्चा शुरू कर दी है। यूथ अकाली दल के जिला प्रधान एडवोकेट किरनप्रीत सिंह मोनू ने कहा नशे के मुद्दे पर जहां विधानसभा में दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए हैं, वहीं मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव सुरेश कुमार भी अपने एक लेख में नशे का मुद्दा उठा चुके हैं। उनका कहना है कि जिस तरह पंजाब में नशा तस्करी हो रही है, उस तरह नशा तस्करों पर कार्रवाई नहीं हो रही। ड्रग ने हमारी युवा पीढ़ी को बर्बाद करके रख दिया है।

अब विधानसभा सत्र में भी यह मुद्दा जोरशोर से उठाया गया है। जिसमें कांग्रेसियों ने जहां नशा तस्कर अनवर मसीह की तस्वीर अकाली नेताओं के साथ जारी की है, वहीं अकालियों ने भी अनवर मसीह की फोटो कांग्रेसी नेताओं के साथ जारी की है। किरनप्रीत ने कहा कि अब देखना यह होगा कि क्या मुख्य सचिव कांग्रेसी नेताओं के साथ जारी अनवर मसीह की फोटो को लेकर कोई कार्रवाई करते हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि पंजाब कैबिनेट की मीटिंग में मंत्रियों, विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह को अलग-अलग मुद्दों पर घेरते हुए सरकार व अफसरशाही की ओर से सही ढंग से काम न करने की शिकायत की गई। इससे जहां कांग्रेस में बागी सुरों के संकेत मिले वहीं विरोधियों में भी चर्चा तेज हो गई। मोनू ने कहा कि अकाली दल जो लंबे समय से कह रहा है कि अब कांग्रेस के अपने मंत्री और विधायक भी कहने लगे हैं कि सरकार वादाखिलाफी पर उतर आई है। 

उन्होंने कांग्रेसी विधायक प्रगट सिंह द्वारा उठाए मुद्दों की सराहना करते कहा कि माइनिंग और ड्रग्स की कालाबाजारी पहले की अपेक्षा ज्यादा बड़े स्तर पर हो रही है। इससे पहले कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ और राज्यसभा मैंबर प्रताप सिंह बाजवा ने भी कैप्टन सरकार की कारगुजारी पर सवाल उठाए थे, जबकि सुनील जाखड़ तो राज्य में महंगी हो रही बिजली पर सी.एम. से बातचीत के लिए समय न देने पर नाराज हैं। जो हालात कांग्रेस में अब हैं, वही पिछली कांग्रेस सरकार के समय भी थे, जब डिप्टी सी.एम. रजिन्दर कौर भट्ठल व अन्य सीनियर नेताओं ने कैप्टन सरकार की कारगुजारी पर सवाल उठाए थे। मोनू ने कहा कि कैप्टन को इतिहास से सबक लेकर विधायकों और मंत्रियों की बात सुननी चाहिए नहीं तो ये हालात सरकार के खात्मे के संकेत माने जा सकते हैं। कैप्टन पहले ही झूठे वायदे कर लोगों की नजरों में गिर चुके हैं और अब पार्टी में ही अपनी साख बचाने में असमर्थ हैं तो पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। 

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