बड़ी लापरवाही : 30 दिन से जालंधर सिविल अस्पताल की मोर्चरी में पड़ा श\व, न लाने वाले का पता न...

Edited By Urmila,Updated: 02 Jul, 2024 11:22 AM

dead body lying in jalandhar civil hospital mortuary for 30 days

वैसे तो सिविल अस्पताल के कितने ही किस्से सुनने को मिलते रहते हैं, लेकिन इस बार एक ऐसा किस्सा सामने आया कि जिसमें सिविल अस्पताल की बड़ी लापरवाही के कारण थाना 4 की पुलिस को भी परेशान होना पड़ रहा है।

जालंधर : वैसे तो सिविल अस्पताल के कितने ही किस्से सुनने को मिलते रहते हैं, लेकिन इस बार एक ऐसा किस्सा सामने आया कि जिसमें सिविल अस्पताल की बड़ी लापरवाही के कारण थाना 4 की पुलिस को भी परेशान होना पड़ रहा है। इस लापरवाही के कारण मृतक का विधिपूर्वक संस्कार भी नहीं हो सका और उसका शव चिता के लिए तरस रहा है।

जानकारी के मुताबिक सिविल अस्पताल की मोर्चरी (डैड हाऊस) में पिछले करीब 30 दिनों तक एक व्यक्ति जिसकी आयु करीब 30 साल तक बताई जा रही है का शव मोर्चरी में ही पड़ा रहा। आखिरकार शव से जब अधिक बदबू आनी शुरू हुई तो मोर्चरी स्टाफ को याद आया कि शव का संस्कार करवाना ही वे भूल गए। इसके बाद मोर्चरी इंचार्ज डा. बेअंत सिंह ने तुरंत मैडीकल सुपरिंटैंडैंट दफ्तर में जानकारी दी और बाद में थाना 4 की पुलिस को सोमवार को सूचित किया गया।

हालांकि पुलिस ने भी साफ कहा कि मृतक को अस्पताल लेकर कौन लाया और किस स्थान से उसे लाया गया। क्योंकि जिस स्थान से उसे सिविल अस्पताल उपचार हेतु लाया गया तो संबंधित थाने की पुलिस की कार्रवाई करती है लेकिन अस्पताल प्रशासन इस बात को साफ करने में असमर्थ साबित होने के कारण कुछ बोल नहीं सका।

पुलिस को जानकारी देते हुए डा. बेअंत सिंह ने कहा कि उक्त शव करीब 30 दिनों से मोर्चरी में पड़ा है। मृतक का मैडिकल रिकार्ड भी नहीं मिल रहा है, जिस कारण अभी तक उसका पोस्टमार्टम नहीं हुआ। अब सोचने वाली बात है कि पूरे मामले में किसकी गलती है या नहीं लेकिन मृतक के शव का तिरस्कार तो हुआ है न?

क्या सेहत मंत्री तथा सीनियर अधिकारी एक्शन लेंगे?

नियमों के मुताबिक यदि कोई अज्ञात व्यक्ति अस्पताल में उपचार हेतु दाखिल हो या फिर उसकी मौत अस्पताल में हो जाए और शव की पहचान न हो सके तो ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर को इसकी सूचना सिविल अस्पताल में तैनात पुलिस गार्द को देनी होती है ताकि इसके बाद पुलिस गार्द संबंधित थाने की पुलिस को सूचित कर सके और शव की शिनाख्त करवाने के बाद शव परिजनों को सौंपा जा सके और परिजन विधिपूर्वक शव का संस्कार कर सके लेकिन इस मामले में उल्टा ही कर दिया गया। किसी डॉक्टर द्वारा अज्ञात व्यक्ति की जानकारी पुलिस को नहीं दी गई।

वहीं थाना 4 में तैनात ए.एस.आई. हीरा लाल का कहना है कि पुलिस को आज जानकारी मिली है। शव की हालत भी खराब हो चुकी है। पुलिस परिजनों को ढूंढने का प्रयास कैसे करे, क्योंकि शव का चेहरे की हालत भी दयनीय हो चुकी है। यदि शव की 72 घंटे तक शिनाख्त न हुई तो शव का संस्कार नगर निगम की मदद से करवाया जाएगा। दूसरी ओर डा. बेअंत सिंह का कहना है कि लापरवाही तो सामने आई ही है। पता चलते ही मोर्चरी इंचार्ज होने के नाते उन्होंने स्वयं पुलिस को जानकारी दी। इस मामले में सेहत मंत्री से लेकर सीनियर अधिकारियों को हस्तक्षेप करने की जरूरत है, ताकि भ‌विष्य में ऐसी गलती दोबारा से न हो सके और दोबारा किसी शव का ऐसे तिरस्कार न हो सके।

क्या मुख्यमंत्री का भी डर नहीं

गौर हो कि वैस्ट हलके में उप चुनावों के मद्देनजर मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान जालंधर में ही रह रहे है लेकिन उनके यहां आने के बाद भी ऐसी बड़ी लापरवाही शव के साथ होना बेहद शर्मनाक है। नाम नहीं छापने पर थाना 4 में तैनात एक पुलिस वाले ने कहा कि कुछ दिन पहले भी वह मोर्चरी में सरकारी काम के सिलसिले में आए थे तो उनसे स्टाफ ने पैसों की मांग की। स्टाफ की शिकायत करने के बाद भी उक्त स्टाफ नहीं बदला। जिस कारण मोर्चरी के हालात खराब हो रहे हैं, क्या मुख्यमंत्री का भी डर अस्पताल के अधिकारियों को नहीं रहा।

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