रेल हादसे के 10 दिन बाद घायलों के जख्म तो भर रहे हैं, दर्द अभी भी हरे

Edited By Vaneet,Updated: 29 Oct, 2018 09:59 PM

after 10 days of the train accident wounds injured are filling pain still green

रेल हादसे के 10 दिन बीत जाने के बाद भी सिविल अस्पताल व गुरू नानक देव अस्पताल में उपचाराधीन घायलों के जम तो भर ..

अमृतसर(सफर, नवदीप): रेल हादसे के 10 दिन बीत जाने के बाद भी सिविल अस्पताल व गुरू नानक देव अस्पताल में उपचाराधीन घायलों के जम तो भर रहे हैं लेकिन दर्द अभी भी हरे हैं। पंजाब के निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने 1 दिन पहले घायलों के 50-50 हजार के चैक तो दिए हैं लेकिन कुछ ऐसे भी घायल अभी बचे हैं जिन्हें चैक नहीं मिला है। गरीबी में इलाज तो फ्री हो रहा है लेकिन घर में खाने के लिए दाने नहीं बचे हैं। ऐसी ही कहानी है जज नगर के रहने वाले राम बहादर की। 

राम बहादुर उस दिन अपने 4 बच्चों संतोष (14), लक्ष्मी (11), संध्या (9) व अमित (6) के साथ रावण दहन देखने गया था। रेल हादसे में राम बहादुर के पैर टूट गया, पीठ व कमर की हड्डी में गहरी चोट लगी है। संतोष के दिमाग पर चोट लगी है, लीवर को नुकसान पहुंचा है। जबकि लक्ष्मी व संध्या बाल-बाल बच गई। अपने दोनों बेटों के साथ राम बहादुर गुरू नानक देव अस्पताल में इलाज चल रहा है। 

‘पंजाब केसरी’ से बातचीत में राम बहादुर ने बताया कि वो गोरखपुर के समीप सिद्धार्थ नगर का रहने वाला है। अमृतसर के जज नगर में रहता है। फ्रूट की रेहड़ी लगाकर अपना परिवार पाल पोस रहा था, तभी 19 अक्तूबर की ‘संध्या’ पर ऐसा हादसा हो गया कि वो अपने दोनों बेटों के साथ अस्पताल जा पहुंचा। इलाज तो हो रहा है लेकिन दो जून की रोटी कमाने की रेहड़ी अब नहीं लगा पा रहा है। कहता है कि सिद्धू साहिब आए थे, 50 हजार का चैक दिया है। घायलों में उनका नाम ही शामिल नहीं है। 

‘राम’ कहता है कि मैं ‘बहादुर’ था लेकिन हादसे ने तोड़ दिया है। रोटी कमाने लायक नहीं रहा। चारों बच्चे पढ़ रहे थे, बेटियां स्कूल जा रही हैं लेकिन दोनों बेटों का इलाज चल रहा है। 19 अक्तूबर की ‘संध्या’ में हुए हादसे के बाद रोजी-रोटी छिन गई है,‘ लक्ष्मी’ कमाने के लिए रोजगार छूट गया है। चैक सरकार के तरफ से घायलों को मिले हैं लेकिन मेरा नाम ही नहीं था, अब जिला प्रशासन ने दोबारा से नाम लिखे हैं। सारी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए राम भवन गोस्वामी की टीम ने पूरी कर दी हैं, कहा जा रहा है कि जल्द उनका नाम घायलों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा। 

पत्नी दुर्गावती हादसे के बाद से ही चारपाई पकड़ ली है, दोनों बेटों को घायल देख उसने आपा खो दिया है, मानसिक तौर पर परेशान हो गई है। गरीबी इतनी है कि पूछो मत। 50 हजार में परिवार के 6 लोग कितने दिनों तक रोटी खा सकेंगे, घर का खर्च व पढ़ाई का बोझ अब टूटे पैरों से कैसे उठा पाऊंगा, बस यही सोच-सोच कर रोना आ जाता है। अस्पताल में बच्चों की हालत व घर में पत्नी की हालत देखी नहीं जाती। 

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!