Edited By Tania pathak,Updated: 12 Sep, 2020 06:05 PM
सन 1943 के दिनों में खालसा कॉलेज अमृतसर के विद्यार्थियों ने कॉलेज समिति की तरफ से कपूरथला के...
अमृतसर: सन 1943 के दिनों में खालसा कॉलेज अमृतसर के विद्यार्थियों ने कॉलेज समिति की तरफ से कपूरथला के महाराजा को सम्मानित करने का विरोध किया और महाराजा के खिलाफ नारेबाजी और प्रदर्शन किया। इन नौजवानों का नेतृत्व सरदार अमर सिंह अंबालवी ने की। इस प्रदर्शन के बाद स. अंबालवी को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। इस तरह ही फेडरेशन की नींव रखी गई। स. अमर सिंह अंबालवी ने सिख नौजवानों और विद्यार्थियों को जत्थेबंद करने का फैसला किया।
कुछ ही दिनों बाद में लाहौर के लगा कॉलेज में सक्रिय सिख विद्यार्थियों की एक सभा हुई। इस मीटिंग में बहुत ही सक्रिय सिख विद्यार्थियों के तेरह( 10) नुमायंदे शामिल हुए। जिनमें सरूप सिंह, अमर सिंह अंबालवी, जवाहर सिंह ग्रेवाल, नरिन्दर सिंह, केसर सिंह, धर्मवीर सिंह, जगीर सिंह, इन्दरपाल सिंह, आगया सिंह और बलबीर सिंह शामिल थे। इस मीटिंग में सिख विद्यार्थियों की एक संगठन बनाने का फैसला किया गया और जल्द ही सिख विद्यार्थियों की एक ओर बड़ी सभा करने का फैसला किया।
दूसरी बार शिरोमणि अकाली के दफ्तर 13 मैकलेगन रोड, लाहौर में हुई। यह सभा एक ऐतिहासिक सभा हुई। इस मीटिंग में सिख विद्यार्थियों की संगठन का नाम और उद्देश्य और मुख्य निशानियों बारे फैसला किया गया और सभी की सहमति के साथ संगठन का नाम ऑल इंडिया सिक्ख स्टूडैंट्स फेडरेशन रखा गया और संगठन के पांच मुख्य उद्देश्य बनाए गए:
1. सिख विद्यार्थियों को इकट्ठे करना जिससे उनके हितों की रक्षा की जा सके।
2. विद्यार्थियों के मन में गुरू साहिबान के और सिख धर्म के ऊँचे और शुद्ध उपदेशों की ज्ञान करवानी।
3. सिख विद्यार्थियों के मन में अलग राष्ट्रीय हस्ती और सिख धर्म का एहसास जगाना
4. गुरबानी, सिख इतिहास, विचार अदला-बदली और बैठकों का इंतज़ाम करना।
5. सिखों की धार्मिक, राजनितिक, शैक्षिक, सामाजिक, भाईचारा और आर्थिक उन्नति के लिए विद्यार्थियों में प्रचार करना और पंजाबी पढ़ने, लिखने का प्रचार करना और एक अलग सिख यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए यतनशील रहना।