कांग्रेस सांसद बोले न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति की समीक्षा पंजाब के किसानों के लिए घातक

Edited By Suraj Thakur,Updated: 30 Jan, 2020 11:03 AM

review of minimum support price policy is fatal for farmers of punjab

सांसदों का मानना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नीति में किसी भी तरह की तबदीली पंजाब आर्थिकी पर हानिकारक प्रभाव डालेगी।

जालंधर। भारत सरकार के खेती लागत और मूल्य आयोग द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति की समीक्षा करने संबंधी केंद्र सरकार को हाल ही में की गई सिफारिश को पंजाब के किसानों के लिए गंभीर खतरा मानते हुए पंजाब कांग्रेस के सांसदों ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को प्रधानमंत्री के साथ संपर्क करके इस नीति की समीक्षा न करने के लिए अपील करने के लिए कहा है। मुख्यमंत्री द्वारा यह मीटिंग केंद्र सरकार के साथ जुड़े विभिन्न मसलों और अगले वित्त वर्ष के लिए बजट प्रस्तावों पर विचार करने के लिए बुलाई गई थी।

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आर्थिकी पर पड़ेगा असर
सांसदों का मानना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नीति में किसी भी तरह की तबदीली पंजाब आर्थिकी पर हानिकारक प्रभाव डालेगी। उन्होंने डर जाहिर करते हुए कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद का अंत करने के लिए केंद्र सरकार पहले कदम के तौर पर खरीद को सीमित करेगी। सतलुज यमुना लिंक नहर केस की स्थिति संबंधी सांसदों को जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने सांसदों को अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) बिल -2019 की धारा 12 के उपबंध में संशोधन करने के लिए ज़ोर लगाने के लिए कहा ताकि पंजाब के जल संसाधनों की रक्षा की जा सके।

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पराली न जलाने का मिले मुआवजा
मीटिंग के दौरान पंजाब के हितों संबंधी केंद्र के पास बकाया कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे भी विचार-विमर्श के लिए रखे गए, जिसमें धान की पराली को न जलाने के बदले किसानों को 100 रुपए प्रति क्विंटल मुआवजे की मांग, डेयरी कोऑपरेटिव के लिए टैक्स दर में कटौती और फ्री ट्रेड नैगोसीएशन से डेयरी उत्पादों को छूट देना शामिल है। पराली जलाने के मुद्दे पर जसबीर सिंह गिल (डिम्पा) ने कहा कि पराली के प्रबंधन की मशीनों के लिए सब्सिडी किसानों तक नहीं पहुंच रही है। मीटिंग में मौजूद अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि हालांकि केंद्र द्वारा सब्सिडी मिल रही थी, परन्तु शिकायतें थीं कि यह किसानों तक नहीं पहुंच रही है। 31000 करोड़ रुपए के फूड कैश क्रेडिट एकाउंट के निपटारे के लम्बित पड़े मुद्दे पर चिंता जाहिर की गई और यह फैसला लिया गया कि संसद मैंबर इस मामले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाएंगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस रकम के निपटारे में देरी के कारण आर्थिक मंदी का सामना कर रहे राज्य को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।


 

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