Edited By Tania pathak,Updated: 18 Apr, 2021 11:26 AM

पिछले कई दिनों से अपनी सरकार के खिलाफ सख्त रुख इख्तियार करने वाले और मुख्यमंत्री के शहर पर फोकस करने वाले पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बाद अब उनकी धर्मपत्नी ने भी अपनी सरगर्मियां और तेज कर दी हैं।
पटियाला (राजेश पंजौला): पिछले कई दिनों से अपनी सरकार के खिलाफ सख्त रुख इख्तियार करने वाले और मुख्यमंत्री के शहर पर फोकस करने वाले पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बाद अब उनकी धर्मपत्नी ने भी अपनी सरगर्मियां और तेज कर दी हैं।
बीबी सिद्धू ने यहां वर्करों को मिलने और जन सेवा के कार्य करने के लिए दफ्तर खोल दिया है। उन्होंने खुल कर पंजाब में अफीम की खेती की वकालत की। उन्होंने कहा कि वह खुद सेहत विभाग में बतौर डाक्टर लंबा समय कार्य कर चुके हैं। ज्यादातर दवाओं में अफीम पड़ती है जो लोग अफीम के आदी थे, उनके लिए बाकायदा कोटा सिस्टम होता था परन्तु जिन लोगों ने पंजाब में सिंथैटिक ड्रग का कारोबार करना था। उन्होंने अफीम का कोटा सिस्टम बंद करके प्रदेश के नौजवानी को सिंथैटिक ड्रग पर लगा दिया, जिस कारण पंजाब में नशों का कारोबार बढ़ा।
पंजाब के किसानों की आय बढ़ाने और राज्य को नशा मुक्त करने में अफीम की खेती अहम रोल अदा कर सकती है, जिसके लिए सरकार को नीति बनानी पड़ेगी और लोगों को लीगल तरीके से खेती करनी पड़ेगी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि सरकार की नीयत साफ हो तो अन्य राज्यों की तरह पंजाब में भी अफीम की खेती हो सकती है। इससे पहले पटियाला के एम.पी. रहे डा. धर्मवीर गांधी भी लगातार अफीम की खेती की वकालत करते आ रहे हैं। डा. गांधी भी पेशेवर डाक्टर हैं और बीबी नवजोत कौर सिद्धू भी पेशेवर डाक्टर हैं।
ऐसे में सरकार और मैडीकल विशेषज्ञ को इस पर विचार करने की जरूरत महसूस हो रही है। बीबी सिद्धू ने मोदी सरकार को कहा कि वह पहले पंजाब के लोगों को इन कानूनों प्रति तैयार तो करें, लोग कानून तो मान लेंगे परन्तु पंजाब के किसानों के पास ऐसे साधन नहीं हैं कि वह तुरंत इन कानूनों के अंतर्गत अपनी फसल बेच सकें। इसके साथ ही उन्होंने पंजाब की कांग्रेस सरकार को भी कटघरे में खड़ा करते कहा कि गेहूं की खरीद में आ रही रुकावटों के लिए सरकार की तरफ से समय पर तैयारी न करना है। उन्होंने कहा कि पंजाब का नौजवान अपनी जन्म भूमि छोड़ कर विदेशों में जा रहा है। यदि नौजवान यहां फूलों की खेती, दालें और लाभ वाली अन्य फसलें उगाएं तो किसान की आर्थिक हालत सुधर सकती है।