Edited By Vatika,Updated: 08 Feb, 2024 03:38 PM
जाब स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा वार्षिक परीक्षाओं के लिए जिला बुक डिपो में भेजी गई आंसरशीटस उन स्कूल संचालकों के लिए सिरदर्दी बनी हुई हैं
लुधियाना (विक्की): पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा वार्षिक परीक्षाओं के लिए जिला बुक डिपो में भेजी गई आंसरशीटस उन स्कूल संचालकों के लिए सिरदर्दी बनी हुई हैं जिनके स्कूलों में परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। क्योंकि परीक्षाओं के लिए अपने स्कूल कोड वाली आंसरशीटस के पैकेटस जिला बुक डिपो में ढूंढने के लिए स्कूल स्टाफ को काफी माथा पच्ची करनी पड़ रही है।
यही नहीं कई परीक्षा केंद्रों के स्टाफ को तो 3 से 4 घंटे तक मशक्त करने पर जमीन पर पड़े बंडलों में से अपने केंद्र के नाम वाले पैकेट मिल रहे हैं। किसी स्कूल को 12वीं की आंसर शीट्स के पैकेट मिल रहे हैं तो किसी को 10वीं के पेकैटस नहीं मिल रहे हैं। कई स्कूलों का कहना है कि वे कल से आंसर शीट्स के पैकेट ढूंढने आ रहे हैं पर उन्हें मिल ही नहीं रहे। जानकारी के मुताबिक पीएसईबी ने इस बार परीक्षाओं के लिए आंसरशीटस देने हेतू नई तरह का प्रयोग किया है लेकिन स्कूलों के सामने मौजूदा समय में चल रही मुसीबत के चलते यह सिस्टम फेल होता दिखाई दे रहा है। इसकी एक वजह यह भी बताई जा रही है कि बोर्ड के बुक डिपो में पहले से ही स्टाफ की भारी कमी है जिसके चलते आंसरशीटस के पेकैटस स्कूल स्टाफ को खुद ही ढूंढने पड़ रहे हैं।
स्टाफ की बजाय छात्रों को आंसरशीटस ढूंढने भेज रहे स्कूल
यही बस नहीं कई स्कूलों का स्टाफ तो अपने साथ विधार्थियों को भी डिपो में ला रहा है ताकि पैकेट ढूंढने में उनकी मदद ली जा सके। लेकिन इससे एक बात साफ हो गई है कि ऐसे स्कूलों को विधार्थियों की पढ़ाई की कोई चिंता नहीं है। आज कई स्कूलों के छात्र आंसरशीटस के बंडलों को लगे ढेर में से अपने स्कूल का नाम खोजते दिखाई दिए। बता दें कि पीएसईबी की 10वीं एवं 12वीं की परीक्षाएं 13 फरवरी से शुरू होने वाली हैं।
अपना बंडल खोजने की जल्दबाजी में दूसरों की परवाह नहीं
परीक्षाओं के लिए बोर्ड द्वारा 2 दिन पहले ही आंसरशीटस के बंडल 4 ट्रकों में भरकर जिला बुक डिपो में भेज दिए। इन बंडलों पर बकायदा स्कूल के नाम वाली स्लिप और सैंटर कोड लिखा गया है ताकि स्कूल अपने नाम वाला बंडल ले जा सकें। बुधवार को बुक डिपो का विजीट करने पर देखा गया कि परीक्षा केंद्र बने स्कूलों का स्टाफ खुद ही जमीन पर पड़े आंसरशीटस के बंडलों को उल्ट पुल्ट करके अपने स्कूल के नाम वाला बंडल खोज रहे थे। बंडल ढूंढ रहे स्कूल स्टाफ की बुक डिपो स्टाफ द्वारा बेशक सहायता की जा रही थी लेकिन कुछ स्कूलों स्टाफ भी अपने बंडलों को ढूंढने में बेपरवाह दिखा जिसके चलते पैकेट पर अन्य स्कूलों के नाम वाली लगी स्लिप उतर रही थी जिसकी भी किसी ने कोई परवाह नहीं की। इसके चलते कई स्कूलों को अपने नाम वाले पैकेट खाेजने में काफी परेशानी झेलनी पड़ी। आंसरशीटस लेने आए विभिन्न स्कूलों के स्टाफ ने बताया कि बोर्ड ने परीक्षा केंद्रों में परीक्षार्थियों की गिणती के मुताबिक आंसरशीटस के पेकैट बनाकर भेज दिए हैं लेकिन इससे स्कूलों की परेशानी परीक्षाओं से पहले ही बढ़ गई है। जिन स्कूलों को 250 आंसरशीटस वाले पैकेटस मिल गए हैं उनको छोटे पैकेट ढूंढे भी नहीं मिल रहे।
पूर्व में चला आ रहा सिस्टम था बेहतर
इस बारे बात करने पर विभिन्न स्कूूल संचालकों ने कहा कि पिछले साल तक तो परीक्षार्थियों की डिमांड के मुताबिक बुक डिपो से आसानी से आंसरशीटस बिना किसी परेशानी के मिल जाती थी लेकिन बोर्ड के इस बदलाव ने हमारे लिए परेशानी खड़ी कर दी है। उन्होने कहा कि पूर्व में चलता आ रहा सिस्टम ही बेहतर था। उन्होने कहा कि उनके स्कूल के कितने पैकेटस आए हैं, इसकी जानकारी भी नहीं दी जा रही। बुक डिपो का स्टाफ जमीन पर पड़े बंडलों में से अपने नाम वाली आंसरशीटस ढूंढने की बात कह रहा है जिसको ढूंढने में काफी वक्त की बर्बादी हो रही है।