ठंडे पड़ चुके हैं निगम चुनाव लड़ने के इच्छुक नेता, अभी चुनाव का अता-पता नहीं, अफसरों की लगी मौज

Edited By Urmila,Updated: 05 Aug, 2024 11:16 AM

leaders willing to contest the corporation elections have cooled down

नगर निगम जालंधर के पार्षद हाऊस की अवधि 24 जनवरी 2023 को खत्म हो गई थी। डेढ़ साल से ज्यादा का समय हो चुका है।

जालंधर: नगर निगम जालंधर के पार्षद हाऊस की अवधि 24 जनवरी 2023 को खत्म हो गई थी। डेढ़ साल से ज्यादा का समय हो चुका है, शहर में न कोई मेयर और न कोई पार्षद है। विभिन्न वार्डों से निगम चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं का उत्साह ठंडा पड़ चुका है क्योंकि निगम चुनाव कब होंगे, इस बारे कोई अता पता नहीं लग पा रहा। इतना जरूर है कि अब निगम चुनाव इस साल दिसंबर पहले नहीं हो सकेंगे।

पार्षद हाऊस न होने की सूरत में जालंधर निगम पर अफसरों का राज चला आ रहा है, आने वाले 6 महीनों में भी निगम पर अफसरों का ही राज रहेगा। इतने लंबे समय तक कोई जनप्रतिनिधि न होने के कारण अफसरों की मौज लगी हुई है और उन्हें कोई रोकने टोकने पूछने वाला नहीं है।

ज्यादातर वार्डों का कोई वाली वारिस नहीं, समस्याएं बढ़ने लगीं

पिछले डेढ़ साल से शहर के लोग उन नेताओं से वंचित हैं जो ज्यादातर मामलों में अपने अपने वार्ड का ख्याल रखते थे। चाहे अभी भी ज्यादातर पूर्व पार्षद और पार्षद बनने के इच्छुक कई नेता अपने अपने वार्ड में सक्रिय हैं परंतु ज्यादातर नेताओं में निगम चुनावों में हो रही देरी के चलते उत्साह गायब हो चुका है। पहले नगर निगम के 80 चुने हुए कौंसलर अपने-अपने वार्ड की हर व्यवस्था और साफ सफाई का ख्याल रखते थे परंतु अब कोई कौंसलर न होने के कारण शहर की सफाई व्यवस्था चरमराने लगी है। शहर में हर डम्प पर कूड़े के ढेर लगे रहते हैं जिस कारण लोग काफी परेशान हैं। पिछले साल के शुरू में आई स्वच्छता रैंकिंग ने निगम के अफसरों की पोल खोल कर रख दी है।

जब पार्षद हाउस हुआ करता था तब अफसरों की जवाबदेही हुआ करती थी और सरकार तक उनकी शिकायत भी लगती थी पर अब सभी काम निगम कर्मचारियों और अधिकारियों के हवाले हैं और उनकी कोई जवाबदेही नहीं हैं । दस्तावेज और फार्म इत्यादि अटैस्ट करवाने, गवाही इत्यादि डलवाने के लिए भी लोगों को मुश्किलें पेश आ रही हैं।

भगत सिंह कालोनी की सुध लेने वाला कोई नहीं, गंदे पानी की आई बाढ़

स्मार्ट सिटी और स्वच्छ भारत मिशन से करोड़ों रुपए की ग्रांट आने के बावजूद शहर की सफाई व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले पा रही बल्कि यह और बिगड़ती चली जा रही है। इन दिनों एन.जी.टी. और प्रदूषण नियंत्रण विभाग शहर के कूड़े की समस्या को लेकर निगम से खफा है। निगम से वरियाणा डंप की समस्या का भी कोई समाधान नहीं हो पाया और कूड़े को मैनेज करने के लिए बायो माइनिंग प्लांट भी नहीं लग पा रहा।

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इन दिनों नार्थ विधानसभा के तहत आती भगत सिंह कालोनी लावारिस सी दिख रही है, वहां गलियों में सीवर का गंदा पानी खड़ा है जिस बारे निगम अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं कर रहे। पिछली बार इस क्षेत्र से विक्की कालिया पार्षद चुने गए थे, उन्होंने वार्ड के साथ साथ इस कालोनी का पूरा ख्याल रखा। उनके चले जाने के बाद उनके बेटे ने वार्ड में काम तो शुरू करवा रखा है पर निगम में कांग्रेसी नेताओं की सुनवाई बिल्कुल ही बंद हो गई है। इस कारण भगत सिंह कालोनी के निवासी बहुत परेशान हैं और अब कांग्रेसी नेता निगम समक्ष धरना देने जा रहे हैं।

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