अहम खबर: समूह सरकारी कॉलेज संगठनों ने पंजाब सरकार से की ये मांग

Edited By Urmila,Updated: 02 Aug, 2024 04:02 PM

group of government college organizations made this demand

पंजाब के सभी सरकारी कॉलेज शिक्षकों, गैर-शिक्षकों और छात्र संगठनों ने उच्च शिक्षा विभाग द्वारा पंजाब के 8 प्रमुख सरकारी कॉलेजों को स्वायत्त (ऑटोनॉमस ) बनाने के बहाने सरकारी जिम्मेदारी से बर्खास्त करने का तुगलक आदेश जारी करने को लेकर बैठक की।

लुधियाना (विक्की): पंजाब के सभी सरकारी कॉलेज शिक्षकों, गैर-शिक्षकों और छात्र संगठनों ने उच्च शिक्षा विभाग द्वारा पंजाब के 8 प्रमुख सरकारी कॉलेजों को स्वायत्त (ऑटोनॉमस ) बनाने के बहाने सरकारी जिम्मेदारी से बर्खास्त करने का तुगलक आदेश जारी करने को लेकर बैठक की। जिसमें उच्च शिक्षा विभाग द्वारा पंजाब सरकार की कैबिनेट की मंजूरी के बिना 8 सरकारी कॉलेजों को ऑटोनोमस बनाने की गैरकानूनी मुहिम के संबंध में चर्चा की गई। इस बैठक में पंजाब सरकार और कैबिनेट की मंजूरी के बिना उच्च शिक्षा विभाग के इस कदम का विरोध करने का फैसला किया गया।

बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए पंजाब स्टूडेंट यूनियन (पीएसयू) के राज्य सचिव अमनदीप सिंह खियोवाली ने कहा कि ऐसा करने से छात्रों की फीस बढ़ जाएगी और इससे गरीब छात्रों का एक बड़ा वर्ग शिक्षा से वंचित हो जाएगा। इससे पहले भी पंजाब के सरकारी कॉलेजों में पीटीए फंड लेकर शिक्षकों को वेतन दिया जाता रहा है। अत्यधिक पीटीए फंडिंग के कारण कई छात्र शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। अमनदीप सिंह ने कहा कि पंजाब में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करना गलत कदम है। संविधान के अनुसार शिक्षा राज्य सूची का हिस्सा है और पंजाब को अपनी वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार अपनी शिक्षा नीति बनानी चाहिए।

दूसरी ओर, गवर्नमेंट कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (जीसीटीए) के अध्यक्ष डॉ. अमृत ​​समरा ने कहा कि प्राप्त जानकारी के मुताबिक उच्च शिक्षा विभाग का काम पंजाब सरकार की कैबिनेट द्वारा लिए गए फैसलों को लागू करना है न कि सीधे तौर पर भारत सरकार की नीतियों को लागू करना। राष्ट्रीय शिक्षा नीति कॉलेजों को ऑटोनॉमस बनाने के संबंध में कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय या नीति के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। 

डॉ. गवर्नमेंट कॉलेज गेस्ट फैकल्टी असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन पंजाब के अध्यक्ष अमृत समरा के पक्ष लेते सरकारी कॉलेजो गैस्ट फैक्लिटी सहायक प्रोफेसर एसोसिएशन पंजाब के प्रधान हरमिंदर सिंह डिंपल नाभा और डॉ. हुकुम चंद अध्यक्ष मालवा जैन ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग अपने स्तर पर ही पंजाब के 8 सबसे बड़े सरकारी कॉलेजों को ऑटोनॉमस बनाने के बहाने बंद करने पर तुला हुआ है, जो गैरकानूनी है। इस संबंध में पंजाब सरकार की कैबिनेट का कोई फैसला नहीं हुआ है, लेकिन विभाग की ओर से कॉलेजों को ऑटोनॉमस  बनाने के लिए सीधे यूजीसी वेबसाइट से फॉर्म भरने को कह रहा है। लेकिन अभी तक विभाग या पंजाब सरकार की ओर से इस संबंध में किसी भी हितधारक (शिक्षक, अभिभावक, गैर-शिक्षण कर्मचारी और छात्र प्रतिनिधि) के साथ कोई चर्चा नहीं की गई है और न ही कॉलेजों के ऑटोनॉमस बनाने के बाद भी सरकारी बने रहने के संबंध में कोई नीति या पत्र जारी किया गया है।  

इससे पहले भी पंजाब के सरकारी कॉलेजों में नए कोर्स और नए कॉलेज खोलने के बहाने  सेल्फ फाइनेंस को बढ़ावा दिया जा रहा है और आगे भी दिया जाता रहेगा। उन्होंने यह साथ ही कहा कि हिमाचल प्रदेश और हरियाणा जहां बीजेपी सरकारें रही हैं और राष्ट्रीय शिक्षा नीति लंबे समय से लागू होने के बावजूद इन राज्यों में किसी भी सरकारी कॉलेज को ऑटोनॉमस  नहीं बनाया गया है। अगर पंजाब सरकार आम आदमी को स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएं मुहैया कराने के वादे के साथ सत्ता में आई थी तो पंजाब सरकार द्वारा बिना कोई नीति बनाए यह कदम उठाया जा रहा है।  

पंजाब के सरकारी कॉलेज के सेल्फ फाइनेंस टीचर के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुमीत सैमी ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग लंबे समय से सरकारी कॉलेजों में नए कोर्स और प्रमोशन के बहाने सेल्फ फाइनेंस को बढ़ावा दे रहा है और पंजाब सरकार  धीरे-धीरे अपना हाथ खींच रही है और टैक्स और सेस के बहाने आम नागरिक से टैक्स वसूला जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य सरकार की मुख्य जिम्मेदारी है और इससे पीछे हटना अनुचित है जिसका वे विरोध करेंगे।

पंजाब ग्रेड फोर इंप्लाइज यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन सिंह लुबाना ने कहा कि पंजाब सरकार सरकारी कॉलेजों को ऑटोनॉमस  बनाने के बहाने चरणबद्ध तरीके से सरकारी कॉलेजों को खत्म करना चाहती है। उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर ऑटोनॉमस इतनी सफल है तो यह पंजाब के सरकारी विश्वविद्यालयों में क्यों सफल नहीं हुई, जो पहले से ही ऑटोनॉमस हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा समय पर फंड जारी न करने के कारण पंजाबी यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों को कई महीनों से वेतन नहीं मिल रहा है। दूसरी ओर पंजाब में ऐसे कई सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेज हैं जिसमें कई महीनों से न वेतन मिला है और न ही खाली पदों पर भर्ती की है। उन्होंने कहा कि यही भविष्य इन ऑटोनॉमस सरकारी कॉलेजों का होगा।

फीस बढ़ोतरी से जहां एक ओर पंजाब के गरीब विद्यार्थियों का एक बड़ा वर्ग शिक्षा से वंचित हो जाएगा। दूसरी ओर सरकारी कॉलेज बंद होने की स्थिति में पहुंच जायेंगे। बैठक में शामिल सभी संगठनों के प्रतिनिधियों ने पंजाब सरकार को शिक्षा संबंधी सरकार की जिम्मेदारी याद दिलाई और कहा कि पंजाब सरकार को उच्च शिक्षा से हाथ पीछे नहीं खींचने दिया जाएगा और उन्होंने मुख्यमंत्री पंजाब भगवंत सिंह मान और उच्च शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह को इस मामले की समीक्षा के लिए एक बैठक या सार्वजनिक बहस करने की मांग की ताकि इस संबंध में जनता का पक्ष जाना जा सके। समूह संगठनों ने कहा कि अगर इन सरकारी कॉलेजों से संबंधित समूह संगठनों को एक सप्ताह के भीतर मिलने का समय नहीं दिया गया तो पंजाब के सभी सरकारी कॉलेजों के समूह संगठन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए तुगलकी फरमान के खिलाफ संघर्ष करने के लिए मजबूर होंगे। 

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