Edited By swetha,Updated: 03 Apr, 2019 11:00 AM
पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के जिस अनुरोध को उनकी सबसे भरोसेमंद सहयोगी भारतीय जनता पार्टी ने अनसुना कर दिया, उसे इस दफा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी कैश करने की तैयारी में है।
चंडीगढ़(अश्वनी कुमार): पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के जिस अनुरोध को उनकी सबसे भरोसेमंद सहयोगी भारतीय जनता पार्टी ने अनसुना कर दिया, उसे इस दफा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी कैश करने की तैयारी में है। बात हो रही है, किसान बजट की। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में रेलवे बजट की तरह पर किसान बजट पेश करने का ऐलान किया है। वैसे तो पंजाब के किसान कई सालों से देश में अलग कृषि या किसान बजट पेश करने की मांग करते रहे हैं लेकिन 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने लगतार कई चुनावी मंचों पर कृषि बजट की आवाज बुलंद की थी।
2014 के चुनाव में हुई थी बजट पर चर्चा
2014 के दौरान मोहाली में पहली बार हुए प्रोग्रैसिव पंजाब एग्रीकल्चर सम्मिट सहित जगराओं में हुई नरेंद्र मोदी की रैली में काफी विस्तार से एग्रीकल्चर बजट पर चर्चा की गई। जगराओं रैली में तो बाकायदा भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी मंच से एग्रीकल्चर बजट को तव्वजो देने का ऐलान किया था। यह अलग बात है कि जब भाजपा घोषणा पत्र जारी किया तो इस बजट का अता-पता भी नहीं रहा। हालांकि रैली में कृषि से जुड़े जिन अन्य मुद्दों का जिक्र किया था, उसमें से अधिकतार मुद्दों को घोषणा पत्र में जगह दी गई थी। इसमें सबसे अहम था कृषि लागत का किसानों को लाभ। भाजपा ने अपने घोषणपत्र में वायदा किया था कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसानों को लागत का 50 प्रतिशत लाभ मिले। वहीं प्राकृतिक आपदाओं में किसानों को राहत देने के लिए कृषि बीमा योजना लागू की जाएगी।
किसान बजट से पहले किसान नीति का इंतजार
कांग्रेस ने घोषणा पत्र में किसानों के लिए कर्ज माफी से कर्ज मुक्ति का रास्ता तैयार करने का वायदा किया है। यह किसानों को फायदेमंद दाम, कम लागत और संस्थागत ऋण तक सुनिश्चित पहुंच के जरिए होगा। वहीं अलग से किसान बजट पेश करने और स्थाई राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की बात कही है। हालांकि इसके उलट पंजाब में सत्तासुख भोग रही कांग्रेस सरकार अब तक प्रदेश में पंजाब राज्य किसान नीति लागू नहीं कर पाई है। पंजाब राज्य किसान और खेत मजदूर आयोग ने जून 2018 में इस बाबत एक ड्राफ्ट पॉलिसी सरकार के सुपुर्द कर दी थी। इस पॉलिसी में किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने के साथ-साथ कर्जे के मक्कडज़ाल के बाहर निकालने की कई नुकते बताए गए हैं लेकिन अब तक पंजाब सरकार इसे अंतिम रूप देकर लागू नहीं कर पाई है।
2017 विधानसभा चुनाव में किए थे वायदे
- कर्जा-कुर्की से किसान को पूरी तरह मुक्त कर उन्हें आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
- फसल मुआवजा 20,000 रुपए प्रति एकड़ किया जाएगा।
- मूल्य स्थिरीकरण कोष यानी प्राइज स्टैब्लाइजेशन फंड स्थापित किया जाएगा
- आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार को 10 लाख रुपए तक की आर्थिक मदद दी जाएगी
- किसानों के लिए पैंशन स्कीम लांच होगी
- किसानों की हैल्थ, लाइफ और फसल इंश्योरैंस होगी
- स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को लागू करवाया जाएगा
- मक्की बिजाई करने वाले किसानों को फसल बिक्री पर आर्थिक सहायता दी जाएगी
- कृषि संसाधनों पर टैक्स कम किया जाएगा
- पंजाब फार्मर कमीशन को मजबूत बनाया जाएगा
- एग्रीकल्चर प्रोडक्शन बोर्ड बनाया जाएगा
- 5 एकड़ से कम भूमि वाले या भूमिविहीन किसानों को नौकरी व भत्ता दिया जाएगा
- कृषि से जुड़े कारोबार पर आर्थिक मदद मुहैया करवाई जाएगी
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सरकार के दो साल पूरे लेकिन कई वायदे आधे-अधूरे
- कर्जा-कुर्की से मुक्ति का वायदे की हकीकत यह है कि दो साल के बाद भी अभी तक किसान कर्ज के बोझ तले दबे हैं और किसानों की भूमि कुर्क हो रही है।
- कर्ज के बोझ की वजह से दो साल में अब तक करीब 1000 किसान आत्महत्या कर चुके हैं।
- दो साल में कांग्रेस सरकार अब तक 5.83 लाख हाशियाग्रस्त एवं छोटे किसानों का 4736 करोड़ रुपए माफ कर पाई है।