स्व. भाई निर्मल सिंह की बेटी कोरोना Positive

Edited By Bhupinder Ratta,Updated: 04 Apr, 2020 03:53 PM

daughter of nirmal singh corona positive

पद्मश्री अवार्डी और स्वर्ण मंदिर के पूर्व हजूरी रागी भाई निर्मल सिंह खालसा (67) की 35 वर्षीय बेटी  की कोरोना वायरस की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, जिसकी पुष्टि सहायक स्वास्थ्य अधिकारी डॉ टी.पी. सिंह संधू ने की है।

जालंधर(रत्ता): पद्मश्री अवार्डी और स्वर्ण मंदिर के पूर्व हजूरी रागी भाई निर्मल सिंह खालसा (67) की 35 वर्षीय बेटी  की कोरोना वायरस की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, जिसकी पुष्टि सहायक स्वास्थ्य अधिकारी डॉ टी.पी. सिंह संधू ने की है। जालंधर के सिविल अस्पताल के एक आइसोलेशन वार्ड में उनका इलाज चल रहा है।

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उल्लेखनीय है कि 3 दिन पहले तक स्वास्थ्य विभाग ने जितने भी कोरोना वायरस के संदिग्ध रोगियों के सैंपल लिए थे, उनमें से केवल 4 को ही कोरोना वायरस से ग्रस्त होने की पुष्टि हुई थी, जबकि बाकी 100 से अधिक लोगों के सैंपलों की रिपोर्ट नैगेटिव आई थी। श्री हरिमंदिर साहिब के पूर्व हजूरी रागी पद्मश्री भाई निर्मल सिंह खालसा (जोकि वीरवार को अकाल चलाना कर गए हैं) की जैसे ही कोरोना वायरस की रिपोर्ट पॉजीटिव आई थी तो स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत उनके 5 पारिवारिक सदस्यों को सिविल अस्पताल आइसोलेट करके उनके और उनके संपर्क में आने वाले 2 अन्य लोगों के सैंपल लेकर लैबोरेटरी जांच हेतु भेजे हैं। उधर, यह भी पता चला है कि घर में ही क्वारंटाइन संत बलबीर सिंह सीचेवाल व उनके साथ रह रहे कुछ सदस्यों के भी सैंपल वीरवार को इसलिए लिए गए थे क्योंकि वे भी कुछ दिन पहले स्व. भाई निर्मल सिंह को मिले थे।
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सिविल अस्पताल में उपचाराधीन हैं 22 रोगी
सिविल अस्पताल में शुक्रवार रात तक कुल 22 रोगी उपचाराधीन थे जिनमें कोरोना वायरस के 4 पॉजीटिव व 18 संदिग्ध रोगी थे। इनमें से कुछ के सैंपल शनिवार को लैबोरेटरी जांच के लिए भेजे जाने हैं। 

 

आखिर स्वास्थ्य विभाग क्यों छुपाता है जानकारी?
इस वक्त पूरे विश्व में कोरोना वायरस को लेकर जहां दहशत का माहौल बना हुआ, ऐसे में जालंधर का स्वास्थ्य विभाग न जाने क्यों मीडिया से सही जानकारी छुपाता रहता है। उल्लेखनीय है कि सिविल सर्जन दफ्तर में एक मास मीडिया विंग भी है, जिसका काम स्वास्थ्य विभाग की हर गतिविधि को मीडिया तक पहुंचाना है। जिले में जब कोरोना वायरस के रोगी मिलने शुरू हुए तब जिला मास मीडिया अधिकारी ने एक ऐसा ग्रुप बनाया, जिसमें उन्होंने दिनभर की रिपोर्ट डालनी शुरू की। हैरानी की बात यह है कि इस ग्रुप में 5 बजे से पहले ही रिपोर्ट डाल दी जाती है, जबकि हकीकत में कोरोना वायरस के संदिग्ध रोगियों की रिपोर्ट 8-9 बजे तक विभाग के अधिकारियों को प्राप्त होती है। रात को जब भी विभाग के किसी अधिकारी को फोन किया जाए तो या तो वह फोन नहीं उठाता या फिर कुछ भी कहने से इंकार कर देता है। ऐसे में यह सवाल पैदा होता है कि आखिर मीडिया से जानकारी क्यों छुपाई जा रही है।

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