बारिश में माइनिंग होगी प्रभावित, कोयला ‘शॉर्टेज’ से पंजाब में हो सकता है ‘ब्लैकआऊट’

Edited By Kalash,Updated: 11 May, 2022 05:49 PM

coal shotage may lead to blackout in punjab

रूटीन में बिजली की डिमांड 9000 मैगावाट के आंकड़े को पार कर रही है। बीते रोज पंजाब के थर्मल प्लाटों के जरिए लगभग 4300 मैगावट बिजली का उत्पादन हुआ जोकि जरूरत के

जालंधर : रूटीन में बिजली की डिमांड 9000 मैगावाट के आंकड़े को पार कर रही है। बीते रोज पंजाब के थर्मल प्लाटों के जरिए लगभग 4300 मैगावट बिजली का उत्पादन हुआ जोकि जरूरत के मुताबिक 50 प्रतिशत से भी कम है। मुख्य रूप से कोयले की कमी की वजह से पंजाब में उत्पादन पर असर पड़ रहा है। पंजाब द्वारा सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के नियमों का पालना नहीं किया जिसके चलते ऐसे हालात बने हैं।

नियमों के मुताबिक 1000 किलोमीटर से दूर वाले थर्मल प्लाटों को 30 दिन के कोयले का स्टॉक रखना होता है लेकिन पंजाब के प्राइवेट व सरकारी थर्मल प्लाटों में इस नियम की अनदेखी की गई। सप्लाई के आंकड़े रोजाना बदलते रहते है लेकिन पिछले दिनों मांग व सप्लाई में 50 प्रतिशत से अधिक का अंतर पैदा होना पंजाब में गंभीर बिजली संकट की चेतावनी दे रहा है, जिस पर समय रहते कदम न उठाए गए तो मुश्किलें बढ़ेगी और ब्लैकआउट होने के आसार हैं। बिजली की मांग इस बार समय से पहले बढ़ी है, जिसके चलते लोगों पर बिजली कटों की मार समय से पूर्व ही पड़नी शुरू हो गई।

विशेषज्ञों का कहना है कि पंजाब में बिजली उत्पदान मुख्य रूप से कोयले पर निर्भर करता है, जिसके चलते पंजाब के थर्मल प्लाटों को अपनी जरूरत व नियमों से अधिक कोयला स्टॉक करना चाहिए। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी द्वारा अधिक दूरी वाले थर्मल प्लाटों को 30 दिन का कोयला स्टॉक रखने का जो नियम बनाया गया है, उसके पीछे अहम मकसद है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। किसी कारणवश ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हो सकता है या खदानों में कोई दिक्कत पेश आ सकती है, जिसके चलते कोयला खरीदने का आर्डर देने के बाद उसके पहुंचने में देरी होगी और बिना कोयले के पंजाब में बिजली पैदा होना संभव नहीं और ऐसे हालातों में ब्लैकआउट हो जाएगा।

किसान आंदोलन के दौरान पंजाब ऐसे समय से गुजर चुका है जब रेल ट्रैक बंद रहने की वजह से महीनों तक ट्रेनें नहीं चल पाई थी। इसलिए समय से पहले कोयला स्टॉक रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि बारिश के दिनों में कई स्थानों पर कोयले की माइनिंग का काम प्रभावित होता है, जिसके चलते बारिश के दिनों में कोयला खरीदने के बाद आने में देरी हो सकती है।

सेंट्रल पूल से बिजली खरीदने के बावजूद पंजाब में किल्लत बरकरार
पंजाब को सेंट्रल पूल से बिजली खरीदनी पड़ रही है लेकिन इसके बावजूद पंजाब में बिजली की किल्लत बरकरार है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब ने सेंट्रल पूल से 3700 मैगावाट बिजली खरीदी और अपना उत्पादन करने के बावजूद 900 मैगावाट की शॉर्टेज चल रही है। ऐसे में आने वाले दिनों में इंडस्ट्री को दी जाने वाली सप्लाई में कमी होने की प्रबल संभावना है। वहीं, कई कैटागरियों पर पावरकटों के समय में भी बढ़ौतरी हो जाएगी। घरेलू उपभोक्ताओं को भी इसकी मार झेलनी पड़ेगी। पंजाब द्वारा सेंट्रल पूल से बिजली खरीदने में बढ़ौतरी करके ही इस समस्या से निजात पाई जा सकती है। पंजाब में निगम चुनाव भी आने वाले हैं, इसलिए देखना होगा कि सरकार द्वारा क्या नीति अपनाती है?

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