Edited By Urmila,Updated: 11 Sep, 2024 05:10 PM
कनाडा में पढ़ाई करने की चाहत रखने वाले भारतीय छात्रों के लिए जरूरी खबर है। अगर आप उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाना चाहते हैं और कनाडा जाकर पढ़ाई करने का सपना देख रहे हैं तो हो सकता है कि इस साल आपका यह सपना पूरा न हो सके।
टोरंटो: कनाडा में पढ़ाई करने की चाहत रखने वाले भारतीय छात्रों के लिए जरूरी खबर है। अगर आप उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाना चाहते हैं और कनाडा जाकर पढ़ाई करने का सपना देख रहे हैं तो हो सकता है कि इस साल आपका यह सपना पूरा न हो सके। कनाडा ने छात्र वीजा के नियमों को भी कड़ा कर दिया है और पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष कम छात्र वीजा जारी करने की योजना बना रहे हैं। ऐसे में भारतीय छात्रों के लिए कनाडा में पढ़ाई करना पहले से भी ज्यादा मुश्किल हो सकता है। यह बात एक रिपोर्ट में सामने आई है, जिसके बारे में विस्तार से बताया गया है।
कम वीजा हो सकते हैं जारी
इस बार कनाडा से जारी होने वाले वीजा में करीब 50 फीसदी की कटौती की संभावना है। इस साल कनाडा हर साल की तुलना में आधे वीजा जारी कर सकता है। एप्लीकेशन बोर्ड की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। इसमें आगे कहा गया है कि कनाडा अपने यहां आने वाले विदेशी छात्रों की संख्या को सीमित करने और इसे 2018 और 2019 के समान स्तर पर लाने की योजना बना रहा है।
पहले से ही कम हुई संख्या
इस साल की शुरूआत में भारत को मिलने वाले कनाडाई छात्र वीजा स्वीकृतियों की संख्या आधी हो गई है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि जब साल की शुरूआत में ही ऐसा हो चुका है तो आगे क्या होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में कनाडा से अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए 436,000 वीजा परमिट जारी किए गए थे, लेकिन 2024 के अंत तक यह संख्या घटकर 231,000 होने की उम्मीद है। इससे पता चलता है कि ग्लोबल वीजा आवेदन यानी स्टडी परमिट की स्वीकार्यता में पिछले साल की तुलना में 39 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
बड़ी संख्या में भारतीय छात्र
एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल भारत से बड़ी संख्या में छात्र पढ़ाई के लिए कनाडा जाते हैं। साल 2022 की बात करें तो कनाडा आने वाले 5.5 लाख अंतरराष्ट्रीय छात्रों में से 2.26 लाख छात्र भारत से थे। इतना ही नहीं, 3.2 लाख भारतीय छात्र वीजा पर कनाडा में रह रहे हैं, जो वहां की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में काफी योगदान दे रहा है। गौरतलब है कि कनाडा ऐसे नियम बना रहा है और उन्हें इतना सख्त कर रहा है कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों का यहां आने का रुझान कम हो जाएं। छात्र दूसरे देशों में भी जाने लगे हैं।
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