Edited By Vatika,Updated: 04 Oct, 2019 09:35 AM
समाज में आज भी ऐसे लोग है जो कि बेटी पैदा होने पर खुश नहीं होते। लेकिन बेटियों ने हमेशा ही साबित किया है कि जब अपनों पर संकट आता है तो वे अपनी जान की परवाह किए बिना हमेशा अपनों के लिए खड़ी रहती है।
बठिंडाः समाज में आज भी ऐसे लोग है जो कि बेटी पैदा होने पर खुश नहीं होते। लेकिन बेटियों ने हमेशा ही साबित किया है कि जब अपनों पर संकट आता है तो वे अपनी जान की परवाह किए बिना हमेशा अपनों के लिए खड़ी रहती है। कुछ ऐसा ही किया बठिंडा की 37 वर्षीय बोबी कौर ने, जिसने अपने परिवार का सहारा बनने के लिए शादी नहीं करवाई।
बोबी कौर ने बताया कि 18 वर्ष पहले उसकी मां आग से झुलस गई थी और पिता की भी हालत ठीक नहीं थी और तब उसके बहन भाई भी छोटे थे, जिस कारण घर की सारी जिम्मेदारी उसके कंधों पर आ गई। घर के हालात ठीक न होने के कारण वह तब से लोगों के घरों में काम करके अपने परिवार का पालन पोषण कर रही है।
उसका कहना है कि उसका सारा बचपन दुखों में ही बीता और आज भी वह जिंदगी की लड़ाई लड़ रही है। उसने कहा कि सरकार और जिला प्रशासन द्वारा उसकी कोई मदद नहीं की गई है, जिस कारण वह लोगों के घरों में काम करने के लिए मजबूर है और इससे घर का गुजारा भी बड़ी मुश्किल से चलता है।