दिल्ली में भी अकाली दल दो फाड़, टकसाली हुए बागी

Edited By swetha,Updated: 03 Feb, 2019 08:56 AM

akali dal

शिरोमणि अकाली दल (बादल) की पंजाब इकाई के बाद अब दिल्ली में भी सबकुछ ठीक नहीं है। टकसाली अकाली नेता खुलेआम बगावत पर उतर आए हैं। नतीजन, पार्टी दो फाड़ होती नजर आ रही है।

नई दिल्ली(सुनील पाण्डेय): शिरोमणि अकाली दल (बादल) की पंजाब इकाई के बाद अब दिल्ली में भी सबकुछ ठीक नहीं है। टकसाली अकाली नेता खुलेआम बगावत पर उतर आए हैं। नतीजन, पार्टी दो फाड़ होती नजर आ रही है। 

भोगल ने शुरू की बगावत
अपना सारा जीवन अकाली दल को समर्पित करने वाले जत्थेदार कुलदीप सिंह भोगल ने दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी और अकाली दल में अपनी हो रही अनदेखी से तंग आकर बगावत शुरू कर दी है। भोगल सोशल मीडिया के फेसबुक पर सरेआम पार्टी के मौजूदा नेताओं के खिलाफ भड़ास निकाल रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने 1984 सिख दंगों को लेकर टकसाली नेताओं द्वारा शुरू की गई लड़ाई का श्रेय दिल्ली कमेटी की मौजूदा लीडरशिप द्वारा लेने पर आंखें तरेर ली हैं। 

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दिल्ली में बिगड़े अकाली दल के समीकरण 
केंद्र सरकार द्वारा वरिष्ठ अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींडसा तथा आम आदमी पार्टी को अलविदा कहने वाले वरिष्ठ वकील हरविंदर सिंह फूलका को पद्म पुरस्कार देने की घोषणा के बाद दिल्ली में अकाली दल के समीकरण बिगड़ गए हैं।  ढींडसा और फूलका के एकत्र होने के बाद पार्टी में दो फाड़ की स्थित पैदा हो गई है। इसकी शुरूआत कुलदीप सिंह भोगल द्वारा ढींडसा को पद्म पुरस्कार के लिए सम्मानित करने को लेकर किए गए आयोजन को लेकर बढ़ गई है। 

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बादल परिवार को समझा जा रहा है अकाली दल के पतन का कारण
पार्टी का नाराज धड़ा यह समझता है कि बादल परिवार इस समय अकाली दल की हालत खराब करने का दोषी है, लिहाजा वह ढींडसा के नेतृत्व में नए अकाली दल के प्रति अपनी आस्था जता सकता है। 

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पंजाब में दूसरा रास्ता खोज रही है भाजपा
सूत्रों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी को भी अंदरूनी करवाए गए सर्वे में इस बात का अहसास हो गया है कि पंजाब में अकाली दल के साथ लोकसभा चुनाव लडने पर उनका नतीजा सिफर रह सकता है। पार्टी गुपचुप तरीके से पंजाब में दूसरा रास्ता खोज रही है। सूत्रों की मानें तो बेअदबी मामलों की जांच में एस.आई.टी. की बढ़ी रफ्तार ने बादल परिवार की नींद हराम कर रखी है। लोकसभा चुनाव आते-आते भाजपा नाराज अकाली नेताओं को साथ लेकर नया सत्ता समीकरण बनाकर चुनाव मैदान में ताल ठोक सकती है। इसमें ढींडसा, फूलका व शिरोमणि अकाली दल टकसाली के अध्यक्ष ब्रह्मपुरा की भूमिका अहम रहने वाली है।

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भोगल का छलका दर्द, निकाली भड़ास  
शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता जत्थेदार कुलदीप सिंह भोगल का दर्द छलक पड़ा। उन्होंने भड़ास निकालते हुए कहा कि 34 साल से 1984 सिख दंगों की लड़ाई हम लड़ते रहे और शिरोमणि कमेटी से सम्मान आज के झूठे नेता पा गए। यहां तक कि बाला साहिब अस्पताल को लेकर बड़ी लड़ाई लड़ी और अकाली दल को कमेटी में सत्ता दिलाई, लेकिन जब मलाई की बात आई तो पार्टी भूल गई। लेकिन अब वह खामोश नहीं रहेंगे। 

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