Edited By Urmila,Updated: 15 Sep, 2024 10:04 AM
एक तरफ पंजाब सरकार आम आदमी क्लीनिक खोलकर राज्य के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं देने का प्रयास कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण अस्पतालों में दवाएं खत्म हो रही हैं।
समराला (बांगड़, गर्ग): एक तरफ पंजाब सरकार आम आदमी क्लीनिक खोलकर राज्य के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं देने का प्रयास कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण अस्पतालों में दवाएं खत्म हो रही हैं और मरीज दवाओं के लिए तरस रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सिविल अस्पताल समराला में सामने आया है जब हलका विधायक जगतार सिंह दयालपुरा ने अस्पताल में छापा मारा और दवा स्टोर से करोड़ों रुपये की एक्सपायर्ड दवाइयों का जखीरा जब्त कर लिया।
सिविल अस्पताल में उस समय अफरा-तफरी का माहौल देखने को मिला जब विधायक दयालपुरा ने अचानक छापा मारा। उन्होंने स्टाफ से दवाइयों के बंद पड़े स्टोर की चाबी मांगी तो र्मचारियों ने चाबी देने से इनकार कर दिया। बाद में विधायक ने खुद ईंट मारकर ताला तोड़ा और स्टोर के अंदर से एक्सपायर दवाओं का भंडार बरामद किया। पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार अपने वादे के मुताबिक ईमानदारी से स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से मुफ्त दवाइयां देने का काम कर रही है, लेकिन यह विभाग की लापरवाही है कि लाखों-करोड़ों दवाइयां धूल में पड़ी हुई हैं। उनकी मियाद खत्म हो रही है।
विधायक ने कहा कि मामले में जो भी दोषी पाया जायेगा, उसे बख्शा नहीं जायेगा। स्वास्थ्य मंत्री से बात कर मामले की उच्चस्तरीय जांच करायी जायेगी, ताकि जिम्मेदार लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके।
मामले की जांच के लिए कमेटी गठित : एस.एम.ओ.
वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. तारिकजोत सिंह ने कहा कि एक्सपायरी दवाओं के मामले में चार सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया है, ताकि इस पूरे मामले की सच्चाई सामने आ सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अस्पताल में कर्मचारियों की कमी के कारण उचित रखरखाव के अभाव में कुछ दवाओं की मियाद समाप्त हो गईं। अस्पताल ने आज तक किसी को भी एक्सपायर्ड दवा नहीं दी है। यहां आने वाले मरीजों को सही दवाइयां अंदर से दी जाती हैं।
एक्सपायर दवाओं का भंडार देखकर दुख हुआ: दयालपुरा
विधायक जगतार सिंह दयालपुरा ने कहा कि अस्पताल में एक्सपायर दवाओं का भंडार देखकर उन्हें दुख हुआ क्योंकि ये दवाएं सरकार की ओर से उन गरीब मरीजों के लिए भेजी गई थीं, जो महंगा इलाज कराने में असमर्थ थे और इलाज के लिए सरकारी अस्पताल आते थे। उन्होंने कहा कि लगातार लंबे समय तक दवाओं का इस तरह एक्सपायर होना अपने आप में गंभीर मामला है। अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि इस पूरे मामले के लिए कौन जिम्मेदार है या इसके क्या कारण हैं, लेकिन कारण जो भी हो, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण मामला है।
दवाओं के रखरखाव के लिए कोई कर्मचारी नियुक्त नहीं
सिविल अस्पताल समराला में एक्सपायर दवाइयों का मामला सामने आने के बाद इसका दूसरा चौंकाने वाला पहलू यह सामने आया है कि दवाइयों की देखभाल के लिए कोई जिम्मेदार स्टाफ नियुक्त नहीं किया गया था। पता चला है कि अस्पताल के फार्मासिस्ट चीफ अफसर डेपुटेशन चंडीगढ़ में ड्यूटी पर हैं जबकि दूसरा फार्मासिस्ट अधिकारी की सेंट्रल जेल लुधियाना में डेपुटेशन ड्यूटी पर है। एक अन्य फार्मासिस्ट लंबी छुट्टी पर है। अस्पताल प्रशासन द्वारा बार-बार विभाग को पत्र लिखने के बाद पिछले सप्ताह ही यहां एक और नया फार्मासिस्ट अफसर की नियुक्ति की गई है।
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