Edited By swetha,Updated: 01 Sep, 2019 02:41 PM
हत्या के मामले में कोर्ट के चक्कर काट रहे 3 पुलिसकर्मियों को आखिरकार राहत मिल गई है।
लुधियानाः हत्या के मामले में कोर्ट के चक्कर काट रहे 3 पुलिसकर्मियों को आखिरकार राहत मिल गई है। वह कई वर्षों से इस केस को लेकर अदालत के चक्कर लगा रहे हैं। इस मामले में नया मोड़ उस समय आया जब 14 साल बाद उक्त युवक जीवित मिला है,जिसकी हत्या का केस पुलिस कर्मियों पर दर्ज था।
सरकार से मिली थी सहायता राशि
परिजनों ने काफी जद्दोजेहाद के बाद युवक की हत्या के आरोप में 3 पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज कराया था। इतना ही नहीं परिवार को सरकार की तरफ से सहायता राशि भी मिली थी। कत्ल के इस मामले में 14 वर्ष से रिटायर्ड डी.एस.पी .अमरजीत सिंह खैहरा, ए.एस.आई. जसवंत सिंह और (तत्कालीन हवलदार) ए.एस.आई. काबल सिंह मुकदमे का सामना कर रहे हैं। पुलिस के सी.आई.ए. स्टाफ ने जिंदा मिले इस युवक को गिरफ्तार कर लिया है।
ये था मामला
इस मामले की जानकारी देते रिटायर्ड डी.एस.पी. अमरजीत सिंह ने बताया कि जब वह 2005 में थाना डेहलों के प्रभारी के तौर पर तैनात थे। तब 25 अगस्त को उन्होंने ए.एस.आई जसवंत सिंह, हवलदार काबल सिंह और अन्य पुलिसकर्मियों के साथ गांव रंगीयां के हरदीप सिंह पुत्र नगिंदर सिंह को 70 किलो भुक्की के साथ गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ थाना डेहलों में मुकद्दमा दर्ज किया गया। पुलिस जब उसे पूछताछ के लिए ला रही थी तो वह किला रायपुर सूए के पास वह चकमा देकर फरार हो गया। इसके बाद नगिंदर सिंह ने बेटे हरदीप सिंह को पुलिस हिरासत में अवैध तौर पर रखे जाने की शंका में 28 अगस्त 2005 को वारंट अफसर से रेड करवाई। पर वहां हरदीप नहीं मिला। उस समय वारंट अफसर को बताया गया कि हरदीप के खिलाफ भुक्की बरामदगी और पुलिस को चकमा देकर भगाने के आरोप में मुकद्दमे दर्ज हैं।
अज्ञात शव की पिता ने बेटे के तौर पर की थी पहचान
17 सितंबर 2005 को गांव दाया कलां के छप्पड़ से एक अज्ञात व्यक्ति का शव बरामद हुआ। हरदीप सिंह के पिता नगिंदर सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी कि जो शव छप्पड़ से बरामद हुआ वह उसके बेटे का था। हत्या कर शव को पुलिस ने फैंका है। हाईकोर्ट ने ए.डी.जी.पी. क्राइम को जांच सौंपी। जांच रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि जो शव छप्पड़ से मिला था वह हरदीप सिंह का नहीं बल्कि किसी अन्य व्यक्ति का था। हरदीप सिंह की मौत नहीं हुई। उन्होंने अपने पत्र में हरदीप सिंह, नगिंदर सिंह और अन्य के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज करने की सिफारिश की, जिस पर ए.एस.आई सुखबीर सिंह ने मामला दर्ज किया। सभी आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन हरदीप सिंह को इस मामले में भगौड़ा करार दिया गया।
डी.एस.पी. सहित तीन पर कत्ल का मामला दर्ज
इसके बाद नगिंदर सिंह ने एक बार फिर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए इस मामले की जांच की मांग की। हाईकोर्ट के आदेश पर लुधियाना के सैशन जज ने जांच कर रिपोर्ट में कहा कि जो शव गांव दाया कलां के छप्पड़ से मिला वह हरदीप सिंह का ही था। सैशन जज ने तत्कालीन डी.एस.पी. अमरजीत सिंह खैहरा, ए.एस.आई. जसवंत सिंह और हवलदार काबल सिंह के खिलाफ हत्या के आरोप में मामला दर्ज करने के निर्देश दिए। 21 अगस्त 2010 को हत्या का केस दर्ज किया गया।
हाईकोर्ट ने दिए थे एस.आई.टी. से जांच करवाने के आदेश
नगिंदर सिंह इस मामले में हाईकोर्ट पहुंचा तो हाईकोर्ट ने जांच एस.आई.टी. से करवाने के आदेश दिए। इस पर एस.पी. क्राइम गुरदयाल सिंह, एस.पी. भूपिंदर सिंह, एस.पी. महिंदर सिंह छोकर, डी.एस.पी. नरिंदरपाल सिंह रूबी, डी.एस.पी. वालिया और लथाना डेहलों के प्रभारी को जांच सौंपी गई। डन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि गांव दाया कलां से मिला शव हरदीप सिंह का नहीं था। अदालत ने पुलिस की कैंसिलेशन रिपोर्ट को नामंजूर कर दिया।