नशा तस्करी में अब महिलाएं भी नहीं है पीछे, हैरान कर देंगे ये आंकड़े, प्रशासन फिर भी सुस्त

Edited By Tania pathak,Updated: 08 Aug, 2020 07:47 PM

women are not even behind in drug trafficking cases are being filed

ड्रग माफिया में अब महिलाओं की हिस्सेदारी में भी इजाफा हो रहा है। महिलाए अवैध शराब के कारोबार में बहुत सक्रिय हो गई है। इसके अलावा, वे अपने घरों में...

मुक्तसर: पंजाब पहले ही लॉकडाउन के बाद से आई आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। उसके बाद अब ये जहरीली शराब त्रासदी ने भी सरकार को चारों तरफ से निशाने पर घेरा है। कैप्टन सरकार द्वारा भले ही ये दावा किया जा रहा हो कि सरकार अपने ज्यादातर चुनावी वादों को पूरा कर चुकी है परन्तु अभी भी इस दावे  को सच मान लेना जल्दबाजी होगी। पंजाब में विधानसभा चुनाव होने में लगभग 2 साल से भी कम का समय रह गया है ऐसे में नशा मुक्त पंजाब का नारा लेकर आयी कैप्टन सरकार अभी भी इस वादे को पूरा करने में असफल साबित हो रही है।

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता की पंजाब में हर क्षेत्र में सरेआम शराब से लेकर नशा तस्करों का बोलबाला रहा है। इसमें प्रशासन की लापरवाही के साथ-साथ लोगों का जागरूक न होना भी बड़ा कारण है। ड्रग माफिया में अब महिलाओं की हिस्सेदारी में भी इजाफा हो रहा है। महिलाए अवैध शराब के कारोबार में बहुत सक्रिय हो गई है। इसके अलावा, वे अपने घरों में स्टॉक उपलब्ध रखते हैं। इसी के साथ-साथ कुछ नाबालिग लड़कों को भी उनके परिवारों द्वारा अवैध व्यापार में धकेला जा रहा था।
 
क्या कहते है आंकड़े....
अकेले नवंबर में, पुलिस ने जिले में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम और आबकारी अधिनियम के तहत महिलाओं के खिलाफ नौ मामले दर्ज किए गए थे और उनके कब्जे से हेरोइन ​​और अवैध शराब सहित ड्रग्स बरामद किया गया था। मलोट पुलिस ने हाल ही में नवंबर में 30 ग्राम हेरोइन के साथ एक महिला को भी गिरफ्तार किया था। मलोट सिटी पुलिस ने 4 अगस्त को एक महिला को नौ बोतल अवैध शराब रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसी तरह मुक्तसर पुलिस ने 2 अगस्त को बूरा गुर्जर रोड की एक महिला को 20 बोतल अवैध शराब रखने के आरोप में गिरफ्तार किया।
ऐसे हजारों मामले मिल जाएंगे जिससे ये साफ़ जाहिर होता है कि इन अवैध धंधों में अब महिलाओं और नाबालिग बच्चों को भी धकेला जा रहा है। 

एक मीडिया रिपोर्ट अनुसार मुक्तसर में 2015-18 के दौरान महिलाओं के खिलाफ एनडीपीएस अधिनियम के तहत 77 मामले और महिलाओं के खिलाफ आबकारी अधिनियम के तहत 17 मामले दर्ज किए गए हैं। एनडीपीएस अधिनियम के तहत, 2015-16 में महिलाओं के खिलाफ आठ मामले दर्ज किए गए, 2016-17 में 22 और 2017-18 में 47 मामले दर्ज किए गए। इतनी बड़ी संख्या में मामले मिलने के बाद भी प्रशासन का ध्यान इस तरफ नहीं जा रहा। 

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