Edited By Urmila,Updated: 26 Oct, 2024 12:12 PM
अमृतसर में प्राइवेट बसों के खिलाफ जी.एस.टी. विभाग का एक्शन जल्दी ही शुरू हो सकता है। इस आश्य के संकेत जीएसटी विभाग के कुछ स्टेट लेवल के अधिकारियों ने दिए।
अमृतसर: अमृतसर में प्राइवेट बसों के खिलाफ जी.एस.टी. विभाग का एक्शन जल्दी ही शुरू हो सकता है। इस आश्य के संकेत जीएसटी विभाग के कुछ स्टेट लेवल के अधिकारियों ने दिए। वर्तमान समय में बसों के माध्यम से जी.एस.टी. चोरी का खेल इतना बढ़ चुका है कि ट्रकों के ट्रांसपोर्टर भी इसके सामने झुकने लगे हैं। पिछले 3 वर्ष पहले तत्कालीन ट्रांसपोर्ट मंत्री अमरेंद्र सिंह राजा वडिंग द्वारा योजना बनाई गई थी लेकिन यह स्कीम फाइनल तौर पर सिरे नहीं चढ़ सकी । 2 नंबर में प्राइवेट बसों का माल आने के आसार बता रहे हैं कि ऐसी ही एक बस जो दिल्ली से माल लाती है कि एक फेरे की खेप में ही 20 से 30 लाख रुपए का माल आ जाता है। वहीं सूचना यह है कि इन बसों की संख्या 6 से 7 है और करोड़ों का माल प्रतिदिन आ रहा है। इसका मुख्य कारण है कि दिल्ली से आने का सफर मात्र चंद घंटे का है और लोग बाई-हेड महंगा माल साथ ले जाते हैं। इसमें ज्वेलरी महंगे मोबाइल, घड़ियां और इलेक्ट्रॉनिक्स-इलेक्ट्रिकल पार्ट्स होते हैं। वहीं दूसरी तरफ दो नंबर के कारोबारी सस्ता और भारी वजन का माल ट्रांसपोर्ट के जरिए पहुंचा देते हैं । यह खेल केवल अमृतसर में नहीं पंजाब के 11 शहरों में हो रहा है। हालांकि टैक्स चोरी करने वाली प्राइवेट बस कंपनियों की संख्या मात्र आधा दर्जन है लेकिन सही काम करने वाली 3 दर्जन बस कंपनियों की इन लोगों ने नींद हराम कर रखी है क्योंकि सही काम करने वाले बस मालिक न तो इनके मुकाबले टैक्स चोरी कर सकते हैं और न ही सवारियों के टिकट में इनसे इसे रेट का मुकाबला कर सकते हैं
अब बसों के पीछे लग गए हैं बस कंपनियों के निजी ट्रक
पिछले 10 वर्षों से लगातार टैक्स चोरी का खेल खेलते जिन बसों के ट्रांसपोर्टरों ने पैसे कमा लिए हैं उनके खरीदे गए नए ट्रक भी अब सवारी बसों के पीछे आने लगे हैं। इनमें 12 टन से अधिक माल भरा होता है जो बिना बिल होता है। जैसे-जैसे बस चलती है वैसे-वैसे ही दिल्ली से ही इनके पीछे इनके अपने बिना बिल के लदे हुए ट्रक साए की तरह चलना शुरू कर देते हैं। माल की एक बड़ी खेप जहां पर बस के अंदर चोर-डिक्कीयों में सुरक्षित रखी होती है, उसी प्रकार बस के पीछे थोड़ी दूरी पर ही चलता ट्रक 'लाइन-मारता' बस के पीछे चला आता है। प्राइवेट बसों को कोई इसलिए रास्ते में नहीं रोकता क्योंकि इसमें सवारियां होती है और इनकी आड़ में ही चंद मीटरों की दूरी पर ट्रक भी उनके पीछे-पीछे ही करोड़ों का माल लदे हुए निकल जाते है।
जुर्माने को समझते हैं हाथ की मैल !
जी.एस.टी. विभाग की कार्रवाई के मुताबिक इनसे एक महीने में तीन या चार बसें ही पकड़ी जाती है, जबकि 10 बसों के फेरे एक महीने में आवागमन मिलाकर इनके गिनती 600 बनती है। सूत्र बताते हैं कि पूरे पंजाब में इन आधा दर्जन प्राइवेट बसों द्वारा जी.एस.टी. विभाग को दिया गया पांच-छह लाख रुपया प्रति महीने जुर्माना तो उनके 'हाथ की मैल' है, जो वह हंसी-खुशी खुशी दे देते हैं। उनका तर्क है कि यदि 600 फेरे प्रति महीने की औसत में 6 लाख रुपया भी विभाग को 'जुर्माने' के तौर पर दे दिया जाए तो मात्र एक फेरे के पीछे एक हजार रुपए का खर्च है, जो मात्र 'वेटर- टिप' है। वहीं दूसरी और इन बसों के माध्यम से टैक्स की चोरी प्रति बस एक फेरा 15 लाख रुपए पंजाब सरकार को नुकसान पहुंचा रही है ।
कई विभाग मिलकर नहीं कर सके इनका बाल बांका
प्राइवेट बसों के टैक्स चोरी के खेल के पीछे जहां पर इनका प्रबंधन करने वाले चालकों अथवा स्टाफ की शातिर-गिरी है, वहीं पर राजनीतिक वरदहस्त भी काफी मजबूत है, क्योंकि... बसों का काम किसी न किसी रास्ते नेताओं और मंत्रियों तक पहुंच जाता है, जो इनके अंदरूनी तौर पर शक्तिशाली पैरोकार बने हुए हैं। यही कारण है कि कोई भी विभाग का इंवैस्टीगेशन विंग इनको पकड़ नहीं पा रहा वर्ष 2022 जनवरी में तत्कालीन अमृतसर पुलिस कमिश्नर सुखचैन सिंह गिल ने इस गैंग को तोड़ने के लिए 100 के करीब पुलिस कर्मचारी सड़कों पर उतार दिए थे लेकिन माल वाहन कर रही बसों को इसकी सूचना मिल गई और ऑपरेशन फेल हो गया था। पता चला है कि इसकी कमान संभालने वाला अधिकारी बस चालकों अथवा मालिकों से मिल गया था। उसके बाद आज तक इन टैक्स चोरी करने वाली में आधा दर्जन प्राइवेट बसों को कोई रोक नहीं सका।
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