विपक्ष ने हरसिमरत के इस्तीफे को बताया 'दोहरी राजनीती'

Edited By Vatika,Updated: 19 Sep, 2020 01:59 PM

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हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे के बाद जहां अकाली दल की अंदरूनी राजनीति गरमा गई है,

जालंधर (विशेष): हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे के बाद जहां अकाली दल की अंदरूनी राजनीति गरमा गई है, वहीं दूसरे तरफ विपक्ष  ने हरसिमरत के इस्तीफे को दोहरी राजनीति करार दिया है। विपक्षी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी  के नेताओं का कहना है कि केंद्रीय मंत्रालय से इस्तीफा देकर एन. डी. ए. में कायम रहना यह साबित करता है कि अकाली दल इस मुद्दे पर सिर्फ राजनीति कर रहा है।

अकाली दल एन. डी. ए. भी छोड़े : बाजवा
कांग्रेस के राज्यसभा मैंबर प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि अकाली दल बादल को अब उस किराए के मकान में से पूरी तरह बाहर आ जाना चाहिए, जिसका उसने किराया न देने का फैसला कर लिया है। बाजवा ने कहा कि अकाली दोनों हाथों में लड्डू रखना चाहता है, वह लोगों को यह दिखाना चाहता है कि उसने केंद्र सरकार के इस ऑर्डिनेंस के खिलाफ जा कर सत्ता को लात मारी है परंतु अकाली दल इसके साथ ही उस एन. डी. ए. के साथ भी रहना चाहता है, जिसने यह किसान विरोधी बिल के पास किया है। बाजवा ने कहा कि इस मुद्दे पर अकाली दल को एन. डी. ए. में से भी बाहर आना चाहिए और समूची विरोधी पक्ष को इस मामले पर एकजुट होकर विरोध करना चाहिए।

इस्तीफे का अब कोई मतलब नहीं: भगवंत मान
संगरूर से सांसद भगवंत मान ने हरसिमरत के इस्तीफे के बाद कहा कि अब यह इस्तीफा देने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि पंजाबी में कहावत है'वेले दे कम, कुवेले दीयां  टक्करां'। भगवंत मान ने कहा कि जिस समय इस मुद्दे पर स्टैंड लेना चाहिए था, उस समय अकाली दल इस ऑर्डिनेंस का बचाव करता रहा और अब जब संसद में सरकार ने बिल के पास कर दिया है तो उस समय अकाली दल ने अपनी साख बचाने के लिए इस्तीफे का नाटक किया है। भगवंत मान ने कहा कि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल खुद को किसान परिवार के साथ जुड़ा बता रहे हैं परंतु किसानी करके न तो हजार बसें बनतीं हैं न ही 5 स्टार होटल बनाए जा सकते हैं।

साइकिल का भी स्टैंड होता है, अकाली दल का कोई स्टैंड नहीं: वेरका
कांग्रेस के सीनियर नेता राज कुमार वेरका ने कहा कि हरसिमरत कौर बादल का केंद्रीय मंत्रालय से इस्तीफा किसानों के हितों की रक्षा  के लिए नहीं बल्कि अपनी गिरी राजनीतिक साख को हासिल करने की कोशिश  है। वेरका ने कहा कि कुछ दिन पहले तक अकाली दल ने इस आर्डीनैंस को किसान पक्षीय  बताने के लिए पूरा जोर लगा दिया था और इस मुद्दे पर खुद प्रकाश सिंह बादल के सामने आकर किसानों को भरोसा दिलाने की कोशिश की थी परंतु अचानक जमीन पर बढ़ते हुए विरोध को देखते अकाली दल ने इस मुद्दे पर अपना स्टैंड बदल लिया। उन्होंने कि साइकिल का भी स्टैंड होता है, अकाली दल का कोई स्टैंड नहीं है। वेरका ने इसको दोहरी राजनीति करार देते हुए कहा कि यदि अकाली दल इस मुद्दे पर गंभीर है तो उसे एन. डी. ए. के साथ नाता तोड़ना चाहिए।

 

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