अब MSP को लेकर किसान और सरकार होंगे आमने-सामने

Edited By Urmila,Updated: 23 Nov, 2021 01:22 PM

now the farmers and the government will be face to face regarding msp

धानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान तो कर दिया लेकिन इसके बावजूद किसान आंदोलन खत्म हो जाएगा, इस बात को लेकर अभी भी संशय बरकरार है।

जालंधर (पंजाब केसरी टीम): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान तो कर दिया लेकिन इसके बावजूद किसान आंदोलन खत्म हो जाएगा, इस बात को लेकर अभी भी संशय बरकरार है। इस संशय का एक बड़ा कारण है एम.एस.पी. यानी कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी का कानून जिसको लेकर मांग उठ रही है। इस संबंध में सोमवार को लखनऊ में एक महापंचायत भी हुई है, जिसमें यह बात साफ की गई है कि कृषि कानून खत्म करने के साथ-साथ एम.एस.पी. गारंटी का कानून भी बनाया जाए। 

यह भी पढ़ें: भारत-पाक  बार्डर पर BSF की बड़ी कार्रवाई, अंतर्राष्ट्रीय मूल्य की हेरोइन बरामद

दरअसल प्रधानमंत्री ने जब कानून वापस लेने की घोषणा की थी तो कहा था कि जीरो बजट आधारित कृषि को बढ़ावा देने तथा एम.एस.पी. को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। इस समिति में केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, किसान प्रतिनिधि, कृषि अर्थशास्त्री और कृषि वैज्ञानिक भी शामिल होंगे। मौजूदा एम.एस.पी. व्यवस्था देश में अभी तक न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था 23 अलग-अलग फसलों पर लागू है। हर साल इन फसलों के उत्पादन के दौरान इनका एम.एस.पी. निर्धारित सरकार द्वारा किया जाता है। इसी कीमत पर केंद्र और राज्य सरकारों की एजेंसियां फसल उठाती हैं। 

यह भी पढ़ें: भारत-पाक  बार्डर पर BSF की बड़ी कार्रवाई, अंतर्राष्ट्रीय मूल्य की हेरोइन बरामद

सरकार के आदेशों के बावजूद एम.एस.पी. का लाभ सभी किसानों को नहीं मिल पाता इस संबंध में शांता कुमार कमेटी ने एक रिपोर्ट 2015 में दी थी, जिसमें कहा गया था कि केवल 6 प्रतिशत किसानों को ही एम.एस.पी. का लाभ मिलता है, जबकि बाकी के किसान एम.एस.पी. से भी कीमत पर फसलें बेचने को मजबूर होते हैं। यही नहीं एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार 2019-20 में एम.एस.पी. पर 30 प्रतिशत चावल और गेहूं की खरीद हुई है, जबकि फलों सब्जियों और पशुओं से होने वाला उत्पादन एम.एस.पी. के दायरे से बाहर हैं, जिनकी कृषि उत्पादन में कुल हिस्सेदारी करीब 45 प्रतिशत है। देश में एम.एस.पी. पर खरीद का मामला राज्यों के अनुसार भी अलग-अलग है। 85 प्रतिशत गेहूं की खरीद मध्य प्रदेश, हरियाणा तथा पंजाब आदि राज्यों से होती है, जबकि करीब 75 प्रतिशत चावल की खरीद तेलंगाना, हरियाणा, पंजाब, ओडिशा, छत्तीसगढ़ से होती है। 

यह भी पढ़ें: भारत-पाक  बार्डर पर BSF की बड़ी कार्रवाई, अंतर्राष्ट्रीय मूल्य की हेरोइन बरामद

कैसे तय होती है एम.एस.पी.
खेती की लागत के अलावा कई दूसरे फैक्टर्स के आधार पर कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सी.ए.सी.पी.) फसलों के लिए एम.एस.पी. का निर्धारण करता है। किसी फसल के लागत के अलावा उसकी मांग व आपूर्ति की स्थिति को ध्यान में रखते हुए फसलों से तुलना पर भी विचार किया जाता है। सरकार इन सुझाव पर स्टडी करने के बाद एम.एस.पी. की घोषणा करती है। साल में दो बार रबी और खरीफ की फसल पर एम.एस.पी. की घोषणा की जाती है जबकि गन्ने का समर्थन मूल्य गन्ना आयोग द्वारा तय किया जाता है।

यह भी पढ़ें: भारत-पाक  बार्डर पर BSF की बड़ी कार्रवाई, अंतर्राष्ट्रीय मूल्य की हेरोइन बरामद

सरकार चुन सकती है ये रास्ते
देश में सरकार की तरफ से अभी तक जिन 23 फसलों को निर्धारित किया गया है, उनमें धान, गेहं, रागी, जौं, सोयाबीन, मूंगफली, सरसों, तिल, सूर्यमुखी, कपास, नारियल, उड़द, अरहर, चना, मसूर, ज्वार, बाजरा, नाइजर सीड, कुसुम, कच्चा जूट, मक्का, मूंग, गन्ना शामिल हैं। आने वाले समय में सरकार कुछ ऐसे अहम कदम उठा सकती है, जिनकी हाल ही में रिसर्च रिपोर्ट में सिफारिश की गई है। इस रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को एम.एस.पी. की गारंटी देने की जगह 5 साल के लिए न्यूनतम फसल खरीद की गारंटी देनी चाहिए। इसके अलावा कांट्रैक्ट फार्मिंग संस्थआओं की स्थापना, कम खरीद करने वाले राज्यों के एम.एस.पी. पर खरीद को बढ़ावा दिए जाने के सुझाव दिए गए हैं, जिन पर विचार किया जा सकता है।

अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here

पंजाब की खबरें Instagram पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here

अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!