Jalandhar नगर निगम के अफसरों की बड़ी "सैटिंग", होश उड़ा देगी खबर

Edited By Vatika,Updated: 02 Dec, 2024 12:29 PM

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असलियत यह है कि शहर में चल रहे अवैध निर्माण को लेकर न तो नगर निगम गंभीर है

जालंधर: शुक्रवार को जालंधर के अति व्यस्त क्षेत्र सैदां गेट के पास नया बाजार में अवैध तौर पर किए जा रहे निर्माण का एक हिस्सा गिर गया, जिसके बाद तुरन्त हरकत में आते हुए जालंधर नगर निगम ने अपने फील्ड आफिसरों को नोटिस निकाल कर खानापूर्ति कर दी। लेकिन असलियत यह है कि शहर में चल रहे अवैध निर्माण को लेकर न तो नगर निगम गंभीर है और न ही इस पर एक्शन लेने के मूड में है। संभवतः नगर निगम में बड़ी दूर तक कथित तौर पर सैटिंग चल रही है, जिसके कारण यह सब संभव हो पा रहा है।

निगम के सामने 7 महीने से चल रहा अवैध निर्माण
सैदां गेट के पास नया बाजार में हो रहा यह अवैध निर्माण तो फिर जालंधर कार्पोरेशन के दफ्तर से कुछ दूरी पर था। नगर निगम को तो अपने दफ्तर के सामने चल रहे अवैध निर्माण की भनक तक नहीं लगी, नया बाजार का काम कहां पता लगना था। दरअसल नगर निगम के बिल्कुल सामने मैडीकल स्टोर के साथ पिछले 7 महीने से अवैध निर्माण का काम चल रहा है, लेकिन नगर निगम ने कोई एक्शन नहीं लिया। बाहर से पुरानी बिल्डिंग का ढांचा खड़ा है, लेकिन उसके अंदर नई बिल्डिंग खड़ी कर दी गई और नगर निगम के जिम्मेदार आफिसर खामोश रहे। नगर निगम के दफ्तर से मात्र 50 कदमों की दूरी पर यह अवैध निर्माण दिन रात चला और निगम को इसकी भनक न लगी हो, यह वैसे समझ से परे है।

 वर्षों से बंद पड़ी बिल्डिंग के अंदर ही अंदर खड़ी कर दी नई इमारत
नगर निगम के दफ्तर के सामने जो यह निर्माण किया गया है, उसके बाहर किसी चार्टेड अकाऊटैंट का बोर्ड लगा है और यह बिल्डिंग वर्षों से बंद पड़ी है। जी.टी. रोड की तरफ इस बिल्डिंग का शटर बंद रहता है जबकि पीछे गली में इस बिल्डिंग को जाने का एक अन्य गुप्त रास्ता है, जहां से इस अवैध निर्माण को अंजाम दिया गया। हैरानी की बात है कि नगर निगम की तरफ से अवैध निर्माण को रोकने के लिए एम.टी.पी. से लेकर ए.टी.पी. और इंस्पैक्टर तक फील्ड में तैनात किए गए हैं, लेकिन इसके बाद भी इलाके के इंस्पैक्टर को इसकी भनक नहीं लगी, या उसने कोई कार्रवाई नहीं की। दोनों ही मामलों में नगर निगम की जिम्मेदारी तय होती है।

 मई महीने में बाऊंसर तैनात करके तैनात डाला गया था लैंटर
जानकारी के अनुसार मई महीने में इस ईमारत का निर्माण शुरू किया गया था और 26 मई को इसका लैंटर डाला गया। 26 मई की रात को गली में मशीन लगाकर बकायदा देर रात तक लैंटर डालने का काम चला। तब भी अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं हुई या उन्होंने कान बंद कर लिए, यह तो वो ही जानें। लेकिन इतना जरूर है कि इनके कान बंद होने के कारण नगर निगम तथा सरकार को बड़ा चूना लग गया है। संभवतः कथित तौर पर इनकी जेबें गरम हो गई होंगी। इमारत बनाने वाले ने ही लैंटर डालने के दिन मौके पर कुछ बाऊंसर किस्म के लोग खड़े कर रखे थे ताकि कोई अड़ंगा न डालें।

अब अवैध निर्माण रोककर निगम ने की खानापूर्ति
अब जब इमारत का लैंटर डल चुका है, तो दूसरी मंजिल तैयार की जा रही है, जिसके लिए धड़ल्ले से काम चल रहा है। शुक्रवार को नया बाजार में बिल्डिंग का एक हिस्सा गिरने के बाद हरकत में आए नगर निगम ने इस अवैध निर्माण का काम भी रुकवा दिया। चाहे यह सब खानापूर्ति के लिए किया गया, लेकिन यह बात तो साफ है कि कथित सैटिंग के बाद काम रुकवाना इतना आसान नहीं था, फिर भी मन मार कर कुछ दिनों के लिए शायद काम रुकवा ही दिया गया, ताकि मामला ठंडा होने के बाद दोबारा काम शुरू हो सके। 

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