Edited By Subhash Kapoor,Updated: 30 Jun, 2024 05:19 PM
नगर निगम लुधियाना एवं पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड जो कि इंडस्ट्रीज़ एरिया के डाइंग यूनिट और लुधियाना के स्कैटर्ड डाइंग फैक्ट्रियों को नोटिस निकाल रहे हैं, वे सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी नालायकी छुपाने के लिए यह इंडस्ट्री को प्रताड़ित कर रहे हैं, जबकि सच...
लुधियाना : नगर निगम लुधियाना एवं पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड जो कि इंडस्ट्रीज़ एरिया के डाइंग यूनिट और लुधियाना के स्कैटर्ड डाइंग फैक्ट्रियों को नोटिस निकाल रहे हैं, वे सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी नालायकी छुपाने के लिए यह इंडस्ट्री को प्रताड़ित कर रहे हैं, जबकि सच यह है कि 2020 में जब यह बुड्ढे नाले को साफ़ करने का 650 करोड़ का प्रोजेक्ट कांग्रेस की सरकार ने मंज़ूर किया। उस समय से तरुण जैन बावा ने आपत्ति दर्ज करवाई थी कि बुड्ढे नाले के पानी को नापें बिना कम कपैसिटी का STP प्लांट 225 MLD का डिज़ाइन किया गया। यह सरासर ग़लत है, इसकी कीमत 300 करोड़ से ज़्यादा की नहीं है, जबकि बुड्ढे नाले में 1400 MLD पानी के करीब बह रहा है जिसको GNE एवं प्राइवेट एजेंसियों द्वारा नपवाया गया था, परन्तु फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई और आनन-फानन में यह प्रोजेक्टर खिलाड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को देकर आज मुकम्मल करवा दिया गया। तरुण जैन बावा ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा यह छह सौ, पचास करोड़ रुपया खर्च करने के बावजूद आज बुड्ढा नाला वैसे का वैसे है, क्या बुड्ढा नाला साफ़ हो गया।
यह एक बहुत बड़ा घपला हुआ है, जिसमें सरेआम पब्लिक मनी की लूट हुई है। इस लूट में जिम्मेदार एवं हिस्सेदार उस समय के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, केंद्रीय जल मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और में वह तमाम सरकारी अफ़सर हैं, जिन्होंने यह ग़लत DPR तैयार की थी, जिन्होंने उस समय 425 करोड़ रुपए इस प्रॉजेक्ट के लिए दिए। क्या केंद्रीय जल मंत्री शेखावत की जिम्मेदार नहीं थी कि वो जो सरकार एवं जनता का पैसा किसी राज्य की प्रगति के प्रोजैक्ट के लिए भेजते, उसको मॉनिटर करने की क्या उनकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं है।
जो इंडस्ट्रीज़ लाखो लोगों को रोज़गार देती है, उसको बिना तथ्यों के जांच किए बिना दोषी करार देकर वो फैक्ट्रियां बंद करवाना चाहते हैं। लाखों लोगों के पेट पर लात मारना चाहते हैं, मज़दूरों की रोटी छीनना चाहते हैं।