पंजाब में भाजपा ने अपने पैर किए पक्के, बठिंडा व फिरोजपुर मोदी लहर ने बचाए

Edited By Vaneet,Updated: 04 Jun, 2019 04:31 PM

bathinda and ferozepur modi wave saved in punjab

किसी समय अकाली दल के सहारे पंजाब में राजनीतिक की सीढ़ी पार लगाने वाली भाजपा ने अब पंजाब में अपने आपको को प...

बाघापुराना(चुटानी): किसी समय अकाली दल के सहारे पंजाब में राजनीतिक की सीढ़ी पार लगाने वाली भाजपा ने अब पंजाब में अपने आपको को पक्के पैर कर लिया है। मोदी के सहारे पंजाब में मजबूत हुई भाजपा ने इस बार के लोकसभा चुनाव दौरान अपने हिस्से की तीन सीटों में से दो पर शानदार जीत दर्ज करके अकाली दल को राजनीतिक की दिशा में दूर तक पछाड़कर फैंका। भाजपा को धोंस दिखाने वाले अकाली दल की हद से अधिक पतली हुई पंजाब में राजनीतिक ताकत ने अकाली गुट में भारी मायूसी पैदा कर दी है। यहां तक कि इस बार अकाली दल की 10 सीटों में जीती गई दो सीटें भी भाजपा की मोदी लहर के सहारे ही पार लगी है। 

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मोदी लहर के कारण सुखबीर व हरसिमरत की सीट बची 
बीबी हरसिमरत कौर बादल को भटिंडा शहर की भाजपा को भुगती वोट ने ही लोकसभा में तीसरी बार प्रवेश करने का असर बख्शा। जबकि सुखबीर सिंह बादल भी शहरी क्षेत्रों में मोदी को मिली वोट के चलते ही शेर सिंह घुबाया को हराने में कामयाब हुए हैं। गांव में अकाली दल के गुट को कांग्रेस ने बड़ी सेंध लगाई है, जबकि बेअदबी कांड के सेंक ने भी अकाली दल को बड़ी चोंट मारी है।

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इन नेताओं ने करवाई अकाली दल की किरकरी
परमिंदर ढींडसा व महेश इन्द्र सिंह ग्रेवाल का तीसरे स्थान पर रहना तो अकाली दल को घोर निराशा के आलम की ओर धकेल दिया गया है। जबकि सुरजीत सिंह रखड़ा, गुलजार सिंह रणीके, बीबी जागीर कौर व चंदुमाजरा जैसे बड़े नेताओं का बड़े अंतर से पछड़ जाना भी अकाली दल की किरकरी करवा गया है। इस समय आलम यह है कि आठ सीटों से हार का मुंह देखने वाले नेताओं में हार का दुख तो है ही, शायद उनको यह भी शिकवा है कि पार्टी अध्यक्ष, सरपरस्त या अन्य बड़े नेता उनकी चुनाव मुहिम में भव्य योगदान डालने की बजाए भटिंडा एवं फिरोजपुर में ही रहे। 

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पार्टी अध्यक्ष व सरपरस्त के खौफ कारण चाहे खुलकर अपनी नारागजी जाहिर करने से हारे नेता टालमटोल कर रहे है, लेकिन अंदर की स्थिति ज्यों की त्यों बरकरार है। कुछ भी हो अब पंजाब में भाजपा का अकाली दल पर राजनीतिक तौर पर भारी रहना स्पष्ट है। अकाली दल अपनी जीती हुई दो सीटों के जशनों में आठ सीटों की हार को छुपाने की कोशिश तो कर रहा है, लेकिन यह कोशिश सफल होती दिखाई नहीं देती।

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